नई दिल्ली (New Delhi) । दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और AAP सांसद संजय सिंह अभी पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की डिग्री (degree) को लेकर मानहानि के केस का सामना कर रहे हैं. केजरीवाल ने पीएम मोदी की एमए की डिग्री पर सवाल उठाया है. इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार शीला भट्ट (Senior Journalist Sheela Bhatt) ने एक इंटरव्यू में इस मामले में कहा- ‘मैं पीएम नरेंद्र मोदी से पहली बार 1981 में मिली थी, तब वह एमए पार्ट टू में थे. उनके मेंटर थे प्रफेसर प्रवीण सेठ, वही मेरे भी मेंटर थे. तब प्रफेसर सेठ और उनकी पत्नी सुरभि के घर मोदी रोज आते थे. तब नरेंद्र मोदी अकसर उनके पास आते थे और मैं भी वहां आ जाती थी. तब मोदी बहुत पढ़ाई-लिखाई करते थे. मुझे बहुत कुछ याद है लेकिन ये समय नहीं है उन सारी बातों को कहने का.’
पत्रकार शीला भट्ट ने कहा,’मैं पीएम नरेंद्र मोदी की एक क्लासमेट को भी जानती हूं. वह वकील हैं. मैंने कुछ दिन पहले उनसे बातचीत की थी, जब अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस के नेता मोदी की पढ़ाई-लिखाई पर सवाल उठा रहे थे. मैंने उनको कहा था कि आप उनकी क्लासमेट हैं तो आप इस पर कुछ बोलिए लेकिन वह बोलने के लिए तैयार नहीं हुईं.’
2001 तक पीएम के पास नहीं था कोई घर
वरिष्ठ पत्रकार ने इंटरव्यू में यह भी बताया कि नरेंद्र मोदी के पास 2001 तक कोई घर भी नहीं था. पीएम जन्म से ही संघर्षों का सामना करने वालों में से हैं. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी और अमित शाह को आपको थोड़ा अलग हटकर देखना होगा. इंडिया के जितने भी मुद्दे हैं, ये उनकी ग्रिप में थे, लेकिन इंतजार किया और अब हल कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि आपको ऐसा कौन सा पीएम मिलेगा, जो 1981 से 2001 तक हर साल दिवाली पर देश के किसी ना किसी जिले में अकेले ही घूमने जाते थे. तब वह किसी से संपर्क में नहीं होते थे और देश को समझने के लिए 5 दिन के लिए निकलते थे.
पुलिस ने तब मुझे दाऊद के खिलाफ गवाह बना दिया था
शीला भट्ट ने अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से अपने इंटरव्यू की कहानी भी बताई. उन्होंने बताया कि दाऊद इब्राहिम का साल 1981-82 में उनके पास फोन आया था, तब वह आतंकी नहीं सिर्फ अपराधी था. मुझे दाऊद ने मिलने के लिए जेल रोड के पास बुलाया. मैं अपने पति के साथ वहां गई. हम जब पहुंचे तो इब्राहिम और छोटा शकील वहां बैठा हुए थे. हम यहां दाऊद को जानने गए थे. उसे बस इतना कहना था कि करीम लाला बुरा आदमी है.”
शीला भट्ट इसके बाद बताया,”मैं गुजरात में रिपोर्टिंग करती थी. तभी मेरी मुलाकात तत्कालीन गृह मंत्री प्रबोध रावल से हुई. मैंने उनसे बड़ौदा जेल जाने की इजाजत मांगी. मुझे अनुमति मिली. मैं जब जेल पहुंची तो दाऊद इब्राहिम फुटबॉल खेल रहा था. तब उसने मुझसे कहा था कि वह आलम जेब को नहीं छोड़ने वाला. मैंने छाप दिया कि दाउद से आलम की जान को खतरा है. और कुछ दिन बाद आलम जेब की मौत हो गई. इस केस में मुंबई क्राइम ब्रांच ने मुझे दाऊद के खिलाफ 35 या 42 नंबर का गवाह बना लिया.”
केजरीवाल ने 2016 में डिग्री पर उठाए थे सवाल
अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह पर गुजरात यूनिवर्सिटी की छवि खराब करने का आरोप है. केजरीवाल ने अप्रैल 2016 में केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) को एक पत्र लिखकर पीएम मोदी की शैक्षिक योग्यता से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक करने की मांग की थी. उन्होंने पत्र में लिखा कि इस मुद्दे पर किसी भी तरह के भ्रम को दूर करने के लिए डिग्री को सार्वजनिक किया जाना चाहिए.
वहीं गुजरात यूनिवर्सिटी ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि केजरीवाल और संजय सिंह ने संस्थान की प्रतिष्ठा पर सवाल उठाया है. पीएम की डिग्री वेबसाइट पर अपलोड की जा चुकी है, लेकिन इसके बाद भी दोनों नेता कह रहे हैं कि डिग्री न दिखाकर यूनिवर्सिटी सच छिपा रही है.
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