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समुद्र में मिला रहस्यमयी आईलैंड आज भी बना पहेली, जानिए पूरा मामला

कैलेडोनिया। वैज्ञानिक (scientists) पृथ्‍वी पर किसी न किसी की खोज करते रहते हैं, चाहे धरती हो या आकाश या फिर पाताल। अब गहरे समुद्र के बीच करीब 250 वर्षों से एक द्वीप वैज्ञानिकों (scientists) के लिए रहस्य बना हुआ है। कई बार यह दिखाई पड़ता है और कई बार नक्शे से भी गायब हो जाता है। अब वैज्ञानिक थोड़े-थोड़े इससे जुड़ी संभावनाओं तक पहुंच पाने की उम्मीद लगा रहे हैं।

बता दें कि वैज्ञानिक कई सालों से गूगल मैप्स (Google Maps) पर होने वाली एक अजीबोगरीब घटना से हैरान हैं। दक्षिण प्रशांत महासागर (South Pacific Ocean) में ऑस्ट्रेलिया (Australia) और न्यू कैलेडोनिया के बीच स्थित आईलैंड एक पहेली रहा है, क्योंकि यह कभी दिखाई देता है तो कभी गायब हो जाता है. जान लें कि यह कोई तकनीकी खराबी नहीं है, क्योंकि सैटेलाइट के जरिए यह आईलैंड एक भू-भाग के रूप में दिखता है।



एक रिपोर्ट के अनुसार कई लोगों ने इसे रेतीला आइलैंड या ‘फैंटम आइलैंड’ कहा है. इसका जिक्र पहली बार कैप्टन जेम्स कुक के Chart Of Discoveries In The South Pacific Ocean में 1776 में किया गया था। इसके बाद ये रहस्यमयी आईलैंड 1895 में दिखाई दिया था। इस रहस्यमयी आईलैंड की लंबाई करीब 24 किलोमीटर और चौड़ाई लगभग 5 किलोमीटर है।

गौरतलब है आईलैंड का ये रहस्य 22 नवंबर, 2012 को एक बार फिर सुलझाने की कोशिश की गई, जब ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों को आर/वी दक्षिणी सर्वेयर पर समुद्र के अलावा कुछ नहीं मिला।

वैज्ञानिकों ने समुद्र की गहराई को 4,300 फीट से ज्यादा होने का रिकॉर्ड किया। इससे यह संकेत मिला कि समुद्र के नीचे किसी भी चीज के छिपे होने की कोई संभावना नहीं है जो पहले दिखाई देती थी। फिर 4 दिन बाद इस आईलैंड को गूगल मैप्स से हटा दिया गया, हालांकि अब तक, इस पर कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं आया है कि कोई तथाकथित रहस्यमयी आईलैंड अभी भी क्यों देखा जा सकता है। माना जा रहा है कि कभी-कभी दिखने वाला ये आईलैंड जलमग्न ज्वालामुखी या विस्फोट का तैरता हुआ अवशेष है।



हालांकि इस बात की अभी तक कोई आधिकारिक व्याख्या नहीं की गई है कि सैंडिंग आइलैंड पहले कई बार कैसे देखा जा चुका है। अभी इसको लेकर सबसे ज्यादा दावा यह किया जा रहा है, दरअसल यह पानी के अंदर ज्वालामुखी से निकले हुए पदार्थों का वह अवशेष हो सकता है, जो समुद्र की सतह पर तैर रहा हो या फिर कोस्टर सबएरियल इरप्शन हो सकता। इस तरह के राफ्ट या बेड़ा कई बार समुद्र में हजारों मील तक तैर कर पहुंच सकते हैं और संभव है कि कैप्टन कुक ने जो देखा था वह भी इसी तरह का तैरता हुआ विशाल झावां हो, जो प्रशांत महासागर में तैरता हुआ नजर आया होगा।

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