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उज्जैन से है श्रीकृष्ण का गहरा नाता..तीन बार आए थे भगवान उज्जयिनी में

  • अग्रिबाण एक्सक्लूजिव..उज्जैन के पुरातत्व विदों ने इस बात के प्रमाण भी खोजे-साढ़े 5 हजार वर्ष हो गए द्वापर युग को

उज्जैन। उज्जैन प्राचीन काल से ही एक ऐतिहासिक और पौराणिक नगरी रही है तथा इस नगरी के प्रमाण शास्त्रों में मिलते हैं। भगवान श्रीराम वनवास के समय स्वयं माता सीता के साथ उज्जैन शिप्रा नदी पर अपने पिता राजा दशरथ का पिंडदान करने आए थे, जिसके प्रमाण आज भी मौजूद हैं। इसी तरह भगवान श्रीकृष्ण के संबंध में उल्लेखित है कि उन्होंने उज्जैन में गुरु सांदीपनि से शिक्षा ग्रहण की लेकिन ऐसा माना गया है कि और वे तीन बार उज्जैन आए थे।
भगवान श्रीकृष्ण के उज्जैन से सम्बन्ध को लेकर अधिकतर लोग सिर्फ यही जानते हैं कि उन्होंने यहां महर्षि सांदीपनी के आश्रम में शिक्षा प्राप्त की थी। उन्होंने बारह वर्ष की आयु में 64 दिन तक अपने भाई बलराम और मित्र सुदामा के साथ विद्या ग्रहण की थी। पुराणों के अनुसार इतनी छोटी-सी अवधि में उन्होंने 14 विद्याओं, चौसठ कलाओं और वेदों का ज्ञान प्राप्त कर लिया था। उज्जैन में श्री कृष्ण के शिक्षा ग्रहण के बारे में सभी जानते हैं पर माना जाता है कि उनकी उज्जैन में एक यात्रा ही थी लेकिन उन्होंने उज्जैन में तीन यात्रा की और वह तीन बार मथुरा से द्वारका होते हुए उज्जैन पहुंचे। श्रीकृष्ण की दूसरी उज्जैन यात्रा के संबंध में उज्जैन विक्रम विश्वविद्यालय के पुराविद् डॉ. रमन सोलंकी ने बताया कि श्रीकृष्ण की दूसरी मालवा यात्रा उज्जैन में मित्रवृन्दा के स्वयंवर में भाग लेने के लिए हुई। मित्रवृन्दा उनकी पाँचवीं रानी थी। इस स्वयंवर में उन्होंने अपने पराक्रम से मित्रवृन्दा को जीता था। श्रीकृष्ण के साथ उनका विवाह उनके भाइयों वृन्द और अनुवृन्द की इच्छा के विरुद्ध हुआ था इसीलिए महाभारत युद्ध में दोनों भाई कौरवों की ओर से लड़े थे।



महाभारत युद्ध में जिस प्रसिद्ध अश्वत्थामा हाथी का विवरण है उसे वृन्द और अनुवृन्द उज्जैन से ही ले गये थे। श्रीकृष्ण की तीसरी मालवा यात्रा तब हुई जब वह रुक्मणि हरण कर उन्हें लेकर जाते समय वह उस क्षेत्र से गुजरे, जो वर्तमान में धार जिले के अंतर्गत आता है। धार जिले के अमझेरा में आज भी रमता जाता मंदिर बना है और इसी स्थान पर श्रीकृष्ण के पहियों के निशान हैं। श्रीकृष्ण जब धार जिले के अमझेरा पहुँचे तो वहाँ से वह उज्जैन की ओर आए थे, यह उनकी उज्जैन तीसरी यात्रा थी। इस यात्रा के प्रमाण जानने के लिए उज्जैन के पुराने पुराविद् भगवतीलाल राजपुरोहित एवं डॉ. जगन्नाथ दुबे ने धार जिले के अमझेरा में कई समय तक खुदाई की और इस बात के प्रमाण की खोज की कि श्रीकृष्ण उज्जैन आए थे। विक्रम विश्वविद्यालय शोध पीठ के पुराविद् डॉ. प्रकाशचंद्र मान ने सन् 1916-17 में भगवान श्रीकृष्ण की उज्जैन यात्राओं के संबंध में अनेक प्रमाण खोजे और काम किया है। उज्जैन विक्रम विश्वविद्यालय पुरातत्व विभाग के पुराविद् डॉ. रमन सोलंकी ने अग्रिबाण को बताया कि भारतीय पुरातत्व विभाग दिल्ली, मध्य प्रदेश पुरातत्व विभाग भोपाल और विक्रम विश्वविद्यालय पुरातत्व विभाग द्वारा श्रीकृष्ण के उज्जैन यात्राओं के मौजूदा प्रमाण के आधार पर अगर मथुरा से द्वारका और उज्जैन होते हुए प्राचीन नक्शा निकालकर खोज की जाए तो इस संबंध में कई ऐतिहासिक धरोहर मिल सकती है।

बडऩगर में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में चोरी कर रहा था
उज्जैन। दो-तीन दिन पहले मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का बडऩगर में रोड शो था और इस दौरान जिलेभर के लोगों की भीड़ जुटी थी। इस दौरान कार्यक्रम स्थल से कई लोगों के मोबाईल और सोने की चेन चोरी हुई थी। पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर लिया था। पुलिस ने इस मामले में धार के एक आरोपी को गिरफ्तार किया है जिसके पास से सोने की चेन बरामद हुई है।

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