नई दिल्ली। अगले 48 घंटों में धरती के बगल (side of the earth) से एक ‘आफत’ गुजरने (A ‘catastrophe’ passing) वाली है। असल में यह एक एस्टेरॉयड (asteroid) है, जो करीब एक किलोमीटर चौड़ा है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) लगातार इस एस्टेरॉयड पर नजर बनाए हुए हैं। इस एस्टेरॉयड का नाम है 2003 SD220. नासा के AMES एक्सप्लोरेशन सेंटर ने इसे खतरनाक एस्टेरॉयड की श्रेणी में डाला है।
2003 SD220 नाम की यह चट्टान शुक्र और पृथ्वी के बीच मौजूद कक्षा में सूर्य के चारों तरफ चक्कर लगाता है। यह हर 9 महीने में सूरज के चारों तरफ एक चक्कर पूरा करता है। इसे पहली बार सितंबर 2003 में खोजा गया था। उस समय इसे खगोलविदों ने लोवेल ऑब्जर्वेटरी नियर-अर्थ-ऑब्जेक्ट सर्च (Lowell Observatory Near-Earth-Objects) टेलिस्कोप के जरिए देखा था। लेकिन एरिजोना स्थित एंडरसन मेसा स्टेशन से इसकी नापतौल, गति आदि का पता करने के बाद इसे खतरनाक एस्टेरॉयड की श्रेणी में डाला गया था।
यह अब तक धरती के सबसे करीब 22 दिसंबर 2018 को आया था। तब इसकी दूरी 16.15 लाख किलोमीटर थी। यानी धरती से चांद की दूरी का करीब 6 गुना ज्यादा थी। इस एस्टेरॉयड पर वैज्ञानिक रोबोटिक मिशन भी भेजना चाहते हैं। ताकि वे इसकी उत्पत्ति समेत सौर मंडल के पैदा होने से संबंधित रहस्यों का उद्घाटन कर सकें।
हाल ही में एक चेतावनी जारी की गई थी कि न्यूयॉर्क में बनने वाले रॉकफेलर क्रिसमस ट्री से 10 गुना बड़ा एस्टेरॉयड धरती के बगल से गुजरने वाला है। हालांकि यह धरती से करीब 64 लाख किलोमीटर दूर से गुजरेगा।
अंतरिक्ष में करोड़ों किलोमीटर की दूरी भी ज्यादा नहीं मानी जाती, क्योंकि अगर चट्टान की दिशा में एक डिग्री का भी अंतर आया तो वह धरती की ओर रुख कर सकता है। अगर कोई चट्टान, क्षुद्रग्रह, उल्कापिंड या धूमकेतु धरती के 74 लाख किलोमीटर के दायरे में आता है, तो उसे धरती के लिए खतरनाक माना जाता है।
बता दें कि पृथ्वी के 19 करोड़ किलोमीटर के अंदर से गुजरने वाली किसी भी तेज गति वाली वस्तु को नासा नियर-अर्थ ऑब्जेक्ट (NEO) के रूप में मानता है। यही कारण है कि अंतरिक्ष एजेंसी इस चट्टान पर कड़ी नजर रखेगी।
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