उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

द्वापर युग से मौजूद है महाकाल मंदिर का अस्तित्व

  • मुगल लुटेरों के हमलों के बाद कई बार हुआ जीर्णोद्धार
  • विस्तृत हुआ परिसर कल से महाकाल लोक के नाम से जाना जाएगा

उज्जैन। शिव महापुराण अनुसार उज्जैन में भगवान महाकाल के मंदिर का अस्तित्व द्वापर युग से है। मंदिर की स्थापना द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के आठ पीढ़ी पूर्व हुई थी। ईसा पूर्व छठी शताब्दी के धर्मग्रंथों में भी महाकाल मंदिर का उल्लेख मिलता है। इतना ही नहीं 11वीं तथा फिर 12वीं शताब्दी में मुगल लुटेरों के हमलों के बावजूद महाकाल मंदिर का समय-समय पर जीर्णोद्धार होता रहा। वहीं कल प्रधानमंत्री के हाथों लोकार्पण के बाद महाकाल क्षेत्र का विस्तृत हुआ बड़ा भाग महाकाल लोक के नाम से पहचाना जाएगा। बारह ज्योर्तिलिंगों में से एक इस मंदिर में भगवान महाकाल दक्षिणमुखी होकर विराजमान हैं। मंदिर के शिखर के ठीक ऊपर से कर्क रेखा गुजरी है, इसलिए इसे पृथ्वी का नाभिस्थल भी माना जाता है। शिव महापुराण में प्राचीन काल से ही द्वापर युग उज्जैन में भगवान महाकाल के स्वयंभू विराजित होने का उल्लेख है। इसके अलावा ईसा पूर्व छठी शताब्दी से धर्म ग्रंथों में उज्जैन के महाकाल मंदिर का भी उल्लेख मिलता है। उस दौरान उज्जैन के राजा प्रद्योत के काल से लेकर ईसवी पूर्व दूसरी शताब्दी तक महाकाल मंदिर के अवशेष प्राप्त होते रहे। महाकालेश्वर मंदिर के प्राप्त संदर्भों के अनुसार ईसा पूर्व छठी सदी में उज्जैन के राजा चंद्रप्रद्योत ने महाकाल परिसर के जीर्णोद्धार हेतु अपने पुत्र कुमार संभव को नियुक्त किया था। दसवीं सदी के अंतिम दशकों में संपूर्ण मालवा पर परमार राजाओं का आधिपत्य हो गया था। उन्होंने भी अपनी शैली में इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था। इस काल में रचित काव्य ग्रंथों में महाकाल मंदिर का सुंदर वर्णन आया है।


वक्त के साथ होता रहा जीर्णोद्धार
14वीं व 15वीं सदी के ग्रंथों में महाकाल का उल्लेख मिलता है। 18वीं सदी के चौथे दशक में मराठा राजाओं का मालवा पर आधिपत्य हो गया। पेशवा बाजीराव प्रथम ने उज्जैन का प्रशासन अपने विश्वस्त सरदार राणौजी शिंदे को सौंपा। राणौजी के दीवान थे सुखटंकर रामचंद्र बाबा शैणवी। इन्होंने ही 18वीं सदी के चौथे-पांचवें दशक में मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया। वर्तमान में जो महाकाल मंदिर स्थित है उसका निर्माण राणौजी शिंदे ने ही करवाया था। इसमें में महाकाल ज्योर्तिलिंग मंदिर के सबसे नीचे के भाग में प्रतिष्ठित है। जबकि मध्य के भाग में ओंकारेश्वर का शिवलिंग है तथा सबसे ऊपर वाले भाग पर साल में सिर्फ एक बार नागपंचमी पर खुलने वाला नागचंद्रेश्वर मंदिर है। महाकाल का यह मंदिर भूमिज, चालुक्य एवं मराठा शैलियों का अद्भुत समन्वय है। मंदिर के 118 शिखर स्वर्ण मंडित है।


पहले गजनी और फिर इल्तुतमिश ने किया था हमला
इतिहासकारों के अनुसार 11वीं सदी के आठवें दशक में मुगल लुटेरे मोहम्मद गजनी द्वारा किए गए आघात के बाद 11वीं सदी के उत्तरार्ध व 12वीं सदी के पूर्वाद्र्ध में उदयादित्य एवं नरवर्मा के शासनकाल में मंदिर का पुनर्निमाण हुआ। ईस्वी सन 1234-35 में सुल्तान इल्तुमिश ने पुन: आक्रमण कर महाकालेश्वर मंदिर को ध्वस्त करने का प्रयास किया था। किंतु मंदिर का अस्तित्व और धार्मिक महत्व फिर भी बना रहा।

2.82 हेक्टेयर था, 46.5 हेक्टेयर हो जाएगा
752 करोड़ रुपए की लागत से महाकाल विस्तारीकरण योजना के पहले चरण का काम पूर्ण हो गया है और कल 11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका लोकार्पण करने आ रहे हैं। करीब 900 मीटर लंबे एरिया में तैयार किए गए इस परिसर को महाकाल लोक नाम दिया गया है। इसका मुख्य प्रवेश द्वार चारधाम मंदिर के सामने बनाया गया है। श्रद्धालु यहां से प्रवेश करते हुए परिसर में बने कमल तालाब, शिव महापुराण की गाथा को जीवंत करती शिव परिवार के देवी देवताओं सहित सप्तर्षियों आदि की छोटी और बड़ी 120 प्रतिमाएं और सुंदर पत्थरों पर बने भित्ति चित्र जिस में शिव विवाह और बारात का पूरा चित्रण देख और समझ सकेंगे! करीब 900 मीटर लंबे इस कॉरिडोर में श्रद्धालुओं के लिए अन्य सुविधाएं भी रहेंगी। हाल ही में काशी विश्वनाथ मंदिर का कॉरिडोर 300 मीटर के दायरे में तैयार किया गया है। इसके मुकाबले महाकाल कोरिडोर क्षेत्रफल लगभग 3 गुना ज्यादा है। महाकाल लोक विस्तार के पूर्व महाकाल मंदिर का क्षेत्रफल 2.82 हेक्टेयर था, विस्तारीकरण का दूसरा चरण पूरा होने के बाद यह 46.5 हेक्टेयर हो जाएगा। उल्लेखनीय है कि सिंहस्थ 2016 के एक साल बाद महाकाल क्षेत्र विस्तारीकरण का काम शुरू हुआ था। इसका पहला चरण पूर्ण हो गया है, जिसका प्रधानमंत्री कल लोकार्पण करेंगे।

पहले दर्शन फिर महाकाल लोक का लोकार्पण करेंगे प्रधानमंत्री
उज्जैन। महाकाल लोक के कल 11 अक्टूबर को होने जा रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महाकाल दर्शन, लोकार्पण और फिर धर्मसभा संबोधित करने का अधिकृत कार्यक्रम जारी हो चुका है। इसके मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल शाम 5.30 बजे के लगभग महाकाल मंदिर पहुंच जाएंगे। यहां वे भगवान महाकाल का विधिवत पूजन-अर्चन करेंगे। इसके बाद चारधाम मंदिर के सामने बने महाकाल लोक के प्रवेश द्वार से प्रवेश करेंगे।

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