भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

सरकार के ‘खजांचियों’ से मंत्री के नाम पर वसूली की तैयारी!

  • डीपीसी से पहले बुलाए गोपनीय प्रतिवेदन, मंत्रालय में सीएआर दबाई

भोपाल। वित्त विभाग में मंत्री जगदीश देवड़ा के नाम पर डीपीसी से लेकर अधिकारियों के तबादले तक पैसा वसूलने के मामले सामने आ रहे हैं। खबर है कि वित्त विभाग ने हाल ही में एक आदेश जारी किया है, जिसमें कहा है कि मप्र के वित्त सेवा के जिन अधिकािरयों के गोपनीय प्रतिवेदन (सीआर) उपलब्ध नहीं है वह 26 दिसंबर जमा करा दें। सीआर नहीं होने पर प्रमोशन रुक सकता है। बताया गया कि वित्त विभाग ने जानबूझकर ऐसा आदेश जारी किया है। ताकि सीआर के आधार पर प्रमोशन किए जा सके। इसमें मंत्रालय के कुछ अधिकारियों की अहम भ्ूामिका बताई जा रही है, जो खुद को मंत्री का करीबी बताते हैं। सूत्रों के अनुसार वित्त विभाग के संचालक महेश कुमार गुप्ता ने भी कई वित्त अधिकारियों की सीआर पर साइन नहीं किए हैं। उनके कुछ मामले तो 6 साल पुराने भी पेंडिंग है, जिस पर उन्होंने कर्मचारियों व अधिकारियों की सीआर पर साइन नहीं किए। यह आदेश मप्र वित्त सेवा के समस्त संचालक, अपर संचालक, संयुक्त संचालक, उप संचालक, सहायक संचालक के लिए जारी किया गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि वित्त विभाग को 26 दिसंबर तक सीआर कैसे मिलेगी। इस संबंध में वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा की ओर से किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी गई।

पूरा खेल वित्त मंत्री के नाम पर
वित्त विभाग के सूत्र बताते हैं कि मंत्री के नाम पर भी अधिकारियों को तबादले का भय दिखाकर वसूली की जा रही है। प्रदेश में सत्ता बदलते ही वित्त विभाग के अधिकारियों ने कर्मचारियों के जरिए वित्त अधिकारियों को तबादले की सूचना दी और तबादला रुकवाने के नाम पर पैसा वसूली की भी चर्चा है। इस खेल में कुछ प्रायवेट लोग भी शामिल हैं, जो मंत्रालय में वित्त अधिकारियों के संपर्क में हैं।

उपसचिव की भूमिका पर सवाल
प्रमोशन के लिए सीआर बुलाने के लिए आदेश जारी करने में वित्त विभाग के उपसचिव मनोज जैन की भूमिका भी घेरे में है। वित्त विभाग से जुड़े सूत्रों ने बताया कि उपसचिव जैन वित्त अधिकारियों की फाइलों में जानबूझकर अंडग़ा लगाते हैं और खामियां निकालते हैं। इस वजह से वित्त अधिकारियों को फाइल दुरुस्त कराने के लिए मजबूरी में उनसे संपर्क करना पड़ता है। सामान्यत: जो वित्त अधिकारी दूसरे विभाग में पदस्थ हैं, उसकी सीआर समय पर भेजी जाती है, लेकिन मंत्रालय में दबा दी जाती है। मंत्रालय में वित्त विभाग की स्थापना की मनमर्जी से उपसंचालक व सहायक संचालक बेहद त्रस्त हैं। जिसमें अन्य कर्मचारी की भूमिका भी संदेह है।

आबकारी विभाग में भी बाबू का दखल
सूत्र बताते हैं कि वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा के स्टाफ में लिपिक नरेन्द्र विजयवर्गीय बहुत ताकतवर है। पिछले कार्यकाल मेें जब वे परिवहन मंत्री थे, तब भी विजयवर्गीय उनके साथ था, लेकिन इस बार वह मंत्री के बेहद करीब है। वित्त विभाग की तरह आबकारी विभाग में भी बाबू का दखल रहता है।

मंत्री के नाम पर तबादले का खेल
वित्त मंत्री के निजी स्टाफ में पदस्थ एक लिपिक और वित्त विभाग की स्थापना शाखा में पदस्थ एक अधिकारी की मिलीभगत से तबादले भी हो रहे हैं। वित्त मंत्री से जुड़े सूत्रों ने बताया कि मंत्री स्थापना में पदस्थ एलडीसी नरेन्द्र विजयवर्गीय और मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा मिलीभगत से वित्त अधिकारियों के तबादले किए जाते हैं। जिसमें उपसचिव मनोज जैन की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। क्योंकि वे लंबे समय से स्थापना शाखा का काम देख रहे हैं।

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