आचंलिक

सिविल अस्पताल लांजी में धूल खा रही सोनोग्राफी मशीन

  • दस महीने से मरीज परेशान, नहीं हो रही है सोनोग्राफी

लांजी। नगर परिषद लांजी अंर्तगत सिविल अस्पताल में जनवरी 2022 में क्षेत्र की विधायिका सुश्री हिना कावरे द्वारा दान की राशि लगभग 19 लाख की लागत से सोनोग्राफ ी सेवा चालू की गई थी, ताकि क्षेत्र की गर्भवती माताओं की मुफ्त सोनोग्राफी हो सके और उन्हें शासकीय सुविधाओं का लाभ मिल सके। परंतु यह सुविधा अब धीरे-धीरे पुन: सपने में तब्दील होता नजर आ रहा है। उल्लेखनीय है की मरीजों की सुविधा के लिए सामुदायिक अस्पताल को विधायक निधि के ओर से 18 लाख 86 हजार 493 रुपए की लागत से सोनोग्राफ ी मशीन दान में मिली है, लेकिन लोकार्पण के बाद इसे नियमित रूप से शुरू नहीं कराया जा सका। वहीं यह मशीन अब यहां रखे-रखे धूल खा रही है।

अधिकारी झाड़ रहे पल्ला
जिम्मेदार अधिकारी कह रहे हैं कि विभाग के पास रेडियोलॉजिस्ट नहीं है। इस वजह से गर्भवती महिलाओं और अन्य मरीजों को मजबूरन 50-60 किमी तय कर निजी सेंटरों आमगांव, गोंदिया या बालाघाट जाना पड़ता है और सोनोग्राफी कराने के लिए परिवहन का खर्च व सेवा शुल्क पर भारी रकम खर्च करनी पड़ रही है। लोकार्पण के वक्त रेडियोलॉजिस्ट को सप्ताह में एक दिन लांजी भेजने की बात कही गई थी, लेकिन कोई सोनोग्राफ ी के लिए ट्रेंड डॉक्टर की सेवा लांजी में उपलब्ध नहीं की गई और न ही स्थानीय डॉक्टर को ट्रेनिग दिलाई गई। मात्र 17 जनवरी को लोकार्पण के दिन ही कुछ गर्भवती महिलाओं का सोनोग्राफ ी हो पाया था, उसके बाद अब तक सोनोग्राफी बंद हैं।


बीएमओ की अरूचि से स्वास्थ्य सुविधाओं का गिरा स्तर
बता दें की लांजी सिविल अस्पताल में पदस्थ बीएमओ डॉ. प्रदीप गेडाम जो कि यहां पर पिछले दो दशकों से भी ज्यादा समय से अंगद की तरह पैर जमाए बैठे हंै, जिनके द्वारा हमेशा ही अपने स्वार्थपूर्ति को ध्यान में रखा गया है न की स्वास्थ्य पूर्ति को यही कारण है की आज लांजी क्षेत्र में अन्य स्थानों की तरह स्वास्थ्य सुविधाएं सुचारू न होते हुए पूरी तरह लचर साबित हो रही है जिसका खामियाजा क्षेत्र की गर्भवती माताओं को भुगतना पड़ रहा है। परंतु विभाग की मजबूरी और शासकीय चिकित्सकों की कमी का बीएमओ डॉ. प्रदीप गेडाम भरपूर फायदा उठा रहे है और सोनोग्राफी मशीन के लिये रेडियोलॉजिस्ट नहीं ला पा रहे है जिससे चिंतनीय बात क्या हो सकती है। वर्तमान में सर्दी का मौसम अपने पूरे शबाब पर है और इसी मौसम में सुबह-सुबह कोहरा छा जाता है जिससे सुबह-सुबह लोगों की कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है, ठीक उसी तरह लांजी क्षेत्र में बीएमओ डॉ. प्रदीप गेडाम की स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर बेरूखी से क्षेत्र के लोगों के स्वास्थ्य सुविधाओं पर कोहरा छाने लगा है। क्षेत्रवासी इसी उम्मीद में आस लगाए बैठे है की कब विभाग के उच्च अधिकारियों की नजर की किरण इस क्षेत्र में पड़ेगी और डॉ. प्रदीप गेडाम रूपी कोहरे से क्षेत्रवासियों को निजात मिल सकेगी।

सोनोग्राफी में आमगांव के क्लीनिक से कमीशन का चक्कर
वहीं एक तरफ जहां लाखों रूपये की लागत से सिविल अस्पताल में पड़ी बेशकीमती सोनोग्राफी मशीन धूल खा रही है तो दूसरी ओर सिविल अस्पताल में वर्षों से जमे गेडाम दंपत्ति का आमगांव के क्लीनिक में सोनोग्राफी के एवज में कमीशन का चक्कर भी सूत्रों से पता चल रहा है। जानकारी अनुसार महिला चिकित्सक डॉ. सुुजाता गेडाम अक्सर सिविल अस्पताल आने वाली गर्भवती माताओं की पहले तो शासकीय अस्पताल में जांच न करते हुए उन्हें निजी जांच कराने का दबाव बनाती है फिर वापस उन्हें महाराष्ट्र के आमगांव स्थित मधुबन सोनोग्राफी सेंटर में जाकर सोनोग्राफी कराने के लिये कहती हैं। जहां पर संचालक द्वारा गर्भवती माताओं से मोटी रकम वसूली जा रही है जबकि सोनोग्राफी का सही मूल्य बालाघाट, गोंदिया में 1000 से 1200 तक लिया जाता है, जिसके संबंध सूत्रों के अनुसार आमगांव के मधुबन सोनोग्राफी सेंटर में 1800 से 2000 लिये जा रहे है जिससे लांजी सिविल अस्पताल में पदस्थ महिला चिकित्सक सुजातागेडाम द्वारा कमीशन के चक्कर में इतनी राशि गर्भवती माताओं से वसूली जा रही है। जिससे गरीब वर्ग इस बढ़ती महंगाई अपनी मेहनत की कमाई को इलाज में ही खर्च करना अपनी मजबूरी समझने लगा है।

गरीब वर्ग से कोसों दूर शासकीय सुविधाएं
एक तरफ सरकार गरीब वर्ग के लोगों के लिये नई-नई शासकीय सुविधाओं की सौगात देते हुए उन्हें लाभ पहुंचाने की बात कहती है तो दूसरी तरफ शासकीय सेवको द्वारा गरीबों के प्रति ऐसा व्यवहार उन्हें शासकीय सुविधाओ ंसे कोसो दूर ले जाकर खड़ा कर देता है जिससे वे चाहकर भी उन सुविधाओं का लाभ नहीं ले पाता जिसका वह वाकई में हकदार है।

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