जीवनशैली धर्म-ज्‍योतिष

करवा चौथ पर बन रहा है विशेष संयोग, इन बातों का रखें ध्‍यान

नई दिल्‍ली। पति की अच्‍छी सेहत और लंबी आयु के लिए रखा जाने वाला करवा चौथ (Karwa Chauth) का व्रत जीवन में सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है। ज्‍योतिष (Astrology) के मुताबिक अगर इस व्रत को महिलाएं सही तरीके से और पूरे विधि-विधान से रखा जाए तो सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, क्‍योंकि हिंदू धर्म में करवा चौथ सुहागन स्त्रियों (sweet ladies) के लिए काफी खास होता है। यह व्रत कार्तिक महीने के कृष्‍ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है, इस दिन सुहागिनें पति की लंबी आयु और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ व्रत रखा जाता है। इस साल करवा चौथ व्रत 24 अक्टूबर, रविवार को है। इस दिन व्रती महिलाएं रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत पारण करती हैं। इस साल करवा चौथ पर शुभ संयोग बनने से इसका महत्व और बढ़ रहा है।

बता दें कि इस बार करवा चौथ 24 अक्‍टूबर, रविवार (Sunday) को पड़ रहा है। रविवार और मंगलवार को करवा चौथ का पड़ना बहुत शुभ होता है। दरअसल, रविवार और मंगलवार को पड़ने वाली सभी चतुर्थी बहुत शुभ मानी जाती हैं गणेश चतुर्थी का व्रत तो मंगलवार की चतुर्थी से ही शुरू किया जाता है. ऐसे में इस करवा चौथ पर पूरे विधि-विधान से नियमपूर्वक व्रत करें तो व्रती की सारी मनोकामनाएं जरूर पूरी होंगी



पूजा का शुभ समय
चतुर्थी तिथ‍ि 24 अक्‍टूबर 2021 को सुबह 03:01 बजे शुरू होगी और 25 अक्‍टूबर को सुबह 05:43 मिनट पर समाप्‍त होगी. करवा चौथ की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 24 अक्‍टूबर 2021 को शाम 06:55 से 08:51 बजे तक है. वहीं चंद्रोदय रात 08:11 पर होगा!
शुभ संयोग
करवा चौथ पर चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में उदित होगा। धार्मिक दृष्टि से यह नक्षत्र बेहद शुभ माना जाता है। इस नक्षत्र के स्वामी चंद्रमा हैं और माना जाता है कि चंद्र दर्शन से मनोकामना पूर्ण होती है।

इन बातों का रखें ध्यान
हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य के दौरान काला पहनने की मनाही होती है। यह अशुभता का प्रतीक माना जाता है। कहते हैं कि मंगलसूत्र के काले दाने के अलावा इस दिन किसी काले रंग का प्रयोग न करें।

ऐसे करें करवा चौथ व्रत
इस दिन विवाहित महिलाएं सूर्योदय से पहले जागकर नहा-धोकर सास द्वारा दी गई सरगी खाती हैं. इसके बाद पूरा दिन निर्जला और निराहार रहना होता है। शाम को महिलाएं सोलह शृंगार करके शिव-पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और चंद्रमा की पूजा करती हैं। भगवान शंकर के पूरे परिवार की पूजा सुख-समृद्धि देती है. साथ ही करवे (मिट्टी के बर्तन) में पकवान रखकर करवे की पूजा करें. फिर रात में चंद्रमा को अर्ध्‍य दें, साथ ही गणेश जी और चतुर्थी माता को भी अर्घ्य देना चाहिए. इसके बाद पति का मुंह छलनी में देखें और फिर व्रत खोलें।

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