नई दिल्ली। आज़ादी के बाद से देश में सबसे लंबे समय तक सत्ता (political party Power) संभालने वाली और भारत की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस (Congress) मौजूदा राजनीतिक हालात (current political situation) में अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है। वैसे भी देश की सबसे पुरानी पार्टियों में से एक कांग्रेस इन दिनों खुद को नए रंग में रंगने की कोशिश में लगी है।
बता दें कि पिछले दो लोकसभा चुनावों में बुरी तरह पराजित हुई और अब सिर्फ़ कुछ ही राज्यों की सत्ता तक सिमटी कांग्रेस पार्टी में अब ये समझ बन रही है कि ये ‘करो या मरो’ की स्थिति है। इसी को लेकर हाल ही में उदयपुर में चला कांग्रेस पार्टी का तीन दिवसीय चिंतन शिविर पिछले दिनों ख़त्म हो गया। इसे ‘नव संकल्प शिविर’ का नाम दिया गया और इस दौरान पार्टी को फिर से मज़बूत करने की रणनीति बनाई गई। इसी को लेकर कांग्रेस अपने प्रवक्ताओं/नेताओं को टीवी बहसों और प्रेस कॉन्फ्रेंस/भाषणों के दौरान कांग्रेस को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस नाम का इस्तेमाल करने की सलाह देने के लिए पूरी तरह तैयार है। असल में पार्टी अपने नए नाम से यह संदेश देना चाहती है कि कांग्रेस वही भारतीय पार्टी है, जिसने देश के लिए आजादी की लड़ाई लड़ी।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि इसके पीछे ये तर्क दिया जा रहा है कि अक्सर बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी कांग्रेस के राष्ट्रवाद और कांग्रेस नेतृत्व की भारतीयता पर सवाल उठाते रहते हैं. सूत्रों ने कहा कि इसलिए, इस बात को दोहराना अब जरूरी है कि कांग्रेस पार्टी भारतीय है। भारतीयता में विश्वास राष्ट्रवादी हैं और कांग्रेस का नेतृत्व भी भारतीय है।
यहां तक कि कांग्रेस पार्टी में यह पहली बार है कि प्रस्ताव हिंदी में पारित किए गए और बाद में उनका अंग्रेजी में अनुवाद किया गया. अब तक, प्रस्तावों को हमेशा अंग्रेजी में पारित किया जाता था और फिर उनका हिंदी अनुवाद मीडिया को उपलब्ध कराया जाता था। संचार रणनीति में बदलाव करते हुए कांग्रेस पार्टी ने समिति के गठन के तुरंत बाद 2024 के लिए गठित की गई टास्क फोर्स की बैठक की। जिसमें कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी को विशेष रूप से बुलाया गया और तस्वीरें तुरंत मीडिया को जारी की गईं ताकि आम कार्यकर्ता कांग्रेस की गंभीरता का संदेश मिले।
उदयपुर में पार्टी ने नव संकल्प शिविर में संचार को मौलिक रूप से बदलने का प्रस्ताव पारित किया था। राहुल गांधी ने भी हमेशा माना है कि भारतीय जनता पार्टी की प्रचार प्रणाली कांग्रेस से काफी बेहतर है और उन्हें भाजपा के प्रचार के तरीके से सीखने की जरूरत है।