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दुनिया में बढ़ रहा विषैले पारे का खतरा, छाया इंसान और जानवरों के जीवन पर संकट

वाशिंगटन। हमारी धरती कई संकटों से एक साथ जूझ रही है। इसी कड़ी में एक और चिंताजनक बात सामने आई है। एक नवीन अध्ययन में बताया गया है कि दुनिया भर में विषैले पारे (toxic mercury) का खतरा बढ़ रहा है, जो इंसानों के साथ-साथ वन्य जीवों व जलीय जीवों के लिए भी घातक है। दरअसल, यूनिवर्सिटी आफ मैसाच्युसेट्स लोवेल (University of Massachusetts Lowell) के पर्यावरण विज्ञान के प्रोफेसर ने मैसाच्युसेट्स जंगल में जमा हुए पारे की मात्रा का अध्ययन कर यह दावा किया है कि दुनिया भर के जंगलों में जमा इस विषैले तत्व की मात्रा पूर्व के अनुमान की तुलना से बहुत ज्यादा है।


इस अध्ययन के निष्कर्ष प्रोसीडिंग्स आफ द नेशनल एकेडमी आफ साइंसेज जर्नल(Proceedings of the National Academy of Sciences Journal) में प्रकाशित किए गए हैं। प्रो. डैनियल ओब्रिस्ट (Pro. Daniel Obrist) और उनकी टीम द्वारा किया गया यह अध्ययन इंसानों, वन्य जीवों और जलीय जीवों को लेकर चिंताजनक स्थिति प्रकट करता है, क्योंकि जंगलों में जमा पारा आखिरकार नदियों और झीलों से होता हुआ महासागरों में पहुंचता है।
अध्ययनकर्ताओं के मुताबिक, पारा एक अत्यधिक जहरीला प्रदूषक है, जो मछली, पक्षियों, स्तनधारियों और मनुष्यों के लिए खतरा है। हर साल बिजली संयंत्रों में कोयला जलने, सोने के खनन व दूसरी औद्योगिक प्रक्रियाओं से सैकड़ों टन पारा वातावरण में छोड़ा जाता है और हवा के जरिये यह प्रदूषक दुनिया भर में फैलता है।
यूनिवर्सिटी आफ मैसाच्युसेट्स लोवेल के अध्यक्ष प्रो. ओब्रिस्ट के मुताबिक, लंबे समय तक पारे के संपर्क में रहने से या प्रदूषक के अधिक स्तर वाले भोजन का सेवन करने से प्रजनन क्षमता, प्रतिरक्षा प्रणाली प्रभावित होती है और तंत्रिका व हृदय संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
ओब्रिस्ट के अनुसार, जंगल दुनिया के सबसे प्रचुर, उत्पादक और व्यापक पारिस्थितिक तंत्र का गठन करते हैं। उन्होंने बताया कि यह अपनी तरह का पहला अध्ययन है, जो इस बात की पूरी तस्वीर प्रस्तुत करता है कि वातावरण में मौजूद पारा किस तरह से दुनिया के जंगलों में जमा होता है। साथ ही पारे के गैसीय रूप में मौजूदगी के बारे में भी इस अध्ययन से पता चलता है, जोकि पूर्व के अध्ययनों में सामने नहीं लाया गया है।
बकौल प्रो. ओब्रिस्ट, पेड़ अपनी पत्तियों के माध्यम से वातावरण से गैसीय पारा लेते हैं और जैसे ही पेड़ अपने पत्ते गिराते हैं, वे मूल रूप से वायुमंडलीय पारे को पारिस्थितिक तंत्र में स्थानांतरित कर देते हैं। अध्ययनकर्ताओं के दल ने पिछले 16 महीनों में मापा कि कैसे वातावरण में मौजूद पारा हार्वर्ड जंगल में जमा होता है।
अध्ययनकर्ताओं ने करीब चार हजार एकड़ के स्थान में अध्ययन किया, जिसमें रेड ओक (लाल शाहबलूत) और रेड मेपल जैसे पेड़ हर साल अपनी पत्तियां गिरा देते हैं। जंगल के 100 फीट ऊंचे अनुसंधान टावर के जरिये विभिन्न ऊंचाइयों पर रखी गई माप प्रणालियों के एक सेट ने गैसीय पारे के जमाव का आकलन किया।
प्रो. ओब्रिस्ट के मुताबिक, इस जंगल में जमा पारे का 76 फीसद हिस्सा गैसीय वायुमंडल से आता है। यह बारिश और बर्फ में जमा पारे से पांच गुना और कचरे में जमा पारे से तीन गुना अधिक है।
अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि इस अध्ययन के निष्कर्ष इस ओर संकेत करते हैं कि दुनिया में विषैले पारे का खतरा लगातार बढ़ रहा है। इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए तो इसके कई गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

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