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राहुल गांधी की ‘चौकड़ी’ खत्म! अब मिलिंद देवड़ा भी गए, एक के बाद एक करीबियों ने छोड़ा साथ

नई दिल्ली: साल 2014 में भारतीय जनता पार्टी की केंद्र में सरकार आने के बाद कांग्रेस के एक-एक कर बड़े नेता पार्टी से या तो किनारा कर रहे हैं या फिर छोड़कर जा रहे हैं. इनकी फेहरिस्त बहुत लंबी है, लेकिन सबसे ज्यादा लोगों का ध्यान पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी नेताओं ने खींचा है, जिनका अपने क्षेत्र में अच्छा खासा दबदबा रहा है. अब इसमें नया नाम महाराष्ट्र के दिग्गज नेता मिलिंद देवड़ा का जुड़ गया है.

राहुल गांधी के करीबी नेताओं की ‘चौकड़ी’ बिखर गई है. इनमें तीन नेताओं ने बीजेपी का दामन थामा है, जबकि मिलिंद देवड़ा एकनाथ शिंदे गुट वाली शिवसेना का दामन थामने जा रहे हैं. शिंदे गुट की शिवसेना के साथ बीजेपी का गठबंधन है और महाराष्ट्र में सरकार चल रही है. मिलिंद देवड़ा ने अपने इस्तीफे का ऐलान करते हुए कहा कि कांग्रेस से उनके परिवार का 55 साल का नाता खत्म हो गया है. उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. वह पिछले कई दिनों से कांग्रेस आलाकमान से नाराज चल रहे थे, जिसका समाधान नहीं निकल सका और उन्होंने पार्टी से अलग होने का फैसला ले लिया.

मिलिंद देवड़ा मुंबई दक्षिण लोकसभा सीट से 2004 और 2009 में सांसद चुने गए. हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में वे मोदी लहर के आगे टिक नहीं सके और उन्हें हार का सामना करना पड़ा. शिवसेना (अविभाजित) के अरविंद सावंत ने उन्हें हराया था. उस समय बीजेपी का गठबंधन शिवसेना से था. अरविंद सावंत अब उद्धव गुट के साथ हैं. लोकसभा चुनाव से पहले देवड़ा का इस्तीफा कांग्रेस के लिए यह एक बड़ा झटका बताया जा रहा है.


दरअसल, कांग्रेस के सामने युवा नेताओं को रोकने की एक बड़ी चुनौती है. पार्टी जब तक एक झटके से उबर पाती है तब तक दूसरा झटका लग जाता है. कांग्रेस की अंदरूनी कलह कई बार सार्वजनिक तौर पर सामने आई है, जिसका हालिया तौर पर डैमेज कंट्रोल तो कर लिया गया, लेकिन दीर्घकालिक समाधान खोजने में असफलता ही हाथ लगी.

ज्योतिरादित्य सिंधिया हुए जुदा

मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था. उनके साथ मध्य प्रदेश के 22 कांग्रेस विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया था, जिसकी वजह से पार्टी की सूबे में सरकार गिर गई थी और बीजेपी दोबारा सत्ता में लौटी थी. सिंधिया ने कांग्रेस से अलग होकर बीजेपी का दामन थामा. वह इस समय केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हैं. सिंधिया के बारे में कहा जाता है कि वे राहुल गांधी के बेहद करीबियों में से एक रहे हैं.

यूपी के ब्राह्मण चेहरा रहे जितिन प्रसाद ने छोड़ा साथ

जून 2021 में जितिन प्रसाद ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया था. उनका कहना था कि उन्होंने कांग्रेस को किसी व्यक्ति या किसी पद के लिए नहीं बल्कि इसके घटते वोट आधार और पार्टी व उत्तर प्रदेश के लोगों के बीच बढ़ती दूरी के कारण छोड़ा है. जतिन प्रसाद का परिवार तीन पीढ़ियों से कांग्रेस से जुड़ा हुआ था. वह खुद कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्य रहे. वह कांग्रेस के प्रमुख नेता रहे जितेंद्र प्रसाद के बेटे हैं. जतिन ब्राह्मण परिवार से आते हैं और यूपीए में एक बड़ा चेहरा राजनीतिक चेहरा हैं. वह राहुल गांधी के बेहद करीबियों में गिने जाते हैं. इसके बावजूद भी उन्होंने कांग्रेस से निकलना बेहतर समझा. वह इस समय यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री हैं.

आरपीएन सिंह ने भी यूपी चुनाव से पहले दिया था इस्तीफा

जनवरी 2022 में आरपीएन सिंह ने कांग्रेस छोड़ दी थी. यूपी विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को बड़ा झटका लगा था. यहां तक पार्टी ने उन्हें स्टार प्रचारक बनाया था. पार्टी छोड़ने के बाद आरपीएन सिंह का कहना था कि उन्होंने 32 सालों तक कांग्रेस में ईमानदारी से मेहनत की. हालांकि उन्होंने आरोप लगाया था कि जहां से उन्होंने शुरुआत की थी वो पार्टी अब बची नहीं और न ही उस तरह की सोच बची है. आरपीएन सिंह कुशीनगर के रहने वाले हैं और सूबे का एक बड़ा राजनीतिक चेहरा माने जाते हैं और उनकी युवाओं में अच्छी पकड़ है. आरपीएन सिंह को भी राहुल गांधी का करीबी माना जाता है.

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