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आखिर तेलंगाना के CM बार-बार क्‍यों केजरीवाल से कर रहे मुलाकात, क्‍या आबकारी घोटाले से जुड़े हैं तार?

नई दिल्‍ली (New Delhi) । तेलंगाना (Telangana) के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (CM KCR) प्रदेश की राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत करने के बाद अब राष्ट्रीय राजनीति में पीएम मोदी (PM Modi) का विकल्प बनने के प्रयास में हैं. इस रणनीति के तहत उन्होंने पिछले साल अपनी पार्टी का नाम तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) से बदलकर भारत राष्ट्र समिति (BRS) कर​ दिया. इसके अलावा, वो ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) सहित कई राज्यों के सीएम से मिल चुके हैं, लेकिन दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से मुलाकात को लेकर उनका रुख औरों से अलग है. इस मसले को लेकर सियासी जानकार अपने-अपने तरीके से कयास लगाते रहते हैं.

वैसे भी भारतीय राजनीति में अरविंद केजरीवाल मोदी विरोधी गुट के टॉप नेताओं में शुमार हैं. वह राष्ट्रीय राजनीति में केसीआर कुछ वर्षों से काफी रुचि ले रहे हैं. ऐसे में उनके लिए मुफीद यही है कि वो मोदी विरोधी गुट के नेताओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत करें. तभी उन्हें सत्ता विरोधी गुट के लोग गंभीरता से लेंगे. संभवत: इस बात को ध्यान में रखते हुए तेलंगाना के सीएम केसीआर गैर कांग्रेस और गैर बीजेपी पार्टियों को एक मंच पर लाकर थर्ड फ्रंट बनाने की मुहिम में जुटे हैं. इसके बावजूद दिल्ली के सीएम से बार-बार मिलने की उनकी बेताबी को लोग दिल्ली आबकारी घोटाले से जोड़कर देखते हैं.


ये है बार-बार मुलाकात की वजह
दरअसल, दिल्ली आबकारी घोटाला (Delhi Excise Policy) सीएम अरविंद केजरीवाल और तेलंगाना के सीएम केसीआर के लिए गले की फांस बनी हुई है. इससे दोनों चाहते हुए भी बाहर निकल नहीं पा रहे है. आठ साल में पहली बार ऐसा हुआ जब अरविंद केजरीवाल का नाम किसी भ्रष्टाचार में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल होने को लेकर उन्हें आरोपी बनाया गया है. वहीं, इसी घोटाले में केसीआर की बेटी कविता का भी नाम साउथ ग्रुप से जोड़कर लिया जा रहा है. दो दिन पहले की बात है, दिल्ली आबकारी घोटाला मामले में बुधवार को सीबीआई ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी और बीआरएस की नेता कविता के चार्टर्ड अकाउंटेंट बुच्ची बाबू गोरंटला को गिरफ्तार किया था. माना जा रहा है कि सीबीआई और ईडी की जांच कविता तक किसी भी समय पहुंच सकती है. अगर ऐसा हुआ तो केसीआर जिस तरह से राष्ट्रीय राजनीति में अपनी छवि को प्रभावी बनाने में जुटे हैं, उसको झटका लगेगा. केसीआर की छवि न केवल राष्ट्रीय स्तर पर खराब होगी, बल्कि तेलंगाना में लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में उनकी पकड़ कमजोर होने की आशंका है. ऐसा इसलिए कि तेलंगाना एक राज्य के रूप में जब से अस्तित्व में आया है, तभी से वहां के सीएम हैं. ऐसे में बीजेपी लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान उनकी बेटी कविता की आबकारी घोटाले में संलिप्तता को उछालकर केसीआर को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी.

थर्ड फ्रंट को प्रभावी बनाने की कोशिश
यहां पर इस बात का जिक्र करना भी जरूरी है कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आरोप लगाए थे कि आप के संचार प्रभारी विजय नायर को साउथ ग्रुप से 100 करोड़ रुपए मिले थे. साउथ ग्रुप में कथित तौर से YSRCP सांसद मगुंत श्रीनिवासुलू रेड्डी, राघव मगुंत, शरद रेड्डी और कविता शामिल हैं. कविता केसीआर की बेटी हैं. हालांकि, कविता ने खुद पर लग रहे इन आरोपों को खारिज किया है. यही वजह है कि केसीआर सीएम अरविंद केजरीवाल के साथ नजदीकी को और ज्यादा बढ़ाना चाहते हैं. ताकि मोदी के खिलाफ थर्ड फ्रंट की अपनी कवायद को वो प्रभावी बना सकें. साथ ही अपनी बेटी कविता के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसी के हाथ पहुंचने पर वो केजरीवाल की मदद से संभावित सियासी संकट से भी बाहर निकल सकें. केसीआर की केजरीवाल के प्रति विशेष रुचि का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि बीते महीने 19 जनवरी को खम्मम में हुए विपक्षी दलों की एक महारैली में केजरीवाल के साथ पंजाब की आप सरकार में मुख्यमंत्री भगवंत मान भी पहुंचे थे. इसके अलावा केसीआर साल 2022 में मई में दिल्ली सरकार के स्कूलों को देखने पहुंचे थे. 8 फरवरी संसद में अडानी समूह से जुड़े मामले पर चर्चा की मांग उठाने वाले दलों में आप और बीआरएस का नाम भी शामिल है. इसके अलावा, राष्ट्रपति के अभिभाषण पर भी दोनों ही पार्टियों का मत एक जैसा रहा. अडानी मामले में जेपीसी गठित होने तक संसद के सत्र का बहिष्कार करने की घोषणा बीआरएस ने आप के साथ सुर में सुर मिलाते हुए की है.

गठजोड़ की बात से सोमनाथ का इनकार क्यों?
रिपोर्ट की मानें तो आप के कुछ वरिष्ठ नेता दोनों दलों के बीच बढ़ती नजदीकियों को लोकसभा चुनाव 2024 के लिहाज से सियासी जरूरत मानते हैं. आम आदमी पार्टी बीते कुछ सालों से कह रही है कि किसी न किसी को बीजेपी और उसकी चुनी हुई सरकारों के काम रोकने की रणनीति के खिलाफ खड़ा होना पड़ेगा. उस समय आप की बातों को अन्य विपक्षी दलों ने गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन अब अन्य दलों को भी अहसास हुआ कि मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान देश के संघीय ढांचे पर हमला हो रहा है. ये बात अलग है कि दिल्ली आबकारी घोटाले में आप और बीआरएस नेताओं के कथित गठजोड़ को आप के तेलंगाना प्रभारी और विधायक सोमनाथ भारती सच से परे बता रहे हैं. उनका कहना है कि ऐसी कोई बात नहीं है.

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