भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

बीस दिन की बच्ची को 38 घंटे के बाद पिता को दिखाया तो छलक पड़े आंसू

  • एक पिता ने लगाया मृत बच्चे को रखने का आरोप, बोला दस यूनिट खून भी ले चुके अस्पताल वाले

भोपाल। दो दिन पहले कमला नेहरू अस्पताल (Kamala Nehru Hospital) में हुए आग्नी कांड में कई परिवारों ने अपने नौ निहलों को खो दिया। वहीं कुछ ऐसे भी थे जिनके बच्चे इस भीषण हादसे में मौत को मात देने में कामयाब रहे। हालांकि 38 घंटे तक बच्चों को परिजनों के पास जाने की इजाजत नहीं दी गई। बुधवार को ऐसे ही एक पिता की उसके बीस दिन की मासूम बेटी की मुलाकात कराई गई। बड़े हादसे के बाद मौत को मात देने वाली मासूम बेटी को देखते ही पिता की आंखे छलक पड़ीं। वहीं वार्ड दो भर्ती एक नवजात के पिता ने अस्पताल प्रबंधन (Hospital Management) पर गंभीर आरोप लगाया है। उनका दावा है कि उनके बच्चे का मंगलवार को निधन हो चुका है। डाक्टर बच्चे को जिंदा बताकर दस यूनिट खून ले चुके हैं। डाक्टर लगातार बच्चे को स्वस्थ्य बताते रहे और बुधवार को बच्चे का शव थमा दिया।


जानकारी के अनुसार करोंद में रहने वाले रहमत अली खाना बनाने का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी बेबी आयरा का बीस दिन पूर्व जन्म हुआ था। बीमारी के कारण उसे कमला नेहरू अस्पताल में भर्ती किया था। आग हादसे के बाद में बेटी को वार्ड दो में शिफ्ट किया गया। वहां उसे ऑक्सीजन में रखा गया है। हालांकि डाक्टरों ने बेटी को स्वथ्य बताया है। वहीं रहमत का आरोप है कि हादसे के बाद से डाक्टर बच्ची के बारे में कोई जानकारी नहीं दे रहे थे। बुधवार की सुबह 11 बजे यानी पूरे 38 घंटे बाद में उन्हें बच्ची की शकल दिखाई गई है। उन्हें बच्चे अस्वथ्य लग रही है, जबकि डाक्टर मासूम को स्वस्थ बता रहे हैं। इस बीच उन्होंने जब भी बच्ची के संबंध में जानकारी मांगी डाक्टरों सहित अस्पताल के अन्य स्टॉफ से केवल उन्हें फटकार ही मिली। इधर, अग्नी कांड से बचाई गई 15 दिन की मासू को वार्ड दो में भर्ती किया गया था। उसके पिता इमरान का आरोप है कि उनकी बच्ची का जन्म सुल्तानीय जनाना अस्पताल में हुआ था। मासूम को सास लेने में दिक्कत थी। एक दिन बाद ही उसे कमला नेहरू अस्पातल में भर्ती करा दिया गया था। उसके स्वस्थ्य में सुधार था। छुट्टी से पूर्व ही आग हादसा होने के कारण बच्ची के फेफड़ों में धुआं भर गया। जिससे उसकी मौत मंगलवार की रात हो चुकी है। बावजूद इसके डाक्टर बच्ची को बुधवार दोपहर तक जिंदा बताकर भर्ती रखे रहे। इस दौरान उनसे दस बॉटल खून कई बार में लिया गया। बच्ची को खून की जरूरत बताई जा रही थी। बच्ची की जिन्दगी बचाने की आस में उन्होंने तमाम रिश्तेदारों से खून दिलवाया है। बुधवार को बच्ची को मृत घोषित कर दिया गया। उसकी मां हिना की मौत की खबर सुनने के बाद से ही रो-रोकर बुरा हाल है।

बिलखते परिजनों को धमका रहे कर्मचारी
हादसे के बाद फस्र्ट लोर के तमाम मासूमों को सेकंड लोर पर ार्ती कर दिया गया था। यहां मासूमों के परिजन बाहर जमीन पर बैठकर अपने नौ निहालों की अच्छी या बुरी खबरों का इंतजार कर रहे हैं। ऐसे में अस्पताल के स्टॉफ के द्वारा लगातार उन्हें तंग किया जा रहा है। एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने और बैठने को कह दिया जाता है। विरोध करने पर उनके साथ अभद्रता की जाती है। आरोप है कि शिकायत करने पर डाक्टर भी उनके साथ बदसलूकी करते हैं।

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