कीव (Kyiv)। रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) को शुक्रवार को एक वर्ष पूरे हो गए, लेकिन अब भी यूक्रेनी लड़ाके (Ukrainian fighters) मैदान में रूसी सेना (Russian army) के खिलाफ मोर्चा संभाले हुए हैं। इस बीच, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की (Ukrainian President Volodymyr Zelensky) ने कहा कि उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Chinese President Xi Jinping) से मिलने की योजना बना रहे हैं। एजेंसी ने यह जानकारी दी है।
इससे पहले जेलेंस्की के कार्यालय ने कहा था कि यह युद्ध और भी विनाशकारी हो सकता है और यूक्रेनी सेना इससे निपटेगी। उधर, रूस ने दोनबास के पूर्वी औद्योगिक क्षेत्र के सभी हिस्सों पर कब्जा करने के लिए अपना अभियान और तेज करते हुए लगातार गोलाबारी कर रहा है। विशेषज्ञों ने भी चेताया कि यह युद्ध अभी वर्षों तक खिंच सकता है।
रूस-यूक्रेन युद्ध में चीन के कदम ने बढ़ाई पश्चिमी देशों की टेंशन
रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिका समेत कई पश्चिमी देश भले ही पुतिन की सेना को ललकारते दिख रहे हैं, लेकिन चीन ने जो कदम उठाया है उसने इन सभी देशों की चिंता बढ़ा दी है। अमेरिका ने कहा है कि चीन रूस को हथियारों की मदद पहुंचाने वाला है, जिससे पुतिन की सेना यूक्रेन पर और ज्यादा आक्रामक हो जाएगी।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने जानकारी दी है कि चीन, रूस को हथियार और गोला-बारूद उपलब्ध कराने पर विचार कर रहा है जो कि आने वाले समय में मुश्किलें खड़ी कर सकता है। एंटनी ब्लिंकन ने आगे कहा कि चीन रूस की कार्रवाई की ना तो आलोचना करता है ना ही वो रूस पर यूक्रेन के हमले को गलत मानता है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि चीन की तरफ से कोई भी हथियार आपूर्ति सिर्फ पश्चिमी देशों के लिए ही नहीं दुनिया के अन्य देशों के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं।
अमेरिका से तनाव ने रूस और चीन को लाया और करीब
विश्लेषकों ने भी ध्यान दिलाया है कि अमेरिका और चीन के रिश्तों में लगातार बढ़ते तनाव के बीच रूस और चीन के संबंध मजबूत होते गए। इसे लेकर अमेरिकी अधिकारियों के कान खड़े हो गए हैं। जर्मनी में हुए म्युनिख सुरक्षा सम्मेलन के दौरान जब अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन वांग यी से मिले, तो उन्होंने चेतावनी दी थी कि चीन रूस को हथियार ना दे। हालांकि रूस को हथियार देने की बात का चीन लगातार खंडन करता रहा है, लेकिन हाल में इस बारे में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का शक गहरा गया है।
