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मामला पशु क्रूरता का : समाधान ही बनी समस्या… अधिकारियों की गलती की सजा कर्मचारियों को क्यों?

नागदा (प्रफुल्ल शुक्ला)। जब समस्या का समाधान ही समस्या बन कर खड़े हो जाए तो वो समाधान ही क्या? वो भी तब जब यहाँ कि नगर पालिका में वर्षों से अधिकारी जमें बैठे है और उन्हें पता भी रहता है कि क्रिया कि प्रतिक्रिया होगी ही। बात हो रही है आवार श्वान को पकडऩे में हुई क्रूरता, उस पर प्रकरण बनाया जाना और अब प्रकरण का विरोध। यहाँ जमें अधिकारियों को पता था इससे पहले भी जनता द्वारा आवारा श्वानों द्वारा परेशान किए जाने की शिकायत के बाद इन्हें पकडऩे की मुहिम के दौरान भी पशु क्रूरता का मामला उठा था। तब भी मामला मीडिया में आया था यहाँ तक कि इन श्वानों को पकडऩे के लिए बनाए गए नियमों की कापी भी नपा प्रशासन को उपलब्ध करवाई गयी थी। ऐसे में वषों से जमे इन अधिकारियों द्वारा नवागत सीमओ को इस बात की जानकारी क्यों नहीं दी गयी? कहीं यह इन अधिकारियों द्वारा नवागत सीएमओ जाट को कमजोर करने का षड्यन्त्र तो नहीं? सीएमओ को पूर्व की घटनाओं से अवगत करवाना अधीनस्थ अधिकारियों की जिम्मेदारी होती है।


कर्मचारियों का क्या दोष
श्वानों को पकडऩे का आदेश मिलने पर नपा कर्मचारियों को उसका पालन करना ही था। नियमों के अनुसार आधुनिक फन्दों आदि की मदद से इन्हें पकड़ा जाना था। नगर पालिका में आधुनिक संसाधन है नहीं तो कर्मचारियों को मजबूरन पारम्परिक संसाधनों का उपयोग करना पड़ा। कार्यवाही या प्रकरण उन अधिकारियों पर बनना चाहिए जो इस समस्या से पूर्व से ही अवगत थे। इसके बावजूद उन्होंने समाधान के बजाए एक नई समस्या खड़ी कर दी। अब नपाकर्मियों के समर्थन में उनके साथी कर्मियों ने प्रकरण वापस लेने की मांग करते हुए हड़ताल की चेतावनी दे दी है। साथ ही बलाई महासंघ और वाल्मीकि समाज ने भी कर्मचारियों पर हुई कार्यवाही पर विरोध दर्ज कराते हुए प्रकरण वापस लेने की मांग की है।

सक्षम नगरपालिका पर इच्छाशक्ति की कमी
नागदा नगर पालिका मध्यप्रदेश कि सबसे एक सक्षम नगर पालिकाओं में से एक है जिसके पास फन्ड की कोई कमी नहीं है। ऐसे में आवारा पशुओं को पकडऩे के लिए आधुनिक संसाधन नहीं होना नपा प्रशासन की विफलता दर्शाता है। आखिर यहाँ काबिज अधिकारों ने इस बाबत कोशिश क्यों नहीं की? सालों से समय-समय पर आवारा पशुओं की परेशानी सामने आते ही रहती है। बावजूद कोई सार्थक कदम जबाबदारों द्वारा नहीं उठाया गया। इन अधिकारियों की गलती की सजा उन कर्मचारियों को क्यों जो मौजूद संसाधनों के साथ सिफऱ् आदेश का पालन कर रहे थे। जिम्मेदार अधिकारी को आगे आकर नैतिकता के आधार पर अपनी गलती स्वीकार करना चाहिए। समस्या का समाधान समस्या से न करते हुए अधुनिक संसाधनों को तत्काल खरीदे जाने और डाग हाऊस के निर्माण की घोषणा करना चाहिए। ऐसा होने पर शहर के पशुप्रेमी भी संतुष्ट होंगे और कर्मचारियों का विश्वास भी अपने अधिकारियों पर कायम रहेगा।

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