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मप्र पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अब नहीं होगी सुनवाई

भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में त्रिस्तरीय पंचायतों (three-tier Panchayats ) में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण (Reservation of Other Backward Classes (OBC) ) को लेकर लगाई गई याचिकाओं पर अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं होगी। शीर्ष अदालत ने बुधवार को मप्र सरकार को आदेश दिया है कि स्थानीय निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण में ट्रिपल टेस्ट नियम का पालन करना होगा। अदालत ने यह भी कहा चूंकि अध्यादेश खत्म हो गया है और चुनाव रद्द हो गए हैं, इसलिए इस संदर्भ में दाखिल याचिकाएं निष्प्रभावी हो चुकी हैं।


दरअसल, मध्य प्रदेश में राज्य निर्वार्चन आयोग ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की तारीखें घोषित कर निर्वाचन की तैयारियां शुरू कर दी थीं। इसी बीच चुनावों में ओबीसी आरक्षण को लेकर मामला पहले हाई कोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। बाद में पंचायत चुनाव रद्द हो गए थे। इस मामले को लेकर राज्य शासन के साथ-साथ ओबीसी महासभा द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई थीं, जिन पर बुधवार को तीन जजों की पीठ ने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को पंचायत चुनाव में आरक्षण देने से पहले राज्य सरकार ट्रिपल टेस्ट कराए और इस फैसले का पालन करते हुए आगे की कार्रवाई करे। संविधान के दायरे में रहते हुए आरक्षण देकर चुनाव कराए जा सकते हैं। शीर्ष अदालत की इस व्यवस्था के बाद सरकार की पुनर्विचार याचिका निराकृत हो गई।

वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने बताया कि हमने याचिका में जिस अध्यादेश के चुनौती दी थी, उसे सरकार ने वापस ले लिया है और चुनाव भी रद्द हो गए हैं। इस पर शीर्ष अदालत कोर्ट ने उनकी याचिका को भी निराकृत कर दिया। तन्खा ने सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था के बाद कहा कि यही तो हम कह रहे थे कि मध्य प्रदेश सरकार ने अध्यादेश के माध्यम से अधिनियम में जो संशोधन किए हैं, वे असंवैधानिक और आरक्षित वर्ग के हितों के खिलाफ हैं।

यह होता है ट्रिपल टेस्ट
राज्य सरकार ओबीसी वर्ग को पंचायत चुनाव में आरक्षण देने के लिए ट्रिपल टेस्ट कराएगी। इसके तहत तीन चीजें करना होती हैं। पहली शर्त के रूप में राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग गठित किया जा चुका है। दूसरा, ओबीसी वर्ग के लोगों की गणना का काम चल रहा है। कलेक्टरों से ओबीसी मतदाताओं की जानकारी पंचायतवार एकत्र कराई जा रही है। तीसरा, इसके आधार पर आयोग पिछड़ा वर्ग की सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति का अध्ययन करके सरकार को प्रतिवेदन देगा। इस पर आरक्षण तय होगा।

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि पिछड़ा वर्ग के साथ शिवराज सरकार किसी भी सूरत में अन्याय नहीं होने देगी। ट्रिपल टेस्ट रिपोर्ट के बाद पंचायतों के त्रिस्तरीय चुनावों में ओबीसी आरक्षण लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने हरी झंडी दी है। सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि चुनाव से संबंधित अध्यादेश निरस्त कर दिया है इसलिए याचिका सारहीन हो चुकी है। महाराष्ट्र राज्य के प्रकरण में पारित फैसला मध्य प्रदेश के निर्वाचनों में भी लागू होगा। (एजेंसी, हि.स.)

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