उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

सिद्धवट पर शिप्रा का पानी जहरीली काई से हरा हुआ

  • जलस्तर घटने और प्रवाह नहीं होने से उत्पन्न हुई समस्या-परिसर में आधे अधूरे निर्माण कार्य-कोई तो ध्यान दे
  • शिप्रा नदी की सफाई पर पहले भी हो चुके हैं करोड़ों खर्च

उज्जैन। गर्मी के दिनों में हर साल शिप्रा का जलस्तर घटता है, वहीं मंगलनाथ और भैरवगढ़ क्षेत्र में शिप्रा नदी जलकुंभी के साथ-साथ काई की चपेट में आ जाता है। इस बार सिद्धवट क्षेत्र में भी शिप्रा इससे नहीं बच पाई है। सिद्धवट पर आधे अधूरे निर्माण कार्यों से श्रद्धालुओं को घाटों तक पहुँचने में भी समस्या आ रही है। जलकुंभी और काई की सफाई नगर निगम भी नहीं करा रहा है। उल्लेखनीय है कि हर साल बारिश के दो-तीन महीने बाद ही अक्टूबर, नवम्बर माह से शिप्रा नदी का प्रवाह भैरवगढ़ से लेकर मंगलनाथ होते हुए सिद्धवट तक रूक जाता है। ठहरे हुए पानी में सबसे पहले मंगलनाथ क्षेत्र में शिप्रा में जलकुंभी और काई फेलने लगती है और यही स्थिति भैरवगढ़ क्षेत्र में भी बन जाती है। परंतु पिछले कुछ सालों से सिद्धवट क्षेत्र में यह समस्या नहीं हो रही थी लेकिन अब यहाँ भी गर्मी के दिनों में सिद्धवट घाट क्षेत्र में शिप्रा के पानी पर चारों ओर काई फैल गई है।



इससे यहाँ तर्पण और स्नान करने आने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी हो रही है। चार साल पहले सिंहस्थ के दौरान नगर निगम ने रूद्रसागर सहित शिप्रा नदी की सफाई के लिए वोट पर जलकुंभी साफ करने की मशीन लाखों रुपए में खरीदी थी। बताया जाता है कि यह उपकरण अब खराब हो गया है। इस कारण नदी में नगर निगम जलकुंभी और काई की सफाई नहीं करा पा रहा। इधर बारिश के बाद स्नान पर्वों पर जब शिप्रा में पानी की आवश्यकता होती है तो नर्मदा की पाईप लाईन के जरिये शिप्रा में पानी छोड़ा जाता है। उस दौरान ही त्रिवेणी से लेकर रामघाट तक भरे पानी को स्टाप डेम खोलकर आगे बढ़ाया जाता है। इसके बाद नर्मदा का नया पानी आने के बाद रामघाट के आगे से स्टाप डेम बंद कर दिया जाता है और नदी में आगे का प्रवाह रूक जाता है। गर्मी के दिनों में वैसे ही वाष्पीकरण तेजी से होता है और उस दौरान शिप्रा में रामघाट के आगे से लेकर सिद्धवट और कालियादेह महल पार तक नदी का जलस्तर भी बेहद कम हो जाता है और पानी का प्रवाह ठहर जाता है। इसी वजह से ठहरे हुए पानी में जलकुंभी और काई पनप जाती है।

निर्माण और सौंदर्यीकरण के काम रूके
सिद्धवट मंदिर तथा घाट और परिसर के सौंदर्यीकरण और नए निर्माण को लेकर दो साल पहले यहाँ काम शुरु किया गया था। इसके तहत सिद्धवट मंदिर का जीर्णोद्धार और घाटों के साथ-साथ परिसर में शेड बनाने, व्यवस्थित पार्किंग बनाने आदि के काम शुरु किए गए थे। यह काम भी कुछ महीने पहले बंद हो गए थे और उसके बाद से वापस शुरु नहीं हो पाए। क्षेत्र के पंडे पुजारियों का कहना है कि निर्माण कार्य अधूरे रह जाने के कारण यहाँ पितृों के तर्पण और श्राद्धकर्म तथा सिद्धवट मंदिर के दर्शन करने आ रहे श्रद्धालुओं को परेशानी हो रही है।

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