इंदौर न्यूज़ (Indore News)

बिना पूर्णता प्रमाण पत्र के उद्घाटित कर डाला सुपर कॉरिडोर का पुल, दौड़ाने लगे वाहन, अब कांट्रेक्टर पर तोहमतें

इंदौर। कोई भी नया भवन निर्माण के बाद पूर्णता का प्रमाण-पत्र (certificate) हासिल किए बिना उपयोग में नहीं लाया जा सकता, लेकिन प्रशासन ने सुपर कॉरिडोर (super corridor) का वह पुल आम लोगों के उपयोग के लिए खोल दिया, जिसकी पूर्णता का प्रमाण पत्र आज तक पुल की कांट्रेक्टर कंपनी (contractor company) को नहीं दिया गया है। इतना ही नहीं, पुल निर्माण के बाद पांच साल तक कांट्रेक्टर कंपनी को उस पुल का मेंटेनेंस करना होता है, लेकिन चूंकि कांट्रेक्टर कंपनी को आज तक पूर्णता प्रमाण पत्र नहीं मिला, इसलिए न तो कंपनी द्वारा पुल का मेंटेनेंस किया जा रहा है और न ही प्राधिकरण द्वारा उक्त पुल की देखरेख की जा रही है।

आज से 6 वर्ष पूर्व सुपर कॉरिडोर पर रेलवे ब्रिज का कांट्रेक्ट इंदौर की फर्म मेसर्स केटी  कंस्ट्रक्शन को दिया गया था। कंपनी ने टेंडर की शर्तों के अनुसार प्राधिकरण को तीन करोड़ का सिक्योरिटी डिपॉजिट भी दिया, लेकिन पुल का निर्माण शुरू करते ही कंपनी को कई कठिनाइयों से गुजरना पड़ा। लंबे समय तक पुल की डिजाइन नहीं मिली और लंबे इंतजार के बाद डिजाइन मिली भी तो कई अड़ंगे डलते रहे। काफी मशक्कत के बाद कांट्रेक्टर ने पुल का निर्माण पूर्ण करने के उपरांत पूर्णता का प्रमाण पत्र मांगा तो प्राधिकरण ने देने से इनकार कर दिया, क्योंकि पूर्णता का प्रमाण पत्र दिए जाने पर कांट्रेक्टर कंपनी को संपूर्ण भुगतान करते हुए जमा सिक्योरिटी डिपॉजिट लौटाना पड़ता। प्राधिकरण ने कंपनी को पूर्णता का प्रमाण पत्र तो दिया नहीं, लेकिन पुल का उद््घाटन मुख्यमंत्री के हाथों करवा दिया। वास्तविक तौर पर तो बिना पूर्णता प्रमाण पत्र के पुल का लोकार्पण नहीं होना था, लेकिन यदि पुल शुरू कर दिया गया तो उसका मेंटेनेंस तो प्राधिकरण को करना था, क्योंकि कांट्रेक्ट की शर्तों के अनुसार पूर्णता प्रमाण पत्र के बाद भी पांच साल तक कंपनी को उसका मेंटेनेंस करना था, लेकिन पूर्णता का प्रमाण पत्र नहीं मिलने से कंपनी मेंटेनेंस तो कर रही है, मगर जिम्मेदार नहीं ठहराई जा सकती।


आज तक बेदाग है पुल बनाने वाली केटी कंस्ट्रक्शन कंपनी

इंदौर की सबसे बड़ी केटी कंस्ट्रक्शन कंपनी का कारोबार देशभर में फैला हुआ है। कंपनी द्वारा महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में कई बड़े पुलों का निर्माण किया गया और आज तक कहीं भी कंपनी के निर्माण की कोई शिकायत नहीं आई है। चूंकि प्राधिकरण द्वारा पुल का मेंटेनेंस नहीं किया गया, इसलिए उक्त ब्रिज में गड्ढा हुआ।

कांट्रेक्टर कंपनी के सात करोड़ रोके… एफडी भी नहीं छोड़ी

पुल का निर्माण पूर्ण हो जाने के बावजूद प्राधिकरण ने पूर्णता का प्रमाण पत्र नहीं दिया और एक फर्जी शिकायत के आधार पर कंपनी के पुल निर्माण की राशि के 7 करोड़ रुपए भी रोक लिए। इसके अलावा कंपनी की 3 करोड़ की सिक्योरिटी डिपॉजिट राशि की एफडी भी प्राधिकरण ने रोक रखी है, जबकि पुल पर वाहन दौड़ रहे हैं और उसका उद्घाटन भी मुख्यमंत्री द्वारा कराया जा चुका है।

नियमों का गड्ढा खोदा, इसलिए पुल का गड्ढा उभरा…

प्राधिकरण ने बिना पूर्णता प्रमाण पत्र के पुल शुरू कर दिया। यदि प्राधिकरण कंपनी को पूर्णता प्रमाण पत्र दे देता तो पांच साल तक मेंटेनेंस की जिम्मेदारी कंपनी की हो जाती। यदि प्राधिकरण द्वारा यातायात शुरु करवाया भी गया तो उसके मेंटेनेंस की जिम्मेदारी प्राधिकरण की हो जाती है।

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