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यूपी में तीसरा निवेशक सम्मेलन और उसका हासिल

– सियाराम पांडेय ‘शांत’

बड़े लोग आते हैं तो कुछ बड़ा होता है। अप्रत्याशित होता है। सम्मेलन कोई भी हो। उसके अपने प्रभाव तो होते ही हैं। अब यह धारक की धारिता पर निर्भर करता है कि वह सम्मेलन से क्या लेता और क्या छोड़ता है? वैसे भी यह संसार गुण-दोषमय है। गुणग्राही बनना है या दोषग्राही, यह हमें खुद तय करना है। आग से ऊष्णता और जल से शीतलता न मिले तो उसका औचित्य क्या है? कमोवेश यही बात बड़े लोगों के साथ भी है। उद्योगपतियों को भामाशाह बनना होगा। इसके लिए उन्हें देश और प्रदेश रूपी महाराणा प्रताप को अपना धन देना नहीं है बल्कि उसे जनहित में व्यापार में लगाना है। व्यापार बढ़ेगा तो इससे उन्हें तो लाभ मिलेगा ही, जहां व्यापार लगेगा,वहां के लोग भी लाभान्वित हो सकेंगे। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में तीसरा निवेशक सम्मेलन ऐतिहासिक रहा।

इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 80224 करोड़ रुपये की 114 परियोजनाओं का शिलान्यास किया। वर्ष 2018 के पहले निवेशक सम्मेलन में भी उन्होंने 61 हजार करोड़ के निवेश वाली 81 परियोजनाओं का शिलान्यास किया था। पहले निवेशक सम्मेलन में देश-विदेश के तकरीबन छह हजार उद्योगपतियों ने भाग लिया था। इस सम्मलेन से उत्तर प्रदेश में 4.68 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव पास हुए थे जिसके निमित्त 1045 एमओयू पर हस्ताक्षर भी हुए थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मानें तो विगत 5 साल में इनमें से 3 लाख करोड़ रुपये के प्रस्ताव जमीन पर उतरे। कोरोनाकाल में भी तकरीबन 66 हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव पास हुए। उन्हें मूर्त रूप देने में हमें सफलता मिली। जुलाई 2019 के द्वितीय निवेशक सम्मेलन में भी प्रधानमंत्री ने 67 हजार करोड़ के निवेश वाली 290 परियोजनाएं शुरू की थीं। प्रधानमंत्री जब भी उत्तर प्रदेश आए हैं तो खाली हाथ नहीं आए हैं। कुछ न कुछ उपहार उन्होंने उत्तर प्रदेश को दिया अवश्य है। ऐसी ही अवधारणा अन्य राज्यों की भी है लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का उत्तर प्रदेश प्रेम किसी से छिपा नहीं है।

उन्हें पता है कि उत्तर प्रदेश के एक व्यक्ति की बेहतरी भारत के हर छठे व्यक्ति की बेहतरी जैसी है। विकास के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने का एक भी अवसर वे अपने हाथ से जाने नहीं देते। एक मोटिवेशन गुरू की तरह वे लोगों को प्रेरणा देते नजर आते हैं। वे अगर रेडियो पर मन की बात करते हैं तो आम जनता से भी समय-समय पर संवाद करते हैं। उन्हें पता है कि व्यापार के बिना उत्तर प्रदेश के विकास की बात नहीं बनेगी। इसलिए उन्होंने वर्ष 2003 में जिस तरह ब्राइब्रेंट गुजरात के नाम से निवेशक सम्मेलन किया था, उसी तरह का प्रयोग उन्होंने यूपी में भी कराया। अन्य भाजपा शासित राज्यों में भी कराया। इन निवेशक सम्मेलन में देश-दुनिया की जानी-मानी औद्योगिक हस्तियां शामिल होती रही हैं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उन्हें निवेश के लिए यथासंभव प्रोत्साहित भी करते हैं। इस बार भी उन्होंने उद्योगपतियों से कृषि क्षेत्र में निवेश करने का आग्रह किया है। साथ ही उन्होंने यह बताने-जताने का भी प्रयास किया है कि उत्तर प्रदेश ही 21वीं सदी में भारत की तरक्की को मोमेंटम देगा। यह बहुत बड़ी बात है और इसके अपने दूरगामी संदेश भी हैं। अच्छा तो यह होता कि अन्य राज्य भी इस क्षेत्र में उत्तर प्रदेश से प्रतिस्पर्धा करते तो यह प्रयोग देश को फिर स्वर्ण विहंग बनाने में सहायक और कारगर होता। प्रधानमंत्री जब यह कहते हैं कि मौजूदा दशक में उत्तर प्रदेश भारत का बहुत बड़ा ड्राइविंग फोर्स बन जाएगा तो इसमें कुछ गलत नहीं है। उत्तर प्रदेश जिस तरह केंद्र सरकार की योजनाओं को आगे बढ़ा रहा है, उसे देखते हुए कोई भी कह सकता है कि उत्तर प्रदेश में विकास के मामले में कुछ अच्छा हो रहा है।

