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पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर अगले माह से देंगे आर्थिक विकास को नई गति

नई दिल्ली​। अगले दो महीनों के दौरान आरम्भ होने वाली दो बड़ी परियोजनाएं पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे और डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर उत्तर भारत ही नहीं, पूर्वी मध्य भारत के दूसरे राज्यों के आर्थिक विकास को भी गति देंगे। इससे जहां लोगों को कम समय में अधिक दूरी तय करने में मदद मिलेगी, वहीं उद्योगों और व्यापार जगत को उनका कच्चा और तैयार माल भी एक जगह से दूसरी जगह लेन ले जाने में भी काफी मदद मिलेगी।

पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे को जनवरी 2021 से शुरू किया जा सकता है जबकि डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के भी जनवरी में ही चालू होने की संभावना है। इसके तहत रेलवे मालगाड़ियों को वर्तमान रूट से हटाकर नई रेल ट्रैक्स पर चलाना आरम्भ कर देगा, जिससे मालगाड़ियां बहुत कम समय में कानपुर से नोएडा पहुंचा जाया करेंगी। इस एक्सप्रेस-वे के जरिए गाजीपुर से दिल्ली तक का सफर कुल 9 घंटे में पूरा किया जा सकता है। अब तक यह दूरी 15 से 16 घंटे में पूरी होती है।

उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अवनीश अवस्थी ने परियोजना की समीक्षा के बाद संकेत दिए हैं कि एक्सप्रेस-वे पर आवागमन को जनवरी से शुरू कर दिया जाएगा, जबकि टोल की प्रक्रिया 01 अप्रैल से शुरू होगी। लखनऊ से प्रारम्भ होकर ये एक्सप्रेस-वे गाजीपुर तक बन रहा है, जो पूर्वी उत्तर प्रदेश को दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तरांचल के करीब पहुंचाएगा। इससे बिहार और ओडिशा के लोगों को भी फायदा मिलेगा। इस एक्सप्रेस-वे के माध्यम से सड़क मार्ग से कच्चे माल और तैयार माल को लाने ले जाने में सहूलियत होगी। समय के साथ ही इसमें पेट्रोल और डीजल की भी बचत होगी, जो आर्थिक गतिविधियों को मजबूती प्रदान करेगा।गाजीपुर के हैदरिया से लखनऊ के चांदसराय तक 341 किलोमीटर लंबे इस छह लेन (आठ लेन तक बढ़ाए जा सकने वाले) एक्सप्रेस-वे पर फ्लाईओवर व अंडरपास का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो गया है। यह एक्सप्रेस-वे यूपी-बिहार सीमा से 18 किलोमीटर पहले राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-31 पर समाप्त होगा, यानी इसका पूरा लाभ बिहार को भी मिलेगा। वैसे आनेवाले दिनों में इसका विस्तार पटना तक किये जाने पर तेजी से विमर्श चल रहा है।

इसी तरह कानपुर से नोएडा के बीच डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर के भी अगले महीने शुरू होने की उम्मीद है, जिससे डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर पर मालगाड़ियों के संचालन से ट्रेनों की लेट लतीफी ख़त्म होगी और यात्री तथा मालगाड़ियां समय से अपने गंतव्य तक पहुंचा करेंगी। इसके पहले चरण में कानपुर से खुर्जा तक मालगाड़ी चलाने को हरी झंडी मिल चुकी है। इसके संचालन से न केवल अलग से मालगाड़ियों को अपना नया ट्रैक मिलेगा बल्कि वह 100 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से भी दौड़ सकेंगी और पैसेंजर ट्रेन भी 130 किलोमीटर की रफ्तार से बिना किसी विघ्न के संचालित हो सकेंगी।

अभी तक मालगाड़ी और यात्री गाड़ी एक ही ट्रैक पर चलती हैं। गाडिय़ों की संख्या अधिक होने के चलते दिक्कतें हो रही हैं। मालगाड़ियों को रास्ते में ही रोककर यात्री गाड़ियों को रवाना किया जाता है। अब फ्रेट कॉरिडोर से यह समस्या खत्म हो जाएगी। असल में यह पूरा कॉरिडोर 1856 किलोमीटर लंबा है, जिसे पांच सेक्शन में बांटा गया है। इसके माध्यम से 18 घंटे में कोलकाता से दिल्ली की दूरी तय हो सकेगी। इसके निर्माण से पश्चिम बंगाल से लुधियाना तक के उद्योगपतियों को राहत मिलेगी। पूरे दिल्ली-हावड़ा ट्रैक के वर्तमान रूट पर मालगाड़ियों का संचालन नहीं होगा। (एजेंसी, हि.स.)

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