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जी-20 की सफलता और भारतीय कूटनीति

– मृत्युंजय दीक्षित

राजधानी दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन जिस सफलता के साथ संपन्न हुआ है उसकी चर्चा पूरे विश्व में हो रही है। वैश्विक मीडिया जगत इसको भारत की बड़ी कूटनीतिक उपलब्धि बताते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार व उनके नेतृत्व की जमकर सराहना कर रहा है। नई दिल्ली जी-20 सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति पुतिन यूक्रेन संकट के कारण नहीं आ सके, अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए उन्होंने रूस के विदेश मंत्री को नामित किया। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग नहीं आये किंतु उन्होंने अपने प्रधानमंत्री को सम्मेलन में भाग लेने के लिए भेजा। सम्मेलन प्रारम्भ होने के पूर्व रूस और चीन के राष्ट्रपति के न आने के कारण का एक बड़ा वर्ग निराशा व्यक्त कर रहा था और कह रहा था कि कहीं इस सम्मेलन में भी कुछ विषयों को लेकर आम सहमति न बन पाये किंतु प्रधानमंत्री मोदी के कुशल आशावादी नेतृत्व ने सभी निराशावादियों के कथन और विचार को धूल-धूसरित करते हुए अपनी कूटनीति का लोहा मनवा लिया।

सम्मेलन के समापन पर जी-20 और अधिक विस्तार लेकर जी-21 के रूप में सामने आया। इसमें अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्य के रूप में शामिल कर लिया गया। अध्यक्ष देश के प्रधानमंत्री के नाते नरेन्द्र मोदी ने इसकी घोषणा की। अफ्रीकी संघ के लिए ये भावुक कर देने वाला पल था। अफ्रीकी संघ में अफ्रीकी महाद्वीप के 55 देश सदस्य हैं और इनमें से कई देश बहुत गरीब हैं। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का मत है कि अंतरराष्टीय मंचों पर चीनी विस्तारवाद की कूटनीति को जवाब देने के लिए यह जोरदार पहल की गई है। चीन समय -समय पर अपनी विस्तारवाद की नीति के तहत गरीब अफ्रीकी देशों की आतंरिक राजनीति में ताक झांक करता रहता है। अब जी-20 समूह का सदस्य बन जाने के बाद अफ्रीकी संघ का संपूर्ण विश्व के साथ संपर्क जुड़ गया है। भारत के दृष्टिकोण से अफ्रीकी संघ अब हमारे परिवार का एक सदस्य बन गया है। सम्मेलन के प्रथम दिन ही जब मोरक्को से भीषण भूकंप का समाचार आया तब प्रधानमंत्री मोदी ने अध्यक्षता करते हुए मोरक्को के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की।


जी-20 के नई दिल्ली घोषणापत्र को सर्व सम्मति से स्वीकार किया जाना भारतीय कूटनीति की बड़ी सफलता है। सभी 83 बिन्दुओं पर सहमति वाले इस घोषणापत्र में सभी धर्मों की प्रतिबद्धता को स्वीकार करते हुए आतंकवाद के सभी रूपों की कड़े शब्दों में निंदा की गई है । इसमें विदेशियों से नफरत, नस्लवाद और असहिष्णुता के अन्य रूपों के आधार पर या धर्म, विश्वास के नाम पर आतंकवाद शामिल है। इन्हें अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक बताया गया है। घोषणापत्र के अनुसार एक समग्र दृष्टिकोण ही आतंकवाद का प्रभावी ढंग से मुकाबला कर सकता है। आतंकवादी समूहों को सुरक्षित पनाहगाह, संचालन की स्वतंत्रता, आवाजाही और भर्ती के साथ साथ वित्तीय, भौतिक या राजनीतिक मदद से वंचित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की प्रभावशीलता बढ़ाने को मजबूत करने सहित छोटे और हल्के हथियारों की तस्करी के विषय में भी चिंता व्यक्त करते हुए इस सम्बंध में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को महत्वपूर्ण बताया गया है। घोषणापत्र में इस बात पर भी सहमति बन गई है कि परमाणु हमला या धमकी अस्वीकार्य है। घोषणा पत्र में आतंकवाद शब्द का उल्लेख नौ बार किया गया है।