प्रधानमंत्री की इस बात में दम है कि जबसे उत्तर प्रदेश में डबल इंजन की सरकार बनी है, तबसे यहां तेजी से काम हो रहा है। कानून व्यवस्था की स्थिति सुधरी है। उससे व्यापारियों का भरोसा लौटा है। उद्योग- व्यापार के लिए सही माहौल बना है। यहां की प्रशासनिक क्षमता और गवर्नेंस में भी सुधार आया है। उन्होंने उत्तर प्रदेश की नौकरशाही और प्रशासन से जुड़े अधिकारियों को भी उनका हनुमद बल याद दिलाया है और उन्हें झकझोरने की कोशिश की है कि ‘का चुप साध रहा बलवाना।’ उन्होंने कहा है कि उत्तर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी और एडमिनिस्ट्रेशन में वो ताकत है, जो देश उनसे चाहता है। केंद्रीय बजट में हमने गंगा के दोनों किनारे पर पांच-पांच किलोमीटर के दायरे में रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती का कॉरिडोर बनाने की घोषणा की है। यूपी में गंगा 1100 किलोमीटर से ज्यादा लंबी है और यहां के 25-30 जिलों से गुजरती है। ऐसे में यहां प्राकृतिक खेती की अपार संभावनाएं हैं। यूपी सरकार ने कुछ वर्ष पहले अपनी खाद्य प्रसंस्करण नीति भी घोषित की है। उन्होंने यूपी के विकास का रोडमैप बताते हुए यह भी कहा है कि तेज विकास के लिए डबल इंजन की सरकार अवसंरचना , निवेश और उत्पादन के मोर्चे पर एक साथ काम कर रही है। यूपी के डिफेंस कॉरिडोर से भी नई संभावनाएं हैं। हमने तीन सौ चीजें चिह्नित की है कि जो अब विदेश से नहीं आएंगी। उत्पादन और परिवहन जैसी पारंपरिक मांग की पूर्ति के लिए भौतिक ढांचे को आधुनिक बना रहे हैं। यूपी में भी आधुनिक पावर ग्रिड, गैस पाइप लाइन के नेटवर्क या फिर मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी पर बड़ा कार्य हो रहा है। यूपी में जितने किलोमीटर एक्सप्रेस वे पर काम हो रहा है, वह अपने आप में रिकार्ड है। आधुनिक यूपी का सशक्त नेटवर्क यूपी के सभी आर्थिक परिक्षेत्र को आपस में जोड़ने वाला है। जल्द ही यूपी की पहचान आधुनिक रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर के संगम के रूप में होने वाली है। ईस्टर्न और वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर यूपी में आपस में जुड़ने वाले हैं। जेवर समेत यूपी के पांच इंटरनेशनल एयरपोर्ट यहां की इंटरनेशनल कनेक्टिविटी को और मजबूत करने वाले हैं। ग्रेटर नोएडा का क्षेत्र हो या फिर वाराणसी यहां दो मल्टी मॉडल लाजिस्टिक ट्रांसपोर्ट हब का निर्माण भी हो रहा है। पीएम ने उद्यमियों को आश्वस्त करते हुए कहा कि यूपी के विकास, आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए, जिस भी सेक्टर में जो सुधार-परिष्कार आवश्यक होंगे, वह निरंतर किए जाते रहेंगे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निवेशकों को आश्वस्त किया है कि प्रदेश में न केवल निवेशकों का हित सुरक्षित होगा, बल्कि उन्हें हर प्रकार का संरक्षण भी प्राप्त होगा। उन्होंने निवेशकों को यह समझाने का भरसक प्रयास किया है कि संप्रति उत्तर प्रदेश देश की 6वीं अर्थव्यवस्था से दूसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर आ गया है। उत्तर प्रदेश ने अपने परंपरागत उद्योग को बढ़ाते हुए एक जनपद एक उत्पाद जैसी योजनाओं के क्रियान्वयन से अपने निर्यात को 1.56 लाख करोड़ वार्षिक तक करने में सफलता भी पाई है। उत्तर प्रदेश ने वर्ष 2017 में औद्योगिक निवेश और रोजगार प्रोत्साहन नीति लागू की थी। इसके साथ ही प्रदेश में इन्वेस्टमेंट फ्रेंडली 20 सेक्टोरल पॉलिसीज को उद्यमिता, इनोवेशन और मेक इन इंडिया की तर्ज पर आगे बढ़ाने का काम किया गया। श्रम, भूमि आवंटन, संपत्ति रजिस्ट्रेशन, पर्यावरणीय अनुमोदन सहित 500 से अधिक सुधार किए गए। 40 विभागों के 1400 से अधिक जो कम्प्लायन्स थे, उन्हें समाप्त किया गया। सिंगल विंडो सिस्टम से ऑनलाइन सेवा उपलब्ध कराई गई। मेगा व उच्च श्रेणी के उद्योगों को आवेदन के 15 दिनों के भीतर भूमि आवंटन का प्रावधान किया। नीतियों को निवेश फ्रेंडली बनाने, कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने तथा ओडीओपी जैसे प्रयास किए गए हैं। पूर्वांचल एक्सप्रेस -वे, रैपिड रेल जैसे काम प्रदेश में जारी ट्रांसफॉर्मेशन के प्रतीक हैं।

उद्योगपति निवेश सम्मेलनों में निवेश के दावे तो बड़े-बड़े दावे करते हैं लेकिन निवेश प्रस्ताव पर शत-प्रतिशत अमल नहीं हो पाता। वजह चाहे जो भी हो। ऐसे में सरकार अगर उद्योगपतियों का मुक्तकंठ और खुले हृदय से स्वागत कर रही है तो उद्योगपतियों को भी देशहित को सर्वोपरि रखते हुए देश और प्रदेश को आगे ले जाने की दिशा में काम करना चाहिए। कोरोनाकाल बीत चुका है। अब नए सिरे से आगे बढ़ने की जरूरत है। चाहे सरकार हो या उद्योगपति,उन्हें अपना वादा निभाना चाहिए।इसलिए अब न चूक-चौहान की रीति नीति पर चलते हुए देश- प्रदेश को विकास पथ पर आगे ले जाना है। उम्मीद की जानी चाहिए कि तीसरा निवेशक सम्मेलन यूपी को आगे ले जाने में मील का पत्थर साबित होगा।

(लेखक, हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)

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