40 प्रतिशत प्लेटलेट्स 5 दिन में एक्सपायर हो जाते हैं
ब्लड बैंक के 1500 में से 800 यूनिट ही उपयोगी
इंदौर। डेंगू मरीजो (dengue patients) की बढ़ती संख्या के साथ प्लेटलेट्स (platelets) की मांग भी हर रोज बढ़ती जा रही है। रक्तदाताओं ( blood donors) या मरीजों (patients) के परिजनों के खून (blood) से जितनी प्लेट्लेट्स बनाई जाती है, उसमें से 60 प्रतिशत यूनिट प्लेट्लेट्स ही काम आ पाते हैं। 40 प्रतिशत यूनिट प्लेट्लेट्स बेकार यानी एक्सपायर हो जाते हैं। यह खुलासा एमवाय अस्पताल (my hospital) के ब्लड बैंक (blood bank) के प्रमुख ने किया है।
एमवाय अस्पताल (my hospital) में ब्लड बैंक हर रोज मरीजो के परिजन या रक्तदाताओ के रक्त से 50 यूनिट प्लेटलेट्स बनाते हैं। ब्लड बैंक (blood bank) महीने भर में लगभग 1500 यूनिट प्लेटलेट्स (platelets) बनाकर रखते हैं मगर इसमें से लगभग 800 यूनिट ही मरीजों के काम आ पाते हंै। लगभग 700 यूनिट प्लेटलेट्स एक्सपायर हो जाता हैं।
कम उम्र फिर भी प्लेटलेट्स बनाना जरूरी
ब्लड बैंक चीफ डाक्टर अशोक यादव (doctor ashok yadav) के अनुसार प्लेटलेट्स (platelets) की उम्र सिर्फ 5 दिन 120 घण्टे होती है। इसके बाद यह एक्सपायर हो जाता है। इस वजह से यह किसी काम का नहीं रहता। मगर हमारी भी मजबूरी है। हमें प्लेटलेट्स एडवांस में बना कर रखना होते हंै।
इन मरीजों को जरूरत पड़ती है प्लेटलेट्स की
प्लेटलेट्स (platelets) का इस्तेमाल कई बीमारियों वाले मरीजों के लिए किया जाता है। डेंगू के मरीजो के अलावा कैंसर पीडि़त मरीज , बोनमेरो ट्रांसप्लांट सम्बन्धित मरीज ,बोनमेरो डेप्रेशन, थैलेसीमिया पीडि़त मरीजों को चढ़ाए जाते हैं। एमवाय अस्पताल में भर्ती मरीजो के लिए हर दिन हर मौसम में सालभर 20 से 25 यूनिट प्लेटलेट्स की जरूरत पड़ती है। मगर मई जून के बाद डेंगू, मलेरिया के मरीजो की संख्या बढऩे लगती है तो इसकी खपत बढऩे लगती है।
सरकारी व निजी अस्पताल वालों को भी
डाक्टर यादव ने बताया कि एमवायएच का ब्लड बैंक (blood bank) सिर्फ एमवाय अस्पताल (my hospital) में भर्ती मरीजों के लिए ही नहीं, बल्कि शहर व जिले के अन्य सरकारी व निजी अस्पतालों को भी प्लेटलेट्स बना कर देता है। अभी डेंगू बुखार के चलते तो इंदौर सम्भाग के अन्य जिलों के सरकारी व निजी अस्पतालों को प्लेटलेट्स (platelets) बनाकर दे रहे हैं। जुलाई-अगस्त माह से अभी तक सम्भाग के अन्य अस्पतालों में लगभग 3000 यूनिट प्लेटलेट्स बना कर दे चुके है ं, क्योंकि प्लेटलेट्स बनाने की मशीन या लैब टेक्नीशियन हर अस्पताल में नही होते।
दो तरह से बनते हैं प्लेटलेट्स
एमवाय (my hospital) की ब्लड बैंक (blood bank) में ब्लड से प्लेटलेट्स 2 तरह से बनाये जाते हंै। पहली तकनीक में ब्लड डोनर यानी रक्तदाता के ब्लड से प्लेटलेट्स बनाने में रक्तदाता के ब्लड से प्लेटलेट्स बनाने के बाद उसका ब्लड किसी काम का नहीं रहता। दूसरी तकनीक से प्लेटलेट्स (platelets) बनाने के बाद ब्लड डोनर का ब्लड उसे वापस चढ़ा दिया जाता है या उसे उसी ब्लड ग्रुप के मरीज के लिए इस्तेमाल कर लिया जाता है।
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