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पेट्रोल में इथेनॉल की मात्रा 40 करोड़ लीटर से 400 करोड़ लीटर हो गई : PM मोदी

साबरकांठा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने कहा कि 2014 से पहले पेट्रोल में मिलाए जाने वाले इथेनॉल (ethanol mixed with petrol) की मात्रा 40 करोड़ लीटर थी, जो अब बढ़कर 400 करोड़ लीटर हो गई है. उन्होंने उत्तरी गुजरात के साबरकांठा जिले (Sabarkantha district of Gujarat) में हिम्मतनगर के नजदीक स्थित साबर डेयरी की विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन (Inauguration of various projects) करने के बाद एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि पेट्रोल में इथेनॉल के मिश्रण से किसानों की आय भी बढ़ गई है.

मोदी ने कहा कि वर्ष 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही उनकी सरकार किसानों की आय बढ़ाने की कोशिश कर रही है और पिछले आठ वर्ष में इस दिशा में किए गए निरंतर प्रयासों (continuous efforts) के अब नतीजे दिख रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार के पेट्रोल में इथेनॉल मिलाने के फैसले से किसानों की आय में वृद्धि करने में मदद मिली क्योंकि इथेनॉल का उत्पादन कृषि उत्पादों जैसे गन्ने और मक्के से होता है.

मोदी ने जनसभा में कहा, ‘आज, इथेनॉल का पेट्रोल में मिलाने का अनुपात करीब 10 प्रतिशत है. इथेनॉल गन्ने और मक्के से बनता है. वर्ष 2014 से पहले पेट्रोल में केवल 40 करोड़ लीटर इथेनॉल का मिश्रण होता था. आज यह 400 करोड़ लीटर तक पहुंच चुका है.’ उन्होंने कहा कि खेती के अलावा पशुपालन, बागवानी, मत्स्य पालन और शहद के उत्पादन जैसी संबद्ध कारोबारी गतिविधियों ने भी किसानों की आय बढ़ाई है.


प्रधानमंत्री ने कहा, ‘किसानों की आज आय बढ़ी है क्योंकि केंद्र सरकार ने गत आठ साल में निरंतर प्रयास किए हैं। इससे भूमिहीन और सीमांत किसानों को सबसे अधिक लाभ हुआ है.’ उन्होंने कहा, ‘हमारी रणनीति आय के वैकल्पिक स्रोत पर ध्यान केंद्रित करने की थी जिसके नतीजे दिख रहे हैं. पहली बार खादी और ग्राम उद्योगों का कारोबार एक लाख करोड़ रुपये के पार चला गया है.’ उन्होंने दावा किया कि खादी और ग्राम उद्योग क्षेत्र ने गांवों में गत आठ साल में 1.5 करोड़ लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित किए हैं.

मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार कृषि लागत को कम करने के लिए काम कर रही है और हाल के दिनों में वैश्विक स्तर पर उर्वरकों की कीमत में कई गुणा वृद्धि होने के बावजूद देश में इनकी कीमतों में बढ़ोतरी नहीं की गई. उन्होंने कहा, ‘हम यूरिया का अन्य देशों से आयात करते हैं. हालांकि, हाल के समय में वैश्विक स्तर पर इसकी कीमत में कई गुणा वृद्धि हुई है, लेकिन हमने इसका बोझ किसानों पर नहीं डाला. सरकार यूरिया की 50 किलोग्राम की बोरी के लिए 3500 रुपये का भुगतान कर रही है, लेकिन किसानों को केवल 300 रुपये में बेच रही है।.उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में हुई बेतहाशा वृद्धि की वजह से सरकार पर डीएपी उर्वरक की एक बोरी पर दी जाने वाली सब्सिडी का बोझ 500 रुपये से बढ़कर 2,500 रुपये हो गया है.

मोदी ने कहा कि जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो उनकी सरकार ने एकल इस्तेमाल प्लास्टिक को प्रतिबंधित करने के लिए आंदोलन शुरू करने का फैसला किया क्योंकि इसके दुष्परिणाम सामने आ रहे थे. उन्होंने कहा, ‘पशु स्वास्थ्य मेले के दौरान डॉक्टरों ने एक गाय के पेट से 15 से 20 किलोग्राम प्लास्टिक निकाला. यही वजह है कि हमने प्लास्टिक पर रोक की यह मुहिम शुरू की.’ इस मौके पर मोदी ने पाल चितरिया नरसंहार और आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी मोतीलाल तेजावत को याद किया जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ बगावत का नेतृत्व किया. मोदी ने कहा, ‘पहली बार, आदिवासी समाज की, देश की बेटी शीर्ष संवैधानिक पद पर पहुंची हैं. लोगों ने द्रौपदी मुर्मू को भारत का राष्ट्रपति बनाया है. यह हम सभी 130 करोड़ नागरिकों के लिए गर्व का विषय है.’

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