उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

भैरवगढ़ क्षेत्र का लाल पानी शिप्रा में मिलता है और उससे 250 गाँवों में खेती होती है..इससे होती है कई बीमारियाँ

File Photo
  • उद्गम स्थल से पूरी शिप्रा की परिक्रमा की-विक्रम के छात्रों ने 280 किमी भ्रमण किया-शिप्रा के आसपास घने जंगल नहीं

उज्जैन। एक जनहित याचिका पर फैसला सुनाने के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उज्जैन सहित इंदौर, देवास, रतलाम कलेक्टरों से शिप्रा नदी की ताजा सर्वे रिपोर्ट माँगी और है कहा कि में उपलब्ध जल में व्याप्त प्रदूषण, कैचमेंट एरिया में हुए अतिक्रमण और सुधार के लिए प्रचलित एवं स्वीकृत योजनाओं की ताजा रिपोर्ट जल्द उपलब्ध कराएं। याचिका पर सुनवाई 16 अगस्त 2023 को होना है। उल्लेखनीय है कि शिप्रा प्रदूषण पर लगी जनहित याचिका पर लगातार हो रही सुनवाई में 20 अप्रैल को नोडल एजेंसी बनाने के निर्देश एनजीटी ने दिए थे। विगत 13 जुलाई को पुन: सुनवाई करते हुए चारों जिलों इंदौर, देवास, उज्जैन एवं रतलाम के कलेक्टरों को प्रथक से रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही गठित नोडल एजेंसी एडीशनल चीफ सेक्रेट्री जल संसाधन मंत्रालय मध्य प्रदेश व चेयरमैन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पीसीबी को भी शिप्रा प्रदूषण पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।


शिप्रा में व्याप्त प्रदूषण का अध्ययन करते हुए शिप्रा में उदगम शिप्रा मंदिर इन्दौर से लेकर संगम शिप्रावड़ा (आलोट रतलाम) तक शिप्रा अध्ययन यात्रा करते हुए विक्रम विश्व विद्यालय कार्य परिषद सदस्य एवं शिप्रा अध्ययन यात्रा संयोजक सचिन दवे ने शिप्रा को प्रदूषण से मुक्त करने के उद्देश्य से अपनी रिपोर्ट के आधार पर एनजीटी में जन हित लगाई याचिका लगाई जिसमें 28 पक्षकार बनाये गये। यह याचिका 2022 विक्रम विश्व विद्यालय के रिसर्च छात्रों को साथ लेकर शिप्रा के उदगम से संगम 280 किलो मीटर तक शिप्रा अध्ययन यात्रा का आधार पर याचिका लगाई। इस याचिका में शिप्रा में घटों के जल के सेम्पल लिये गये जिससे अधिकांश घाट के सेम्पल केटेगरी के आये हैं। अर्थात शिप्रा का जल पीने योग्य नहीं है। साफ-सफाई हेतु ही उपयोग किया जा सकता है। इस याचिका में शिप्रा में मिलने वाले केडी पैलेस के नाले से लाल रंग का पानी निकल रहा है, जो केडी पैलेस उज्जैन लेकर महिपुर तहसील के अंतिम गाँव तक जा रहा है। इस पानी का उपयोग 70 किलोमीटर के क्षेत्र में 250 गाँव उससे खेती की सिचाई के लिए कर रहे हैं जिससे गाँव में बीमारियाँ पनप रही है। हाथ पैरों में दर्द रहता है, फसलें जल रही (आलू, प्याज, गेहँू) है। मामला विक्रम विश्वविद्यालय की कार्य परिषद के सदस्य सचिन दवे द्वारा इसी वर्ष फरवरी माह में शिप्रा में व्याप्त प्रदूषण एवं सतत जल प्रवाह को लेकर एनजीटी दायर जनहित याचिका से जुड़ा है।

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