नई दिल्ली (New Delhi) । महाविकास अघाड़ी (Mahavikas Aghadi) के बड़े घटक दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के शरद पवार (Sharad Pawar) गुट ने चुनाव आयोग (election Commission) को पत्र लिखकर चौंकाने वाला दावा किया है कि पार्टी में कोई विभाजन नहीं हुआ है और चुनाव आयोग को एनसीपी के नाम और पार्टी के सिंबल पर दावा करने वाले अजीत पवार (Ajit Pawar) खेमे के आवेदन की अनदेखी करनी चाहिए। शरद पवार खेमे की ओर से यह दलील चुनाव आयोग द्वारा प्रतिद्वंद्वी एनसीपी गुटों से चुनाव आयोग को सौंपे गए दस्तावेजों को एक-दूसरे के साथ साझा करने के लिए कहने के जवाब में आई है, जिसमें दोनों गुटों ने असली पार्टी होने का दावा किया है।
शरद पवार खेमे की ओर से लिखे गए पत्र में दावा किया गया है कि अजित पवार खेमे द्वारा पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह पर दावा करना निराधार है और दुर्भाग्यपूर्ण है। चिट्ठी में कहा गया है, “एनसीपी के चुनाव चिह्न की मांग असामयिक और दुर्भावनापूर्ण है और इसे खारिज किया जाना चाहिए।” पत्र में दावा किया गया है कि अजित पवार खेमे ने यह नहीं दिखाया है कि एनसीपी टूट गई है।
शरद पवार गुट ने चुनाव आयोग को लिखी चिट्ठी में तर्क दिया है कि आयोग में अजित पवार द्वारा दायर याचिका में एक जुलाई तक के घटनाक्रम का जिक्र किया गया है, और तब तक एनसीपी के दो गुटों में बंटने के कोई सबूत ही नहीं थे। बता दें कि अजित पवार ने एनसीपी के आठ अन्य विधायकों के साथ 2 जुलाई को एकनाथ शिंदे सरकार में उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
एकनाथ शिंदे गुट की ही तरह अजित पवार गुट भी दावा करता रहा है कि वही असली एनसीपी है और उसे पार्टी के अधिकांश विधायकों और सांसदों का समर्थन प्राप्त है। उनके नेतृत्व वाले गुट ने चुनाव आयोग में याचिका दायर कर पार्टी के नाम और सिंबल पर दावा किया है। अजित गुट ने ये भी दावा किया है कि 30 जून को ही पार्टी कार्यकारिणी ने अजित पवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया था।
दूसरी तरफ चाचा शरद पवार के गुट ने आयोग को लिखा है कि प्रथम दृष्टया अजित पवार यह प्रदर्शित और साबित करने में विफल रहे हैं कि एनसीपी में कोई विवाद या टूट है। आयोग ने भी प्रथम दृष्टया यह नहीं कहा है कि एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार और अजित पवार के बीच कोई विवाद मौजूद है। शरद गुट ने ये भी दावा किया है कि 1 जुलाई से पहले अजित पवार ने न तो शरद पवार और न ही एनसीपी के किसी नेता के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज कराई और न ही उन्होंने शरद पवार या एनसीपी के किसी नेता के साथ बैठक के लिए अनुरोध किया। इसलिए अजित पवार का एनसीपी में फूट या कब्जे का दावा करने के कोई सबूत नहीं हैं।
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