जी-20 के घोषणापत्र में मानवीय पीड़ा की अनुभूति और विश्व भावना झलक रही है। सर्वजन हिताय के रास्ते पर चलते हुए दुनिया भर के देशों से भुखमरी मिटाने का संकल्प तो लिया ही गया है साथ ही पोषण सुरक्षा प्राप्त करने की प्रतिबद्धता भी दोहराई गई है। इस दिशा में प्रयास करते हुए प्रधानमंत्री मोदी पहले ही वर्ष 2023 को श्री अन्न वर्ष घोषित करा चुके हैं । सम्मेलन में वैश्विक समुदाय के लिए ऐसा कोई विषय नहीं रहा जो छूट गया हो। शिक्षा के सहयोग, कृषि संबंधी व्यापार को सुविधाजनक बनाने स्वास्थ्य प्रणाली में लचीलापन लाने सहित महिलाओं पर जलवायु परिवर्तन के कारण पड़ रहे परिवर्तनों पर भी चिंता व्यक्त की गई है और प्रस्ताव पारित हुए हैं। सम्मेलन में आर्थिक विकास के भारतीय एजेंडे पर भी मुहर लग गई है जिसके कारण गरीब व विकासशील देशों के आर्थिक विकास का मार्ग भी प्रशस्त हो गया है। शिखर सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय टैक्स प्रणाली विकसित करने पर भी सहमति बन गई है। “बायो फ्यूल अलाएंस” की घोषणा भी एक बड़ा कदम है।

सम्मेलन में चीन की विस्तारवादी रणनीति को करारा जवाब देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने दूसरे मित्र राष्ट्रों के साथ मिलकर भारत-मध्य पूर्व यूरोप आर्थिक कॉरिडोर स्थापित करने की बड़ी घोषणा की है और यह योजना वैश्विक परिदृश्य को बदलने वाली मानी जा रही है। यह व्यापार का सबसे बड़ा कॉरिडोर होगा जिसमें रेल लाइनों, सड़कों और बंदरगाहों का नेटवर्क होगा साथ ही स्वच्छ ईंधन के निर्यात की व्यवस्था भी होगी। सुरक्षित संचार व्यवस्था के लिए समुद्री केबलों का नेटवर्क भी तैयार होगा। माना जा रहा हे कि आगामी दिनों में यह कॉरिडोर चीन की विस्तारवाद की रणनीति को ध्वस्त कर देगा।

इस सम्मेलन से भारत की स्थिति सुदृढ़ हुई है ओर यह भी तय हो गया है कि आगामी समय में विश्व पटल पर भारतीय कूटनीति का बड़ा प्रभाव रहने वाला है। शिखर सम्मेलन की थीम वसुधैव कुटुम्बकम रखी गई और एक पृथ्वी, एक कुटुंब, एक भविष्य इसका आदर्श रहा। इसके माध्यम से भारत ने यही संदेश दिया है कि वह विश्व कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। शिखर सम्मेलन में भारत विश्व को अपनी सांस्कृतिक विरासत और विविधता से भी परिचित कराने में सफल रहा है। शिखर सम्मेलन की सफलता यह दर्शा रही है कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत का महत्व लगातार बढ़ रहा है और विश्व भारत की अत्यंत प्राचीन संस्कृति को समझ रहा है। भारत का वसुधैव कुटुम्बकम अब एक पृथ्वी, एक कुटुंब, एक भविष्य के रूप में संपूर्ण विश्व का विचार बन रहा है। जो भी इन विचारों के अनुरूप व्यवहार नहीं करेगा वह अलग-थलग पड़ जायेगा ।

आयोजन की सफलता से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत तथा नरेन्द्र मोदी के धुर विरोधी भी भारत की नेतृत्व क्षमता के कायल हो गए हैं। प्रधानमंत्री भारतीय विचारों को बढ़ावा देने तथा और राष्ट्रीय हितों को आगे रखने में सफल रहे हैं। यही कारण है कि शिखर सम्मेलन की समाप्ति के सयम भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा और विश्व बैंक जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों के सुधार पर बल दिया है। जी-20 ने सिद्ध कर दिया है कि विश्व राजनीति अब भारत के महत्व को नकार नहीं सकती है। भारत ने अपनी मेधा, कौशल, परिश्रम, सर्व समावेशी मानवतावादी विचारधारा और कूटनीति से यह स्थान बनाया है।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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