विदेश

रूसी हमलों से छह लाख लोगों को छोड़ना पड़ा अपना मुल्‍क, इधर पड़ोसी देशों पर बढ़ रहा बोझ

माल्दोवा और यूक्रेन की सीमा पर स्थित एक अस्थाई शरणार्थी केंद्र में एक परिवार। 

जेनेवा। यूक्रेन पर रूस (Russia on Ukraine) के हमले के बाद पिछले छह दिनों में छह लाख से अधिक लोग यूक्रेन छोड़ चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations organisation) के मुताबिक यूक्रेन (Ukraine) छोड़ने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे पड़ोसी देशों पर बोझ तेजी से बढ़ रहा है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवीय राहत मामलों में संयोजन और आपात सहायता मामलों के प्रमुख मार्टिन ग्रिफिथ्स ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों को जानकारी देते हुये आगाह किया कि हताहत आम नागरिकों की संख्या और बुनियादी ढांचे को पहुंची क्षति बेहद चिंताजनक है।

आगे उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में शरणार्थी यूक्रेन से अन्य यूरोपीय देशों का रुख कर रहे हैं और उनके मेजबान देशों पर बोझ बढ़ने की सम्भावना है। हिंसा से सर्वाधिक प्रभावित इलाकों में मानवीय जरूरतें तेजी से बढ़ी हैं। आम नागरिकों की मौत हुई है और बड़ी संख्या में लोग घायल हुये हैं, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।



मार्टिन ग्रिफिथ्स के मुताबिक कम से कम एक लाख 60 हजार लोग घरेलू विस्थापन का शिकार हुए हैं। हवाई हमलों और लड़ाई से शहरी इलाकों में नागरिक प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुंचा है और स्वास्थ्य, बिजली, जल व साफ-सफाई जैसी बुनियादी सेवाओं में व्यवधान आया है।

जबकि कई इलाकों में पुल और सड़कें ध्वस्त हो गई हैं, जिससे स्थानीय लोगों के लिये अति-आवश्यक सामग्री एवं सेवाओं की सुलभता पर असर पड़ा है। राजधानी कीव और खारकीव जैसे शहरों में यह विशेष रूप से चिंताजनक है।

शरणार्थी मामलों के लिये संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूएनएचसीआर के प्रमुख फिलिपो ग्रैण्डी ने सुरक्षा परिषद को बताया कि यूक्रेन में गम्भीर हालात की वजह से लाखों लोग पड़ोसी देशों में शरण लेने की कोशिश कर रहे हैं। रूसी सैन्य अभियान के बाद से अब तक छह लाख लोग यूक्रेन से पड़ोसी देशों में पहुंच चुके हैं। यह आंकड़ा तेजी से हर घंटे बढ़ रहा है।

आगे जानकारी दी गई है कि दो लाख 80 हजार से अधिक लोगों ने पोलैंड में शरण ली है, जबकि 94 हजार लोग हंगरी पहुंचे हैं। 40 हजार लोग माल्दोवा, 34 हजार रोमानिया और 30 हजार लोग स्लोवाकिया पहुंचे हैं। इसके अलावा हजारों लोग अन्य यूरोपीय देशों में शरण के लिए पहुंच चुके हैं। बताया गया कि कुछ लोग रूसी महासंघ भी पहुंचे हैं। (हि.स.)

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