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प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना : मप्र के उज्‍जैन में हर गांव में हो रहा गरीब के पक्‍के मकान का सपना पूरा

उज्‍जैन । पहले आंधी चलती थी तो मकान के चद्दर उड़ जाते थे, इस वजह से मकान में बारिश के दौरान पानी भर जाता था। मजबूरी में दूसरों के घरों में रहना पड़ता था, लेकिन प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना (Prime Minister Rural Housing Scheme) की बदौलत उन्हें स्वयं का मकान बनाने के लिये एक लाख 20 हजार रुपये की राशि उपलब्ध कराई गई। अब मेरा परिवार अपने मकान में चैन की नींद सोता है, इसके लिए मैं सरकार का बहुत आभार मानती हूं।

उक्‍त विचार उस मां गीताबाई के हैं जो वर्षों से अपने मकान का सपना पाले जी रही थी, लेकिन धन के अभाव में उसके लिए यह संभव नहीं था कि वह अपने सपने को हकीकत में बदल पाए। पर यह सपना उसके जीवन में ही अब पूरा हो चुका है और इसके लिए वह केंद्र की मोदी सरकार को धन्‍यवाद देती है, जिसकी योजना के चलते आज उसके परिवार के सिर पर अपनी खुद की छत है।

दरअसल, मध्‍य प्रदेश के उज्‍जैन (Ujjain) में इन दिनों प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना (Prime Minister Rural Housing Scheme) गरीबों के जीवन में खुशहाली लेकर आई है, अनेक ऐसे परिवार हैं जिनका घर का सपना अब हकीकत बन चुका है। उनमें से ही एक तराना तहसील के गांव नौगावां में रहने वाली गीताबाई पति अंबाराम है जोकि खेतों की मजदूर है। उनके एक बालक, बहू, पोता, पोती और दो बालिकाएं हैं। गीताबाई के बेटा विक्रम भी मजदूरी कर घर चलाने में उनका हाथ बंटाता है। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना यहां आने के पूर्व गीताबाई अपने बेटे व बहू के साथ कच्चे मकान में रहा करती थी। जब खराब मौसम में आंधी चलती थी तो कच्चे मकान की चद्दर उड़ जाती और मकान में पानी भर जाता। जिसके चलते गीताबाई का परिवार मजबूरी में दूसरों के घरों में रहता, लेकिन अब सब कुछ बदल चुका है।


अपने पक्‍के मकान में आती है चैन की नींद
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना (Prime Minister Rural Housing Scheme) की बदौलत उन्हें स्वयं का मकान बनाने के लिये एक लाख 20 हजार रुपये मिले, इस राशि से उन्‍होंने अपना पक्‍का मकान बना लिया। आज गीताबाई और उनका परिवार किसी भी मौसम में दूसरों के घर जाने को विवश नहीं, वह चैन से अपने मकान में रह रहा है। इस संबंध में गीताबाई के पुत्र विक्रम बताते हैं कि परिवार में बहनों की शादी करने के बाद इतना रुपया नहीं था कि स्वयं का मकान बना सकें। विक्रम और उनकी माता दिन-रात इसी चिन्ता में रहते थे कि कब एक छोटा-सा ही सही लेकिन पक्का मकान बनेगा । केंद्र की इस मकान की योजना आने से उनके परिवार का यह सपना पूरा हो सका है। उनका परिवार अपने मकान में चैन की नींद सोता है। इसके लिये वे सरकार के बहुत आभारी हैं।

प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना ने बदल दिया जीवन
इसी तरह गांव की रहने वाली संतोषबाई पति शालीग्राम की भी कहानी है जोकि अपने भतीजे अनिल के साथ गांव में एक कच्चे चद्दर मकान में अपना जीवन गुजार रही थी। संतोषबाई और उनके भतीजे अनिल दोनों मजदूरी कर अपना जीवन यापन करते हैं। लेकिन प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना ने आज उनका भी जीवन बदल दिया है। संतोषबाई के भतीजे अनिल का कहना है कि मजदूरी करके जो रुपया मिलता था, उससे वह और उनकी चाची जैसे-तैसे अपना पेट भर पाते थे। बाकी पक्का मकान बनाना तो उनके लिये असंभव-सी बात थी, लेकिन इस आवास योजना की बदौलत उन्हें स्वयं का मकान मिला है। यह योजना गरीबों के लिये बहुत अच्छी योजना है। गरीबों के सिर पर पक्की छत इस योजना की वजह से आ सकी है। इसके लिये वे सदैव सरकार के आभारी रहेंगे।

मोदी सरकार की योजना से आ सकी सिर पर पक्की छत
ग्राम नौगावां में ऐसा ही एक अन्‍य परिवार 45 वर्षीय अशोक का है जोकि पेशे से मजदूर हैं। उनके परिवार में माता, पिता, दो बेटियां, एक बेटा और पत्नी है। बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। अशोक का परिवार गांव में कच्चे मकान में रहता था। बारिश और सर्दी के मौसम में पूरे परिवार को बहुत तकलीफ होती थी। हर व्यक्ति के जैसे अशोक का भी सपना था कि एक दिन उनका भले ही छोटा-सा लेकिन स्वयं का पक्का मकान हो। अशोक को गांव के सरपंच के माध्यम से प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना (Prime Minister Rural Housing Scheme) के बारे में पता चला। पात्रता अनुसार अशोक ने योजना के लिये आवेदन दिया और कुछ समय बाद अशोक को प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास मिशन के तहत एक लाख 20 हजार रुपये की राशि मकान निर्माण हेतु स्वीकृत की गई।

अशोक की मां ने बताया कि उनके बेटे हमेशा दूसरों के घरों में मेहनत मजदूरी कर, रुपया इकट्ठा कर रहे थे कि एक दिन स्वयं का मकान बना सकें, लेकिन बढ़ती हुई महंगाई और बच्चों व परिवार के पालन-पोषण के बाद इतना रुपया ही नहीं बच पाता था कि वे मकान बनाने में लगा सकें। लेकिन मोदी सरकार की इस योजना के बदौलत उनके सिर पर पक्की छत आ सकी है। यह बहुत अच्छी योजना है। इसके लिये शासन का धन्यवाद है। (हि.स.)

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