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मध्य प्रदेश के इस गांव में शिक्षक की अनोखी पहल, दीवारें बनी ब्लैकबोर्ड और फिर..


भोपाल। मध्य प्रदेश की संस्कारधानी कहे जाने वाले शहर जबलपुर के एक गांव में एक शिक्षक ने दीवार पर अक्षर ज्ञान की अलख जगाई है। मास्टरजी ने गांव की गलियों को क्लासरूम और दीवारों को ब्लैकबोर्ड जैसा बना दिया है। उनकी इस पहल का गांव में बच्चे-बूढ़े सभी सराहना कर रहे हैं। कोरोना काल में मास्साब ने मोहल्ला क्लास लगाकर शिक्षा देने के क्रम को जारी रखा था और अब वे दीवार पर अक्षर ज्ञान व गणित के जोड़-घटाने के समीकरणों को लिखकर ज्ञान के प्रसार की अनोखी पहल कर रहे हैं।

गाँव के स्कूलों में शिक्षा की बदहाली के किस्से तो अमूमन रोजाना सुने ही जाते हैं लेकिन मध्यप्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर में एक ऐसा गांव भी है जिसे एक शासकीय प्राथमिक शिक्षक ने, शिक्षा का ऐसा बहुमूल्य तोहफा दिया है जो पूरे गांव के लिए एक बड़ा वरदान बन गया है। अब यह पूरा गांव ही अपने आप में स्कूल बन गया है। गांव की गलियां और मकानों की दीवारें क्लासरूप का ब्लैक बोर्ड बन गई हैं। गांव की जिस भी गली में आप निकलेंगे आप को सिर्फ शिक्षा से भरा माहौल और तस्वीरें नजर आएंगी। आइए आपको भी ले चलते हैं संस्कारधानी जबलपुर से 40 किलोमीटर दूर बने धरमपुरा गांव में जहां की हर एक दीवार शिक्षा की अलख जगाती है।


शिक्षक की जिद से गांव की गलियों में क्लासरूम का अहसास
जबलपुर से लगे धरमपुरा गांव के वाशिंदे तो पढ़ाई की अहमियत को बखूबी समझने लगे हैं। एक सरकारी नौकरी पेशा प्राथमिक शिक्षक दिनेश मिश्रा की ज़िद ने आज पूरे गांव की तस्वीर और तासीर को ही बदल डाला है। धरमपुरा गांव की हर एक गली में दीवार शिक्षाप्रद है। याने शिक्षा की सामग्री से परिपूर्ण। बाकी जो भी दीवार बची हैं उनमें भी शिक्षा की स्याही से कुछ ना कुछ ऐसा लिखा जा रहा है जो वहां मौजूद देश के भविष्य याने बच्चों को और वहां मौजूद लोगों को कोई ना कोई सीख देगा।

धरमपुरा में सरकारी स्कूल-शिक्षक की सोच बदली
आमतौर पर सरकारी स्कूल का नाम सुनते ही बदहाल व्यवस्था, अनुशासन न होना, शिक्षक का बच्चों पर पूरा धयान नहीं देना, आराम फरमाते अध्यापक जैसे ख्याल मन में आने लगते हैं। लेकिन इस सोच को बदलने की कोशिश प्रदेश के कुछ शिक्षक कर रहे हैं। दिनेश मिश्रा ने धरमपुरा गांव की तस्वीर ही बदल दी। हर दीवार को शिक्षाप्रद बना दिया। सरकारी शिक्षक की इस अनोखी पहल को हर कोई तारीफ कर रहा हैं। विशेष तौर पर नौनिहाल बच्चे मास्टर जी की इस सोच पर फिदा हो गए हैं।

मोहल्ला क्लास से आई सोच और दीवारों पर शिक्षाप्रद जानकारी लिखी
शिक्षक दिनेश मिश्रा बताते हैं कि कोरोना काल में जब उन्होंने मोहल्ला क्लास लगाना शुरू किया तो सभी बच्चे पढ़ने के लिए एकत्रित नहीं हो पाते थे। जिसकी बड़ी वजह यह थी कि गांव में सबसे ज्यादा मजदूर वर्ग के लोग हैं। जो काम के लिए सुबह से निकल जाते है और अपने साथ अपने बच्चों को भी काम के लिए ले जाते है। इसी को देखते हुए शिक्षक के मन में विचार आया कि गांव का कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रह जाए जिसके लिए उन्होंने गांव की हर दीवार को शिक्षाप्रद बनाने का विचार किया।

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