– डा. सीमा सिंह लोकप्रिय शायर असरारुल हक़ मजाज़ की यह पंक्तियां अक्सर मेरी बहनों ने आंदोलनों के दौरान खूब इस्तेमाल की हैं-‘तेरे माथे पे ये आंचल बहुत ही खूब है लेकिन/ तू इस आंचल से एक परचम बना लेती तो अच्छा था।’ इसी शेर की शुरुआती पंक्ति कुछ इस तरह है जो कम ही […]