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SCO Summit: पीएम मोदी ने उठाया आतंकवाद का मुद्दा, जानें पुतिन और शी जिनपिंग ने क्या कहा?

नई दिल्ली (New Delhi)। मंगलवार को शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन यानी एससीओ (Shanghai Cooperation Organization – SCO) की वर्चुअल समिट (Virtual Summit) आयोजित हुई. इस बैठक में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin), चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Chinese President Xi Jinping) और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ (Pakistan Prime Minister Shahbaz Sharif) भी शामिल हुए. बैठक की अध्यक्षता भारत ने की. संयुक्त मौजूदगी में सदस्य देश के नेताओं का उद्देश्य अलग-अलग मुद्दों पर केन्द्रित लग रहा था।

भारत के प्रधानमंत्री पीएम मोदी ने क्या मुद्दा उठाया
शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ देश अपनी नीतियों के औजार के तौर पर सीमा पार आतंकवाद का इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने एससीओ से ऐसे देशों की आलोचना करने का भी आह्वान किया. पीएम मोदी ने कहा कि ऐसे गंभीर मामलों में दोहरे मापदंड के लिए कोई जगह नहीं हो सकती।


बैठक के मेजबान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने इस मंच को अपने देश के बढ़ते कद का संकेत देने के लिए भी इस्तेमाल किया. भारत ने अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान पर निशाना साधने के अवाला अन्य देशों से ‘आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई’ में एकजुट होने का आह्वान किया।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने क्या कहा
बैठक में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि यूक्रेन पर मास्को के हमले के बाद रूस पश्चिमी प्रतिबंधों का विरोध करना जारी रखेगा. पुतिन ने स्थानीय मुद्राओं में एससीओ देशों के बीच व्यापार समझौतों का समर्थन किया. पुतिन ने कहा कि ये कदम प्रतिबंधों को कम करने के प्रयास के रूप में देखा जाना चाहिए।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने वैगनर के विद्रोह को रोके जाने का जिक्र किया. पुतिन ने कहा कि एससीओ चीन और रूस के नेतृत्व में सुरक्षा और आर्थिक सहयोग पर बना एक क्षेत्रीय ढांचा है। बता दें कि जून के अंत में वैगनर समूह के विद्रोह के बाद यह पहली बार था जब पुतिन ने अंतरराष्ट्रीय नेताओं के साथ देखा गया।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर वी पुतिन ने जिस तरह से शंघाई की बैठक में वैगनर समूह का जिक्र किया उससे ये लगा कि उनके लिए ये बैठक वैगनर विद्रोह के बाद अपनी ताकत दिखाने का एक मंच था और यूक्रेन-रूस युद्ध के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन का दावा करना था।

शी जिनपिंग ने क्या कहा
चीन के शीर्ष नेता शी जिनपिंग के लिए शिखर सम्मेलन “शक्ति की राजनीति” को समाप्त करने का आह्वान करके संयुक्त राज्य अमेरिका को घेरने का एक और अवसर था. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एससीओ सम्मेलन के दौरान डॉलर को त्यागने का प्रस्ताव दिया।

भारत के लिए कैसे अहम रहा ये समिट
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों ने मंगलवार को नई दिल्ली डिक्लेरेशन को स्वीकार कर लिया. इसकी घोषणा विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने भारत द्वारा आयोजित डिजिटल शिखर सम्मेलन के बाद की थी. क्वात्रा के मुताबिक, राष्ट्रों ने दो संयुक्त बयान जारी किए – एक अलगाववाद, चरमपंथ और आतंकवाद की ओर ले जाने वाले कट्टरपंथ का मुकाबला करने में सहयोग पर था और दूसरा डिजिटल परिवर्तन के क्षेत्र में सहयोग पर था।

भारत ने चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का किया विरोध
भारत ने चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) को लेकर अपना पक्ष रखा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना को लेकर चीन पर निशाना साधते हुए कहा कि संपर्क परियोजनाएं महत्वपूर्ण हैं लेकिन अन्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना भी जरूरी है।

शिखर सम्मेलन में मोदी ने कहा, “किसी भी क्षेत्र की प्रगति के लिए मजबूत संपर्क जरूरी है. कनेक्टिविटी न केवल आपसी व्यापार को बढ़ाती है, बल्कि आपसी विश्वास को भी बढ़ावा देती है. लेकिन इन प्रयासों में, एससीओ चार्टर के बुनियादी सिद्धांतों को बनाए रखना आवश्यक है, विशेष रूप से सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना जरूरी है।

