नई दिल्ली । कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश (Congress General Secretary Jairam Ramesh) ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के मामले में (In the Fight against Terrorism) कोई समझौता नहीं किया जा सकता (There can be No Compromise) । रमेश ने उम्मीद जताई कि गहन राजनयिक भागीदारी से भारत और कनाडा के बीच गंभीर संकट को हल करने में मदद मिलेगी।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने शुक्रवार को यहां पार्टी मुख्यालय में मीडिया से बात करते हुए कहा, “मौजूदा स्थिति में कांग्रेस दोहराती है कि आतंकवाद के खिलाफ देश की लड़ाई समझौताहीन होनी चाहिए – खासकर जब इससे भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरा हो। उम्मीद है कि गहन राजनयिक जुड़ाव होगा और इससे भारत और कनाडा के बीच गंभीर मौजूदा संकट को हल करने में मदद मिलेगी।” उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच पिछले 70 वर्षों में एक लंबा रिश्ता रहा है, चाहे वह विज्ञान का क्षेत्र हो या प्रौद्योगिकी का, या फिर हमारे परमाणु रिएक्टर का। उन्होंने आगे कहा कि हमारे तीन लाख 20 हजार छात्र कनाडा में पढ़ रहे हैं और सेवा क्षेत्र तथा आईटी क्षेत्र में लाखों भारतीय हैं। हमारे पास कनाडा में निवेश वाली भारतीय कंपनियां हैं और यहां तक कि कनाडाई कंपनियों ने भी भारत में निवेश किया है।
रमेश ने कहा, “इसलिए कनाडा के साथ हमारा बहुत करीबी रिश्ता रहा है, लेकिन वह सब ख़तरे में है। हमारा मानना है कि गहन कूटनीतिक सहभागिता, कुशल कूटनीतिक सहभागिता से मौजूदा संकट को हल करने में मदद मिलेगी। कनाडा में पढ़ने और काम करने वाले विभिन्न जाति धर्मों से आने वाले हमारे छात्रों और पेशेवरों की सुरक्षा सर्वोपरि रहनी चाहिए। कूटनीति टूटती नजर आ रही है, लेकिन इस टूटन का जवाब अधिक कूटनीति है। हमें उम्मीद है कि हम मौजूदा संकट से बाहर आ जाएंगे।” उनकी टिप्पणी कनाडा द्वारा भारत पर खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाने के बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों में गिरावट के मद्देनजर आई है। भारत ने मंगलवार को कनाडा को इसी तरह का जवाब देते हुए यहां स्थित एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को जैसे का तैसा कदम उठाते हुए निष्कासित कर दिया।
कनाडा के उच्चायुक्त (कैमरून मैके) को मंगलवार को समन कर भारत सरकार ने वर्तमान में देश में तैनात एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को निष्कासित करने के अपने फैसले से अवगत कराया। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि संबंधित राजनयिक को आधिकारिक तौर पर अगले पांच दिन के भीतर भारत से प्रस्थान करने का निर्देश दिया गया है। बयान में कहा गया, “यह निर्णय हमारे आंतरिक मामलों में कनाडाई राजनयिकों के हस्तक्षेप और भारत विरोधी गतिविधियों में उनकी भागीदारी पर भारत सरकार की बढ़ती चिंता को दर्शाता है।” यह निर्णय तब आया जब कनाडा ने पहले एक उच्च पदस्थ भारतीय राजनयिक को निष्कासित कर दिया था।
यह घटनाक्रम कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा सोमवार को संसद में एक आपातकालीन बयान में भारत सरकार पर निज्जर की घातक गोलीबारी में शामिल होने का आरोप लगाने के बाद हुआ है। भारत ने कनाडा सरकार के दावों को खारिज करते हुये कहा है कि खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में उसकी एजेंसी की काई संलिप्तता नहीं थी। भारत ने आरोपों को “बेतुका और प्रेरित” करार दिया है।
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