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नेपाल में सियासी घमासान, पीएम ओली दस दिन में पेश करेंगे राजनीतिक दस्तावेज

काठमांडू : नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली दस दिन के भीतर राजनीतिक दस्तावेज तैयार कर उसे सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के सचिव मंडल के समक्ष पेश करेंगे। इस दस्तावेज में कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड के उस आरोप का जवाब होगा जिसमें कहा गया है कि ओली पार्टी की सहमति के बगैर सरकार चला रहे हैं। सचिव मंडल की अगली बैठक 28 नवंबर को होगी। प्रचंड के इस आरोप पर चर्चा की संभावना भांपते हुए प्रधानमंत्री व कम्युनिस्ट पार्टी प्रमुख ओली ने बुधवार को होने वाली बैठक स्थगित कर दी थी। जबकि पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड यह बैठक कराने के पक्ष में थे। सचिव मंडल के नौ में से पांच सदस्य- प्रचंड, माधव नेपाल, झालनाथ खनाल, वामदेव गौतम और नारायण काजी श्रेष्ठ प्रस्तावित बैठक कराने के लिए दबाव बनाए हुए थे।

वहीं ओली, विष्णु पौडेल, ईश्वर पोखरेल और राम बहादुर थापा बैठक स्थगित करने के प्रधानमंत्री के फैसले के साथ थे। अंतत: प्रधानमंत्री के बालूवाटर स्थित आवास पर अपराह्न में बैठक हुई जिसमें सभी नौ सदस्यों ने हिस्सा लिया। प्रचंड और उनके साथियों की मांग है कि ओली प्रधानमंत्री या पार्टी प्रमुख में से एक पद छोड़ें और पार्टी में एक व्यक्ति-एक पद का सिद्धांत लागू करें। लेकिन ओली यह मांग मानने को तैयार नहीं हैं। दोनों खेमों के बीच विवाद की मुख्य वजह यही है।

इधर नेपाल में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी में बढ़ती अंतर्कलह के बीच चीन की चर्चित राजदूत हो यांकी ने मंगलवार देर शाम प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से उनके आवास पर मुलाकात की। दोनों की मुलाकात करीब दो घंटे तक चली। प्रधानमंत्री सचिवालय ने इस मुलाकात की पुष्टि की है लेकिन इसका ब्योरा सार्वजनिक नहीं किया गया है।

प्रधानमंत्री आवास के सूत्रों के अनुसार चीनी राजदूत ने ओली को पार्टी की कलह बातचीत के जरिये निपटाने की सलाह दी है, जिससे पार्टी एकजुट रहे और सरकार भी अपना कार्यकाल पूरा करे। यांकी ने जोर दिया है कि बातचीत के जरिये मतभेद सुलझाए जाएं और विवादों को सहमति के आधार पर खत्म किया जाए। मालूम हो कि कई हफ्ते की शांति के बाद एक बार फिर से दोनों धड़ों का विवाद तेज हो गया है।

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