मध्‍यप्रदेश राजनीति

कमलनाथ का ये बड़ा फैसला बदलने की तैयारी में शिवराज सरकार, जानिए क्या है मामला

भोपाल: मध्य प्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव (urban body and panchayat elections) की तैयारियां शुरू हो गई हैं. निर्वाचन आयोग (Election Commission) पहले निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी कर सकता है. इस बीच शिवराज सरकार ने कमलनाथ सरकार के समय लिए गए एक और फैसले को बदलने की तैयारी कर ली है. जिसकी जानकारी खुद प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने दी है.

आपको बता दे की कमलनाथ सरकार ने सत्ता में आते ही नगर निगम के महापौर, नगर पालिका और नगर परिषदों के अध्यक्ष का चुनाव जनता की बजाए चुने हुए पार्षदों से करने का फैसला लिया था. हालांकि कोविड की वजह से चुनाव आयोजित नहीं हो सके, इस बीच कमलनाथ की सरकार गिरने के बाद बीजेपी की सरकार आ गई. अब शिवराज सरकार इस फैसले को बदलने जा रही है. जहां महापौर, नगर पालिका और नगर परिषदों के अध्यक्ष का चुनाव पहले ही तरह सीधा जनता करेगी.


नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बताया कि इसके लिए हम अध्यादेश लाएंगे. महापौर और अध्यक्ष शहर का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए इनको जनता से निर्वाचित होना चाहिए, जबकि एक शहर में एक ही महापौर होगा. क्योंकि इससे जोड़ तोड़ खरीद फरोख्त की गुंजाइश नहीं होती है. निष्पक्षता के साथ जनता को अपना महापौर अध्यक्ष चुनने का अवसर मिलता है. मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा हम अध्यादेश लायेंगे इसके लिए आयुक्त को सूचित कर दिया गया है.

चुनावों में ओबीसी आरक्षण को लेकर भी भूपेंद्र सिंह ने कांग्रेस पर निशाना साधा, उन्होंने कहा कि 2019 में चुनाव होने थे, लेकिन उस वक्त कांग्रेस पंचायतों के तोड़ फोड़ में लगी रही. बाद में हम चुनाव ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण के साथ ही करा रहे थे, लेकिन कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी. उनकी याचिका पर ही सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है. स्थानीय निकायों और पंचायतों के चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर जो परिस्थितियां बनी हैं, उसकी​ जिम्मेदार कांग्रेस ही है. उसे तो इस विषय पर कुछ बोलने का अधिकार ही नहीं है.

राज्य निर्वाचन आयोग ने इस बात के संकेत दिए हैं कि प्रदेश में पहले नगरीय निकाय चुनाव की घोषणा हो सकती है, क्योंकि प्रदेश में निकायों के परिसीमन के साथ अन्य सभी प्रक्रियाएं भी पूरी हो चुकी है. ऐसे में माना जा रहा है निकाय चुनाव की घोषणा हो सकती है. निकाय चुनाव 2 चरणों में आयोजित कराए जाने का फैसला पहले ही लिया गया है.

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