चीन, भारत, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान और अब ईरान सहित समूह के वर्चुअल शिखर सम्मेलन के अंत में भारत ने बीआरआई का समर्थन करने से इनकार कर दिया. ऐसा करने वाला एकमात्र देश बन गया।

भारत बीआरआई के खिलाफ क्यों है?
जब से यह परियोजना शुरू हुई है और देशों ने इसके लिए हस्ताक्षर करना शुरू किया है, भारत ने नियमित रूप से इसका विरोध किया है और यहां तक कि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी इस बुनियादी परियोजना पर चिंता व्यक्त की है।

बीआरआई के साथ भारत का सबसे बड़ा मुद्दा चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) है. ये चीन के शिनजियांग उइघुर स्वायत्त क्षेत्र में काशगर से पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिम बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह तक जाता है. उसके बाद ये गिलगित बाल्टिस्तान में पाकिस्तान के कब्जे वाले भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करता है।

इसके अलावा, निवेश परियोजना में पाकिस्तान के राष्ट्रीय राजमार्ग 35 – काराकोरम राजमार्ग या चीन-पाकिस्तान मैत्री राजमार्ग का नवीनीकरण और उन्नयन शामिल है. साथ ही नियंत्रण रेखा (एलओसी) के उत्तर में गिलगित को स्कर्दू से जोड़ने वाले राजमार्ग का नवीनीकरण भी शामिल है।

भारत का मत है कि यह परियोजना संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करती है। भारत इस बात को लेकर भी चिंतित है कि यह परियोजना क्षेत्र में चीन की रणनीतिक उपस्थिति को बढ़ाती है. उसे यह भी डर है कि इस तरह की पहल से भारत चीन पर निर्भर हो जाएगा. 2017 में ही भारत ने इस परियोजना में शामिल होने के लिए आमंत्रित किए जाने पर यह चिंता व्यक्त की थी।

चीन ने अमेरिका और भारत के बारे में क्या कहा
इस वर्चुअल बैठक को शी ने चीन का प्रभाव अमेरिका से ज्यादा बड़ा करने के एक मौके के तौर पर देखा. उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन को “वैश्विक शासन में सुधार” और “चीनी शैली के आधुनिकीकरण” को बढ़ावा देने का एक तरीका बताया. शी ने मीटिंग के दौरान चीन और उसके सहयोगियों को बिजनेस और आर्थिक क्षेत्र में विस्तार देने की चुनौतियों के बारे में बात की।

भारत उस दृष्टि में कहां फिट बैठता है, यह देखा जाना बाकी है. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी सदस्यों से व्यापार, कनेक्टिविटी और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने का आह्वान किया।

दूसरी तरफ पीएम मोदी की पिछले महीने वाशिंगटन की एक हाई-प्रोफाइल यात्रा ने चीन के संदेह का तेज कर दिया है. चीन ऐसा सोच रहा है कि भारत चीन के उदय को रोकने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के करीब आ रहा है।

उन तनावों के बावजूद भारत ने शिखर सम्मेलन में अपने हित की बात रखी. बता दें कि भारत ऊर्जा आपूर्ति के लिए मध्य एशियाई देशों पर निर्भर करता है और भारत अफगानिस्तान में भी अपना प्रभाव बनाए रखना चाहता है. अफगानिस्तान पर पाकिस्तान का गहरा प्रभाव है।

मोदी ने शांति और समृद्धि के लिए समिट को ‘एक महत्वपूर्ण मंच’ बताते हुए इसकी सराहना की. पीएम मोदी ने समूह से उन देशों की निंदा करने का आग्रह किया जो ‘ औजार के रूप में आतंकवाद का इस्तेमाल करते हैं’. पीएम मोदी की यह टिप्पणी पाकिस्तान के संदर्भ में थी, जिस पर भारत विवादित कश्मीर क्षेत्र में आतंकवादियों को प्रायोजित करने का आरोप लगाता है।

पुतिन और शी ने व्यापार विस्तार पर की बात
रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि चीनी और रूस के बीच 80% से ज्यादा व्यापार रूबल और युआन में हुआ है. उन्होंने दूसरे एससीओ सदस्यों से भी इसी प्रक्रिया का पालन करने का आग्रह किया. उन्होंने अगले साल एससीओ का स्थायी सदस्य बनने के लिए रूसी सहयोगी बेलारूस के आवेदन का भी स्वागत किया।

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