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हनुमान जी के भक्‍तों पर कुदृष्टि नही डालते शनिदेव, जानें आखिर क्‍यों दिया था ऐसा वचन

नई दिल्ली। शनिदेव (Shani Dev) की कुदृष्टि से हर कोई भयभीत रहता है। शनिदेव की बुरी नजर से व्यक्ति का जीवन बुरी तरह से प्रभावित होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनिदेव के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए पवनपुत्र हनुमान जी की उपासना करनी चाहिए। मान्यता है कि हनुमान जी (Hanuman) की पूजा करने से भक्तों पर शनिदेव (Shani Dev) का अशुभ प्रभाव नहीं पड़ता है।

शनिदेव ने दिया था हनुमान जी को वचन-
धार्मिक कथाओं के अनुसार, शनिदेव को रावण ने लंका में बंधी बना रखा था। तब हनुमान जी ने ही शनिदेव को रावण के बंधन से मुक्त कराया था। उस वक्त शनिदेव से हनुमान जी को वचन दिया था कि उनके अशुभ प्रभाव बजरंगबली को भक्तों पर नहीं पड़ेंगे।

शनिवार को हनुमान जी की पूजा करने से मिलते हैं शुभ फल-
धार्मिका मान्यताओं के अनुसार, शनिवार (Saturday) के दिन हनुमान जी व शनिदेव की पूजा करने से भक्तों को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। शनिवार का दिन हनुमान जी व शनिदेव को समर्पित माना गया है। इसलिए इस दिन हर व्यक्ति को हनुमान जी व शनिदेव की पूजा करनी चाहिए।



शनिदोष से मुक्ति पाने के उपाय-
शनिवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है। अगर संभव हो तो इस दिन सुंदरकांड का पाठ भी अवश्य करें। हनुमान जी की पूजा करने से शनिदोष से मुक्ति पाने की मान्यता है।

हनुमान जी को पवन पुत्र क्यों कहा जाता है?
पौरा​णिक कथा के अनुसार, केसरी राज के साथ विवाह करने के बाद कई वर्षों तक माता अंजना को पुत्र सुख की प्राप्ति नहीं हुई। वह मंतग मुनि के पास जाकर पुत्र प्राप्ति का मार्ग पूछने लगीं। ऋषि ने बताया की वृषभाचल पर्वत पर भगवान वेंकटेश्वर की पूजा-अर्चना करो। फिर गंगा तट पर स्नान करके वायु देव को प्रसन्न करो। तुम्हारी मनोकामना पूर्ण होगी। माता अंजना वायु देव को प्रसन्न करने में सफल रहीं। वायु देव ने उन्हें दर्शन देकर आशीष दिया कि उनका ही रूप उनके पुत्र के रूप में अवतरित होगा। इस तरह मां अंजना ने हनुमान जी के रूप में पुत्र को जन्म दिया। इसी कारण हनुमान को पवनपुत्र, केसरीनंदन आदि नामों से जाना जाता है।

नोट- उपरोक्‍त दी गई जानकारी व सुझाव समान्‍य सूचना के लिए हैं हम इसकी सत्‍यता की पुष्‍टी नही करते हैं.

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