ब्‍लॉगर

दख़ल ज़रूरी है आह्लादिनी का

– डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ सृष्टि की उत्पत्ति से, सृजन की वेदिका से, अक्ष के केन्द्र से, धर्म के आचरण से, कर्म की प्रधानता से, कृष के आकर्षण से, सनातन के सत्य से , चेतन के अवचेतन से, जो ऊर्जा का ऊर्ध्वाधर प्रभाव पैदा होता है, वह निःसंदेह सृजन के दायित्वबोध के कारण संसार की […]