नई दिल्ली (New Delhi)। यह तो सभी को मालूम होगा कि भारत की एक अलग करेंसी है, लेकिन यह मालूम नहीं होगा कि कभी यह मुद्रा विदेशों से छपकर आती थी। जी हां- एक समय पर जापान (Japan) ने भारतीय करेंसी (Indian currency) नोट छापे थे। ये भारत में फर्जी नोट भेजने की कोई चाल नहीं थी बल्कि परिस्थितियां कुछ ऐसी बनी थीं कि जापान (Japan) को यह कदम उठाना पड़ा. मजेदार बात ये भी है कि यह नोट भारत में नहीं बल्कि आज के म्यांमार (Myanmar) और तब के बर्मा के लिए छापे गए थे. यह पढ़कर जरूर आपको हैरानी हुई होगी। इसके पीछे की दिलचस्प कहानी आज हम आपको बताएंगे।
जापान ने छापे भारतीय नोट
जापान ने बर्मा में करेंसी की प्रवाह बनाए रखने के लिए 1942 में 1, 5 और 10 सेंट्स (पैसे), 1, 5 और 10 रुपये के नोट छापकर बर्मा को दिए. 1944 में 100 रुपये का नोट भी छापा गया. हालांकि, 1945 में जापान ने सरेंडर कर दिया। इन करेंसी नोट पर B लिखा होता था. इसका B का मतलब बर्मा था। इस दौर में जापान की हर करेंसी नोट पर कोई कोड लिखा ही होता था. बर्मा के रूपये का कोड B था।
हर नोट के नीचे ‘Government of Great Imperial Japan’ लिखा होता था। इसके अलावा जापान के वित्त मंत्रालय की ओर से एक प्रतीक भी छपा होता था. इन नोटों पर बौद्ध धर्म की झलक दिखाई देती थी। इन पर मंदिर या बौद्ध मठों की तस्वीर भी छपी हुई थी।
सरेंडर के बाद नहीं रहा मोल
1945 में जापान पर यूएस ने परमाणु बम से हमला किया और जापान ने आत्मसमर्पण कर दिया. इस तरह से दूसरे विश्व युद्ध का अंत हो गया। युद्ध खत्म होने और जापान के सरेंडर के बाद बर्मा में उनके द्वारा जारी इस करेंसी का कोई मोल नहीं रहा और ये खत्म हो गई है, हालांकि, ऐसा माना जाता है कि आज ये करेंसी काफी कीमती है।
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