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यौन उत्पीड़न मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश, अब मानसिक अशक्त को भी माना जाएगा संवेदनशील गवाह

नई दिल्‍ली । सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने मंगलवार को एक आदेश में किसी आपराधिक मामले (criminal cases) में संवेदनशील गवाह की परिभाषा का दायरा बढ़ा दिया है। इससे पहले इस श्रेणी में केवल 18 साल से कम आयु के बच्चों को ही रखा जाता था। अब इसमें यौन उत्पीड़न (sexual harassment) के शिकार सभी आयु के लोग, मानसिक दिव्यांगता के शिकार, बोलने अथवा सुनने में अक्षम या किसी अन्य दिव्यांगता से पीड़ित भी शामिल किए गए हैं।


साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने संवेदनशील गवाहों से मिले प्रमाणों या बयानों को बाधारहित दर्ज करने के लिए सभी हाईकोर्ट को संवेदनशील गवाह बयान केंद्र (वीडब्ल्यूडीसी) योजना को अपने आदेश की तिथि से दो माह में लागू करने और अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत ने एक समिति का गठन कर जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गीता मित्तल को इसका अध्यक्ष नियुक्त किया।

समिति का काम देशभर में वीडब्ल्यूडीसी केंद्र की स्थापना, इनके प्रबंधन से संबंधित ट्रेनिंग कार्यक्रम बनाने, न्यायिक अधिकारियों समेत सभी संबंधित पक्षों को इसके प्रति संवेदनशील बनाने का होगा। अदालत ने कहा कि संवेदनशील गवाहों के लिए सभी जिलों में इस तरह का एक केंद्र स्थापित किए जाने की आवश्यकता है।

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