भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

अभयारण्य में दिखेगी सौन चिरैया, जैसलमेर में रखरखाव का लेगा प्रशिक्षण अमला

  • वन विभाग शासन को भेजेगा प्रस्ताव, स्वीकृति के बाद आइगी सौन चिरैया व अंडा

भोपाल। ग्वालियर के अभयारण्य क्षेत्र में जल्द ही अब सौन चिरैया दिखाई देगी। इसके लिए वन विभाग राजस्थान के जैसलमेर से सौन चिरैया का जोड़ा लाने का प्रयास कर रहा है। सौन चिरैया लाने से पहले उसे व उसके अंडों के रखरखाव का प्रशिक्षण लेने वन अमला जैसलमेर जाएगा। इसका प्रस्ताव शासन को भेजा जा रहा है। अुनमति मिलने के बाद अमला प्रशिक्षण लेकर आएगा और जैसलमेर से सौन चिरैया व अंडे लाकर यहां हेचिंग (प्रजनन) कराई जाएगी। आपको बता दें वर्ष 2011 में ग्वालियर के अभयारण्य क्षेत्र में सौन चिरैया का अंडा मिला था, जबकि 2007-08 के बाद से अभयारण्य में सौन चिरैया नहीं देखी गई। माना जाता है कि अभयारण्य में अब सौन चिरैया उपलब्ध नहीं है। इधर सौन चिरैया अभयारण्य के रखरखाव पर प्रतिवर्ष सरकार लगभग पचास लाख स्र्पये खर्च करती है।

तारों का बेड़ा और पानी के घाट बनेंगे
सौन चिरैया को लाने से पहले उनके रहने का स्थान तैयार किया जाना है। इसके लिए एक बेड़ा (रहने का स्थान) तैयार किया जाएगा, जिसके चारों ओर तार फैंसिंग की जाएगी। देवरी मुरैना में घडिय़ाल के लिए हेचिंग सेंटर की तरह यहां भी सौन चिरैया के लिए हेचिंग सेंटर तैयार होगा। सौन चिरैया के अंडों का 90 दिन तक रखरखाव के बाद उसमें चूजा निकलता है, जो अगले 12 साल में वयस्क होता है।

400 वर्ग किमी में फैला अभयारण्य
जिले में सौन चिरैया अभयारण्य का क्षेत्र 400 वर्ग किलोमीटर में फैला है। वेस्टर्न बाइपास के चलते अभयारण्य से 111.73 वर्ग किमी का क्षेत्रफल अलग किया गया है। बाइपास पर वन अमला अपनी दो चौकी बनाएगा। इससे वाहनों पर निगरानी रखी जा सके। वन अमला व पेट्रोलिंग बढ़ेगी।

जैसलमेर में दो सैकड़ा सौन चिरैया
वन विभाग के अफसरों का कहना है कि राजस्थान के जैसलमेर व महाराष्ट्र में कुछ स्थानों पर करीब दो सैंकड़ा सौन चिरैया मौजूद हैं। जैसलमेर में केंद्र सरकार ने सौन चिरैया के अंडों के रखरखाव(ब्रीडिंग फार्म) तैयार किया है। ऐसा ही फार्म ग्वालियर में शुरू किया जाना है।

इनका कहना है
जैसलमेर से सौन चिरैया व उसका अंडा लाने से पहले वन अमले को प्रशिक्षण के लिए वहां भेजा जाएगा। इसके लिए शासन स्तर पर बात हो चुकी है। अब प्रस्ताव तैयार कर भेजना है। अनुमति मिलने के बाद ग्वालियर में हेचिंग सेंटर तैयार किया जाएगा और वन अमला प्रशिक्षण लेने जाएगा।
डा. बीएस अन्निगरीसीसीएफ वन विभाग

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