आचंलिक

बिन बरसे ही गुजर रहा सावन दम तोड़ रही खरीफ फसलें

  • बरसात के सीजन में भी हवा उगल रहे हैंड पंप, सूखे पड़े सभी जल स्त्रोत

जबेरा। आषाढ़ माह बिन वरसें गुजरने के बाद सावन में अच्छी बारिश की उम्मीद की जा रही थी किंतु सावन में भी बारिश नहीं होने के बाद अब हालात भीषण जल संकट के निर्मित होने लगे हैं। वही खरीफ फसलें बारिश नहीं होने की कारण दम तोडऩे की कगार पर खड़ी हैं जिससे क्षेत्र के किसान काफी चिंतित नजर आने लगे हैं। क्षेत्र के किसानों ने धान सहित उड़द सोयाबीन तिली आदि जिंसों की बोवनी तो कर दी लेकिन बारिश ना होने के कारण पौधे पीले पढ़कर सूखने की कगार पर पहुंच गए हैं। विगत तीन वर्षों से क्षेत्र के किसान अल्प वर्षा के कारण जूझ रहे हैं जिससे इस वर्ष अच्छी बारिश होने की उम्मीद जताई जा रही थी और मानसून का आगाज भी धमाकेदार तरीके से हुआ था। किंतु उसके बाद आषाढ़ माह से लेकर अब तक आसमान में बादलों का डेरा तो बना रहता है लेकिन बारिश नहीं हुई जिससे क्षेत्र के करीब साठ फीसदी किसानों ने वर्षा नहीं होने के कारण खरीफ की बोवनी नहीं की और जिन किसानों ने जैसे तैसे बोवनी तो कर दी किंतु बारिश के अभाव में पौधे पीले पढ़कर सूखने की कगार पर पहुंच गए हैं। वही बारिश ना होने के कारण क्षेत्र के तालाब नदियां सहित सभी जल स्त्रोत सावन माह में भी सूखे पड़े हैं और हेंड पंप अब भी पानी की जगह हवा उगल रहे हैं वाटर लेवल दिन प्रतिदिन नीचे खिसकता जा रहा है।



जिससे अब अनुमान लगाया जा रहा है की आने वाले समय में भीषण जल संकट की स्थिति निर्मित होने वाली है जिसके लिए लोगों को अभी से तैयार रहना होगा। अल्प वर्षा से जूझ रहे क्षेत्र के किसानों का कहना है कि अगर यही हालात रहे तो फसलें आना तो दूर की बात पीने के लिए भी लोग बूंद बूंद पानी के लिए तरसेंगे। वहीं बारिश नहीं होने के कारण भीषण गर्मी और उमस से लोग परेशान हैं बीमारियों में निरंतर इजाफा होता जा रहा है सर्दी खांसी और बुखार के मरीज बढ़ते जा रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर कुछ दिन और बारिश नहीं हुई तो फसलें तो चौपट होंगी ही गर्मी और उमस के कारण हर घर में लोग बीमार नजर आएंगे। साथ ही जो जल पूर्ति करने वाले स्त्रोत बचे हैं वह भी समाप्त हो जाएंगे। विगत तीन वर्षों से हो रही कम बारिश का मुख्य कारण प्रकृति का हो रहा लगातार दोहन ही माना जा रहा है जिसमें जंगलों का सफाया कर अवैध कब्जा करना और बारिश के पानी को सहेजने के कोई इंतजाम ना होना है। अगर हम प्रकृति के प्रति अब भी सजग ना हुए तो आने वाले समय में हालात और भी भयानक होंगे।

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