64 कलाओं के ज्ञानी श्रीकृष्ण का जीवन दर्शन आज भी प्रासंगिक
इंदौर। अभी तक राजनीति (politics) के साथ अन्य विषयों पर भाषण देते लोगों ने मुख्यमंत्री (CM) को सुना। मगर कल रात वे कथाकार (Storyteller) के रूप में नजर आए और श्रीकृष्ण ( Lord Krishna) से जुड़े कई प्रसंगों का उल्लेख करते हुए कहा कि उनका जीवन दर्शन आज भी प्रासंगिक है। लगभग 3 घंटे विलंब से पहुंचे मुख्यमंत्री को सुनने के लिए बड़ी संख्या में विद्यार्थियों के साथ-साथ प्रबुद्ध वर्ग मौजूद रहा। रेनेसा यूनिवर्सिटी में कृष्ण तत्व विषय पर यह संवाद आयोजित किया गया था।
कल रात 10 बजे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इस आयोजन में शामिल हुए और लगभग 1 घंटे तक मौजूद रहे। रेनेसा यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति स्वप्रिल कोठारी ने कृष्ण तत्व पर मुख्यमंत्री से संवाद किया और फिर कुछ सवाल भी श्रोताओं की ओर से पूछे गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रीकृष्ण का मटकी फोडऩा बाललीला नहीं, अत्याचारियों की रसद रोकने की रणनीति थी। मस्तक पर मोर-पंख धारण करना और प्रकृति से प्रेम करना उनके मानवीय पक्ष को दर्शाता है। सुदामा से मित्रता और कंस वध के बाद उग्रसेन को सिंहासन सौंपना न्याय और निष्ठा का प्रतीक है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने श्रीकृष्ण के कर्मयोग, समत्व और न्याय के सिद्धांतों पर विशेष बल देते हुए कहा कि श्रीकृष्ण का संदेश है कि छोटे से छोटा काम भी महत्व रखता है। उन्होंने जीवन भर अन्याय के विरुद्ध संघर्ष किया और समानता का अधिकार सुनिश्चित किया। यही सिद्धांत हमारी शासन-नीति की प्रेरणा भी हैं। मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने विश्वविद्यालय परिसर स्थित गार्डन में हुए इस भव्य आयोजन में भगवान श्रीकृष्ण के जीवन, दर्शन और उपदेशों पर छात्रों को संबोधित करते हुए श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़ी घटनाओं को वर्तमान सामाजिक संदर्भों से जोडक़र उनकी प्रासंगिकता समझाई। इंदौर की रेनेसां यूनिवर्सिटी में बुधवार रात आयोजित ‘कृष्ण तत्व’ विषयक सेमिनार में विश्वविद्यालय परिसर स्थित गार्डन में हुए इस भव्य आयोजन में भगवान श्रीकृष्ण के जीवन, दर्शन और उपदेशों पर आज के संदर्भ में संवाद हुआ।
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