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दिवाली पर 2100 दीपों से जंगल को किया गया रोशन, 400 से अधिक लोग हुए शामिल

डेस्क: दिवाली पर दीपों को जलाकर पटाखों को फोड़ना तो आम बात है, आज हम आपको कुछ ऐसा बताने जा रहे हैं, जिसमें दिवाली बीच जंगल में पेड़-पौधों के साथ मनाई जाती है. बड़ी बात यह है कि इसमें ना तो पटाखे फोड़े जाते हैं और न ही किसी प्रकार की आतिशबाजी की जाती है.

प्रशासन के साथ-साथ गांव के लोग जंगल में जाकर पेड़-पौधे के बीच दीप जलाते हैं तथा प्रकृति की पूजा कर अंत में प्रसाद का वितरण करते हैं. गौर करने वाली बात यह है कि दिवाली को इस प्रकार से मनाए जाने की पहल पर्यावरण प्रेमी के नाम से प्रसिद्ध बगहा निवासी गजेंद्र यादव ने की है और यह पिछले 15 वर्षों से अनवरत जारी है.

2003 में पेड़-पौधे के साथ पर्व मनाने की शुरू हुई थी परंपरा
बगहा के पिपरा गांव के रहने वाले 40 वर्षीय गजेंद्र जिले में पर्यावरण प्रेमी के नाम से प्रसिद्ध हैं. दरअसल, गजेंद्र ने दो दशक पहले खुद को पर्यावरण के हवाले सौंप दिया था ताकि आजाद रहकर पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर सके. इसलिए उन्होंने शादी नहीं की. उन्होंने अपने अबतक के जीवन में 8 लाख से अधिक पौधे लगा चुके है.


लोगों में ऐसी मान्यता है कि उनके द्वारा लगाए गए पपौधे कभी नहीं मुरझाते हैं. 2003 में उन्होंने एक मुहिम शुरू की, जिसके तहत वो हर पर्व जंगल में पेड़ पौधों के साथ मनाने का प्रण लिया. उनका मानना है कि ऐसा करने से पर्यावरण में सकारात्मकता बढ़ती है और इंसानों की तरह पेड़-पौधे भी खुश होते हैं. ऐसे में इस बार की दिवाली भी उन्होंने पेड़-पौधे के साथ ही 2100 दीयों को जलाकर मनाया.

अब तक लगा चुके हैं 8 लाख से अधिक पौधे
खास बता यह है कि इस बार दिवाली में गजेंद्र के साथ 400 लोगों का जत्था था. इसमें एसएसबी 21 वीं वाहिनी के सेननायक प्रकाश तथा बगहा अनुमंडल के पुलिस पदाधिकारी कुमार देवेंद्र भी शामिल थे. बकौल गजेंद्र, उन्होंने दीप जलाने की शुरुआत तिरहुत नहर स्थित आईपीएस विकास वैभव चौराहे से की. जो करीब एक किलोमीटर दूर तक जलाया गया.

पर्यावरण संरक्षण का दे रहे संदेश
साथ ही प्रकृति की पूजा-अर्चना की गई तथा अंत में प्रसाद वितरण कर सबको पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित किया गया. गजेंद्र की मानें तो उन्होंने अब तक करीब साढ़े आठ लाख पौधे लगाए हैं. जिसमें मुख्य रूप से पीपल, पकड़ी, कदंब, महोगनी, सागवान, आंवला, बरगद, शीशम, जामुन, गम्हार तथा अर्जुन शामिल है.

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