इंदौर न्यूज़ (Indore News)

सरदारजी के स्कूटर की आवाज सुन दौड़े चले आते हैं श्वान

बेटे के साथ सुबह-शाम करीब 100 श्वानों को दूध पिलाने निकलते हैं
इंदौर। रीगल चौराहे (Regal Crossroads) पर शाम 7 बजे से ही आरएनटी मार्ग (RNT Marg)  की ओर टकटकी लगाए खड़े ढेरों श्वान…थोड़ी ही देर में एक स्कूटर की आवाज आती है और श्वान उसी आवाज की ओर दौड़े चले जाते हैं… रीगल चौराहे (Regal Crossroads) पर राउंड लगाने के बाद जब स्कूटर रुकता है तो दो-चार-दस नहीं, बल्कि 15 से 20 श्वान आसपास मंडराने लगते हैं… सरदारजी स्कूटर से उतरते हैं और उनके लिए अलग-अलग पॉट में दूध रखते हैं…यह सिलसिला आज से नहीं, बल्कि कई वर्षों से चल रहा है।


झाबुआ टॉवर (Jhabua Tower) में रहने वाले दलबीरसिंह ( Dalbir Singh) और उनके पुत्र नवजोत की यही दिनचर्या है। अपनी मां से मिली प्रेरणा के बाद सरदारजी सुबह और शाम सडक़ों पर घूमने वाले आवारा श्वानों (Stray Dogs) के लिए दूध (Milk) और बिस्किट (Biscuits) उपलब्ध करवाते हैं। यह सिलसिला लॉकडाउन (Lockdown) में नहीं, बल्कि कई सालों से चल रहा है। बकौल दलबीरसिंह, मां अपने घर के आसपास के श्वानों को खिलाती-पिलाती थीं, ताकि वे भूखे नहीं रहें। ये भूखे रहते हैं तो इनसे डर भी बना रहता है। 1980 में पिता के निधन के बाद मां भी ये कार्य करती थी। बस उन्हीं से यही सीख मिली और अब मैं तथा मेरा बेटा रोज यह काम कर रहे हैं। सरदारजी का समय फिक्स है। झाबुआ टॉवर स्थित अपने घर से निकलते हैं और एक थैले में होती है दूध की थैलियां। वे रोज करीब 15 से 20 लीटर दूध लेकर निकलते हैं। सिलसिला शुरू होता है झाबुआ टॉवर के आसपास घूमने वाले श्वानों से। इसके बाद रीगल तिराहा, जहां शाम 7 बजते से ही श्वानों का एक बड़ा झुंड सरदारजी की राह तकते रहता है। जैसे ही उनके स्कूटर की आवाज आई वे चौकन्ने हो जाते हैं और सडक़ के एक ओर जाकर खड़े हो जाते हैं। इस बीच अगर कोई अपरिचित उनके बीच आ जाए तो भोंकने लगते हैं। यहां करीब 15 से 20 श्वानों की टोली को वे दूध पिलाकर रवीन्द्र नाट्यगृह परिसर में चले जाते हैं, जहां 5 से 7 श्वान उनकी राह देखते हैं। इसके बाद मधुमिलन चौराहा और छावनी। दलबीरसिंह कहते हैं कि इनकी सेवा में ही ईश्वर की सेवा है।

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