इंदौर न्यूज़ (Indore News)

इंदौर की हवा में घुला जहर, शहर में वायु प्रदूषण की फिफ्टी

इंदौर , विकाससिंह राठौर। पिछले पांच सालों से लगातार देश में सबसे स्वच्छ शहर का खिताब जीत रहा इंदौर (Indore)  वायु प्रदूषण (Air Pollution) के मामले में पिछड़ता जा रहा है। शहर की हवा में जहर (Poison) घुल रहा है। हालत इतनी खराब है कि वायु प्रदूषण का स्तर लगातार 100 से ऊपर ही बना हुआ है। इस मामले में शहर नाबाद फिफ्टी मारते हुए 55 दिनों के रिकार्ड पर है और यह क्रम जारी है, यानी पिछले 55 दिनों से प्रदूषण का स्तर एक बार भी 100 अंकों से नीचे नहीं आया है।


मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Madhya Pradesh Pollution Control Board) द्वारा शहर में वायु प्रदूषण की सतत निगरानी के दौरान ही यह चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। बोर्ड द्वारा रीगल सर्कल (Regal Circle) पर मॉनीटरिंग स्टेशन बनाया है, जहां से हर पल वायु प्रदूषण (Pollution) पर नजर रखी जाती है। वायु प्रदूषण को एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक शहर में 8 मार्च को प्रदूषण का स्तर (एक्यूआई) 99 पर था। इसके बाद से अब तक यानी पिछले 55 दिनों में एक बार भी यह 100 के नीचे नहीं आया है। पूरा अप्रैल भी वायु प्रदूषण की चपेट में गुजरा है, वहीं मई में भी यह क्रम सतत जारी है। पिछले दो दिनों में भी प्रदूषण का स्तर 121 और 116 दर्ज किया गया है।


अप्रैल में 200 का स्तर भी किया पार
अप्रैल में एक बार भी जहां प्रदूषण (Pollution) का स्तर 100 अंकों के नीचे नहीं आया, वहीं उच्च स्तर की बात करें तो 8 अप्रैल को तो प्रदूषण (Pollution) का आंकड़ा 200 के स्तर को भी पार करता हुआ 205 तक पहुंच गया था। 2 अप्रैल को 184 रहा, 16 अप्रैल को 180 और 29 अप्रैल को सबसे कम 100 पर पहुंचा। वायु प्रदूषण (Air Pollution) का स्तर बढऩे से शहर में सांस और सर्दी-खांसी के मरीजों की संख्या में भी बढ़ोतरी हो रही है।


कैसे निकाला जाता है एक्यूआई
बोर्ड द्वारा हवा में घुले धूल के सूक्ष्म कण, जिनका आकार पीएम-10 और पीएम-2.5 में देखा जाता है, के साथ ही हवा में घुली अन्य गैसों को एक फार्मूले के आधार पर गणना कर एक्यूआई निकाला जाता है। इसमें सबसे प्रमुख होता है, वायु प्रदूषण (Pollution) का प्रमुख घटक पीएम-10, यानी वे सूक्ष्म धूल कण जो सांस के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर बीमारियों का कारण बनते हैं।


नरवाई जलाने से बढ़ रहा प्रदूषण
इस संबंध में पर्यावरणविद डॉ ओपी जोशी ने बताया कि इंदौर सहित आसपास के क्षेत्रों में फसलों की कटाई के बाद बचे हुए कचरे (नरवाई) को जलाने की घटनाएं बहुत ज्यादा हो रही हैं। इस पर प्रतिबंध के बाद भी किसान लगातार ऐसा कर रहे हैं। इसके कारण हवा में कार्बन पार्टिकल्स काफी बढ़ रहे है। घरों की छतों पर भी इसके कण देखे जा सकते हैं। इनके कारण ही वायु प्रदूषण (Air Pollution) का स्तर बढ़ रहा है।

ऐसे समझे प्रदूषण के स्तर को
0 से 50 – अच्छा (गुड)
50 से 100 – संतोषजनक (सेटिस्फेक्टरी)
100 से 200 – मध्यम (मोडरेट)
200 से 300- खराब (पुअर)
300 से 400 – बहुत खराब (वेरी पुअर)
400 से 500 – अतिगंभीर (सीवर)
(जानकारी नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक)

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