इंदौर न्यूज़ (Indore News)

जोबट-आलीराजपुर में दोनों दलों के लिए बागी बने मुसीबत

इंदौर।  प्रदेश (State) की राजनीति (Politics) में सत्ता का रास्ता आदिवासी सीटों (Tribal Seats) से होकर जाता है, यह बात दोनों ही दल जानते हैं। इस बार दोनों ने ही खूब दम लगाया है, लेकिन जोबट ( Jobat) और आलीराजपुर (Alirajpur) जैसी सीटें इस बार चौंकाने वाले परिणाम दे सकती हैं। आलीराजपुर में त्रिकोणीय तो जोबट में चार-चार प्रत्याशियों के खड़े होने के बाद मुकाबला चतुकोष्णीय हो गया था। यहां स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि जीत किसकी होगी?


गुजरात (Gujarat) से लगी जोबट विधानसभा में 2018 में कांग्रेस का विधायक था, लेकिन उपचुनाव में सुलोचना रावत भाजपा से लड़ीं और जीत गईं। इस बार सुलोचना को स्वास्थ्यगत कारणों से टिकट नहीं दिया गया और उनके पुत्र विशाल को यहां से लड़ाया गया है। चूंकि वे पुराने कांग्रेसी हैं, इसलिए भी भाजपा में अंदर ही अंदर विरोध हुआ। यहां से भाजपा के बागी के रूप में माधौसिंह डाबर ने फार्म भर दिया था और चुनाव भी लड़ा। कांग्रेस से महेश पटेल की पत्नी सेना पटेल को टिकट दिया गया, लेकिन यहां भी सूरपालसिंह अजनार ने कांग्रेस के बागी के रूप में फार्म भर दिया। चारों में इस चुनाव में जोरदार मुकाबला हुआ और अब कोई यह कहने की स्थिति में नहीं है कि कौन जीतेगा? स्थानीय सूत्रों का कहना है कि जो निर्दलीय बागी के रूप में खड़े हुए हैं वे पूरा गणित बिगाड़ सकते हैं और मुकाबला चतुकोष्णीय होने के कारण कोई बागी अगर जीत जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। वैसे सीधा मुकाबला तो विशाल रावत और सेना पटेल के बीच ही है। यही स्थिति आलीराजपुर में बनी है, जहां नागरसिंह चौहान और मुकेश पटेल आमने-सामने हैं, लेकिन कांग्रेस से निर्दलीय के रूप में यहां से जिलाध्यक्ष रहे वकीलसिंह ठकराला के भाई सुरेंद्र ठकराला को उतारा गया है, जो दोनों ही पार्टियों के समीकरण बिगाड़ रहे हैं, लेकिन वे कांग्रेस का ज्यादा नुकसान कर सकते हैं। इसलिए भी कहा जा रहा है कि यहां भी कुछ कहा नहीं जा सकता। अगर वे कांग्रेस के वोट काटते हैं तो फिर भाजपा का फायदा होना तय है।

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