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चेन्नई (Chennai) । तमिलनाडु (Tamil Nadu) में जानवरों के प्रति क्रूरता का एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां एक बैल (Bull) को जबरन जिंदा मुर्गा (chicken) खिलाया गया. पुलिस ने सालेम जिले के एक यूट्यूबर (youtuber) के खिलाफ केस दर्ज किया है, जिसने अपने जल्लीकट्टू बैल को जिंदा मुर्गा खिलाते हुए एक वीडियो अपलोड किया था.
चिन्नाप्पमपट्टी का ये वीडियो दिसंबर 2023 में आरोपी रागु द्वारा पोस्ट किया गया था. इसमें तीन लोगों को एक बैल को पकड़े हुए दिखाया गया है और वे बैल को जबरदस्ती जिंदा मुर्गे को चबाने के लिए मजबूर कर रहे हैं.
पुलिस को वीडियो के बारे में चेन्नई स्थित एनजीओ पीपल फॉर कैटल इन इंडिया के संस्थापक अरुण प्रसन्ना ने जानकारी दी. प्रसन्ना ने मंगलवार को थरामंगलम पुलिस इंस्पेक्टर को पत्र लिखा और बताया कि बैल शाकाहारी होते हैं और जानवरों को कच्चा मांस खिलाने से गंभीर बीमारियां हो सकती हैं.
प्रसन्ना ने कहा, “मुर्गे को बेरहमी से पकड़ने और बैल के दांतों के बीच दबवाकर धीरे-धीरे चबाकर जिंदा मौत के घाट उतारे जाने पर कितना भय और दर्द सहना पड़ा होगा, इसकी कल्पना करना मुश्किल है.”
शिकायतकर्ता ने आगे कहा, “इसी तरह, हड्डियों और पंखों को चबाने, खून पीने और मांस निगलने के लिए मजबूर होने के दौरान बैल को कितना भ्रम और परेशानी सहनी पड़ी होगी. ये कुछ ऐसा है जिसे करने और समझने के लिए बैल किसी भी तरह से जैविक रूप से सुसज्जित नहीं है.”
उन्होंने पुलिस से इस वीडियो में शामिल लोगों के खिलाफ धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने के आरोप सहित पशु क्रूरता निवारण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत मामला दर्ज करने का आग्रह किया. शिकायत के आधार पर थरमंगलम पुलिस ने तीन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है और जांच शुरू कर दी है.
क्या होता है जल्लीकट्टू खेल?
बता दें कि जल्लीकट्टू जनवरी के मध्य में पोंगल की फसल के समय खेला जाने वाला एक लोकप्रिय खेल है. विजेता का फैसला इस बात से तय होता है कि बैल के कूबड़ पर कितने समय तक कंट्रोल किया गया है. प्रतियोगी को बैल के कूबड़ को पकड़ने की कोशिश करनी होती है. बैल को अपने कंट्रोल में करने के लिए उसकी पूंछ और सींग को पकड़ना होता है.
बैल को एक लंबी रस्सी से बांधा जाता है. जीतने के लिए एक समय-सीमा में बैल को काबू में करना होता है. कुल मिलाकर बैल को कंट्रोल में करना इस खेल का टारगेट होता है. यह आमतौर पर तमिलनाडु में मट्टू पोंगल के हिस्से के रूप में प्रचलित है, जो चार दिवसीय फसल उत्सव के तीसरे दिन होता है. तमिल शब्द ‘मट्टू’ का अर्थ है बैल, और पोंगल का तीसरा दिन मवेशियों को समर्पित है, जो खेती की प्रक्रिया में एक प्रमुख भागीदार हैं.
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