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RSS ट्रेनिंग अवधि में बड़े बदलाव की तैयारी, फिर शुरू होगा ‘संघ शिक्षा वर्ग’ शिविर, ‘दंड’ का आकार छोटा करने पर विचार

नई द‍िल्‍ली: राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (RSS) अपनी दशकों पुरानी प्रश‍िक्षण प्रणाली में बड़ा बदलाव करने जा रहा है. आरएसएस दंड (छड़ी) को भी बदलने पर व‍िचार कर रहा है जोक‍ि संघ की वर्दी का ह‍िस्‍सा तो नहीं है, लेक‍िन वो इसकी एक पहचान बन गई है. संघ अगले साल विजयदशमी (Vijaydashami) से शुरू होने वाले अपने शताब्‍दी वर्ष (Vijaydashami Centenary year) को धूमधाम से मनाने की तैयारी में जुटा है. इसको लेकर आरएसएस श‍िव‍िर स‍िस्‍टम के पुनर्गठन की रणनीत‍ि बनाने पर काम क‍िया जा रहा है.

इस बीच देखा जाए तो आरएसएस की दशकों पुरानी प्रशिक्षण प्रणाली ज‍िसको अधिकारी प्रशिक्षण शिविर (OTC), या संघ शिक्षा वर्ग (Sangh Shiksha Varg) कहा जाता है, को फिर से शुरू करने के लिए तैयारी कर रहा है. यहां तक कि इस बात पर भी चर्चा चल रही है कि दंड (बांस की छड़ी) को एक छोटे आकार में बदला जा सकता है. यह छड़ी संघ की एक तरह की पहचान बनी हुई है.

द इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाश‍ित खबर के मुताब‍िक सूत्रों का कहना है क‍ि हाल ही में 13 से 15 जुलाई तक ऊटी की बैठक में इस मामले पर व‍िस्‍तार से चर्चा की गई और सुझावों के आधार पर ही इस साल के आखि‍र में केंद्रीय कार्यकारी मंडल की बैठक में एक निर्णय की घोषणा क‍िए जाने की संभावना है.

बताते चलें क‍ि मौजूदा समय में पहले और दूसरे साल के शिविर (RSS Camp) 20-20 दिनों के लिए आयोजित किए जाते हैं, और तीसरे साल का प्रशिक्षण, जो केवल नागपुर में आयोजित किया जाता है, हर साल 25 दिनों तक चलता है. सूत्रों ने बताया क‍ि प्रथम वर्ष के शिविरों की अवध‍ि को घटाकर 15 दिन करना और दूसरे व तीसरे साल के के शिविरों को 20 दिनों के लिए आयोजित करने के ल‍िए बहुमत का सुझाव आया है.


एक अन्य सुझाव यह भी आया था क‍ि पहले साल के शिविरों को 15 दिनों के लिए आयोजित किया जाए और दूसरे/तीसरे साल के शिविरों को और कम किया जा सकता है. ऐसा पता चला है क‍ि पहले साल के शिविर को अब संघ शिक्षा वर्ग कहा जाएगा, और अन्य सालों के शिविर को कार्यकर्ता विकास शिविर कहा जाएगा.

सूत्र ने यह भी बताया क‍ि इन शिविरों में ट्रेन‍िंग टूल के रूप में प्रयोग किए जाने वाले दंड के उपयोग पर भी चर्चा की गई. आरएसएस ने पहले ही प्रयोग के तौर पर दंड का एक छोटा संस्करण पेश किया है – जिसे यष्टि (Yashti) जोक‍ि एक संस्कृत शब्द के रूप में जाना जाता है, यह करीब 3 फीट लंबा है, जबकि पारंपरिक दंड 5.3 फीट का होता है.

सूत्रों का कहना है क‍ि दंड भले ही वर्दी का ह‍िस्‍सा नहीं है, लेक‍िन जब आरएसएस स्‍वयंसेवक को दंड के साथ बुलाया जाता है तो इसका खास ज‍िक्र होता है क‍ि ‘दंड के साथ वर्दी में’ आना चाह‍िए. सूत्र बताते हैं क‍ि अभी इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है. इस बीच देखा जाए तो अधिकांश आरएसएस शिविर हर साल अप्रैल से जून तक आयोजित किए जाते हैं. वहीं कुछ श‍िव‍िर सर्दियों में भी आयोजित किए जाते हैं. इस साल करीब 100 से ज्‍यादा जगहों पर शिविरों का आयोजन क‍िया गया ज‍िनमें 20,000 से अधिक प्रशिक्षु शामिल हुए. ऊटी (Ooty) में प्रचारकों की बैठक से लौटे कई प्रतिनिधियों से बातचीत की गई.

सूत्र बताते हैं क‍ि सैद्धांतिक रूप से, हमने शिविरों की अवधि और प्रशिक्षण के तरीकों में बड़ा बदलाव करने का न‍िर्णय ल‍िया है. कुछ तौर-तरीकों और एक नई प्रणाली पर अभी चर्चा चल रही है. नई प्रणाली की घोषणा संभवतः कार्यकर्ता मंडल की बैठक में की जाएगी और निर्णय अगले वर्ष से लागू किया जाएगा. ऊटी बैठक में भाग लेने वाले एक वरिष्ठ प्रचारक ने कहा कि इन शिविरों की अवधि को कम करने के अलावा प्रशिक्षण के शारीरिक व्यायाम घटक को कम किया जाएगा और बौद्धिक (बौद्धिक प्रशिक्षण) घटक को बढ़ाया जाएगा.

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