ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे

 

इंदौरी नेताओं के पचड़े में नहीं पडऩा चाहते इंदौरा
इंदौर शहर कांग्रेस अध्यक्ष का फैसला जितना लेट होता जा रहा है, उसने कई दावेदारों को काम पर लगा दिया है। कहा जा रहा है कि इस मसले का हल इतनी जल्दी नहीं होगा। किसी ने प्रदेश कांग्रेस के सहप्रभारी कुलदीप इंदौरा के इस मसले पर विधायकों से चर्चा करने की झूठी अफवाह उड़ा दी, लेकिन किसी भी विधायक को इसकी जानकारी तक नहीं थी। दरअसल इंदौरा इंदौरी नेताओं के पचड़े में अकेले नहीं पडऩा चाहते हैं, क्योंाकि इंदौर जैसे शहर के नेताओं से दुश्मनी मोल लेना या उनके बीच बोलने का असर भोपाल की राजनीति तक होता है। फिलहाल वे प्रदेश प्रभारी जयप्रकाश अग्रवाल के साथ ही इंदौर आ सकते हैं और यहां अध्यक्ष के मामले में चर्चा कर सकते हैं, लेकिन उसके पहले ही एक नाम पर मुहर लगने की भी संभावना है।


पिता के बहाने मनोज का बेटमा में दांव
पूर्व विधायक मनोज पटेल फोन नहीं उठाने के मामले में चर्चित हैं, लेकिन चुनाव आते से ही पटेल साब के हावभाव बदल जाते हैं। उनके नजदीकी भी यही कहते हैं कि मनोज भिया जैसा कोई नेता नहीं है, अगर वे अपनी फोन नहीं उठाने की आदत सुधार लें तो। वैसे मनोज सीएम के नजदीकियों में गिने जाते हैं और उनके ही सहारे फिर से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। आज देपालपुर के बेटमा में उन्होंने अपने पिता की प्रतिमा के अनावरण के नाम पर एक बड़ा मजमा सजाया है और बताना चाह रहे हैं कि उनकी विधानसभा में कितनी पकड़ है।
उत्तराधिकारी के रूप में मिलेंगे एकलव्य?
चार नंबर में भाजपा की जो राजनीति चल रही है उसको देखकर इस बार विधानसभा चुनाव कौन लड़ेगा, इसको लेकर अभी कई चर्चाएं चल रही हैं। कोई कह रहा है कि मालिनी गौड़ अस्वस्थता के कारण अपने पुत्र एकलव्य को उत्तराधिकारी के रूप में प्रस्तुत कर सकती हैं और अभी जितने आयोजन हो रहे हैं, उसमें एकलव्य को ही आगे रखा जा रहा है। समरसता भोज में एकलव्य ही सर्वेसर्वा थे, लेकिन एकलव्य की जमीन खोदने में चार नंबर के ही दावेदार लगे हैं और देखना दिलचस्प होगा कि इस बार टिकट किसके हाथ आएगा?


गांधी भवन में टोना-टोटका
गांधी भवन में अब टोना-टोटका भी होने लगा है। यही नहीं इस टोने-टोटके चक्कर में एक-दो कांग्रेसी नेता बीमार भी हो गए, जो नियमित गांधी भवन आते हैं। अब पता लगाया जा रहा है कि ये टोना-टोटका किस ने किया है। दरअसल गांधी भवन के नीचे चैनल गेट से ही किसी ने लौंग और अन्य पूजा सामग्री डाल दी थी। ऊपर चढ़ते-चढ़ते कहीं चावल तो कहीं लौंग दिखाई दिए, वहीं अंदर भी ऐसा कुछ किया गया। इसे एक कांग्रेस नेता ने फेंक दिया तो वे बीमार हो गए। अब उनकी बीमारी की वजह टोना-टोटका है या और कुछ, लेकिन अभी तो यही कहा जा रहा है कि कुछ लोग ऐसे काम पहले भी गांधी भवन में कर चुके हैं। ये लोग कांग्रेस के हैं या कोई बाहर से आकर ये काम करवा रहे हैं, इसका पता किया जा रहा है। सबूत के लिए गांधी भवन में कैमरा भी नहीं है, जिसमें टोटके करने वाले को पकड़ा जा सके।
मधु के हाथ में ही रस
भले ही राऊ विधानसभा पर भाजपा के कई दावेदारों की नजर हो, लेकिन फिलहाल तो मधु वर्मा के हाथ में पूरी विधानसभा का रस नजर आ रहा है। पिछला चुनाव हारने के बाद पार्टी के तो वे ही विधायक हैं, इसलिए विकास यात्रा की जवाबदारी भी उन्हें ही सौंपी गई है। मधु ने भी इस मौके को लपक लिया और विकास यात्रा में अपने समर्थकों के साथ पूरा ध्यान दे रहे हैं। जिराती के यहां ब्याव मंडा है, इसलिए वे मैदान में हैं नहीं। दूसरे अपने पत्ते खोल नहीं रहे हैं, इसलिए विधानसभा में जो रस टपक रहा है, वो मधु के खाते में ही आ रहा है।


…ताकि जिंदा तो रहे
गांधी भवन में कुछ कांग्रेसी ऐसे हैं, जो परमानेंट यहीं जमे रहते हैं। विनय बाकलीवाल के अध्यक्ष रहते इनकी तूती बोलती थी, लेकिन बागड़ी का पुतला जलाए जाने के बाद वे हाशिये पर हैं। अनुशासनहीनता के नोटिस का सामना कर रही बाकलीवाल की टीम कब यहां से रूखसत हो जाए, कहा नहीं जा सकता, लेकिन अपने आपको जिंदा रखने के लिए वे बयानबाजी कर मीडिया में छाए रहना चाहते हैं, ताकि कल को कोई कार्रवाई हो तो वे बता सके कि हम तो कांग्रेस के लिए सक्रिय हैं। हालांकि ये बात अलग है कि इनके बयानों को वरिष्ठ नेता भी तवज्जो नहीं देते।
पांच मिनट में ही खत्म हो गई विकास यात्रा
सिंगापुर टाउनशिप में कल विकास यात्रा के स्वागत को लेकर खड़े नागरिक खड़े ही रह गए, जब मंत्रीजी की गाडिय़ों का काफिला साइरन बजाते हुए तेज गति से आया और उसी गति से लौट भी गया। दरअसल मंत्रीजी को इस क्षेत्र में विकास यात्रा निकालना थी, लेकिन उनके पास समय नहीं था और स्थानीय कार्यकर्ताओं के साथ तय हुआ कि मंत्रीजी आएंगे और स्वागत कराकर चले जाएंगे। मंत्रीजी आए, वहां मंदिर के पास एक स्टेज लगा था। भाजपा के कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी की और अपने कुछ खास लोगों से मिलकर वे रवाना हो गए। कुछ लोग जो आगे हारफूल लेकर खड़े थे, वे खड़े ही रह गए। कुछ लोग तो मंत्रीजी का स्वागत करने दौड़े भी, लेकिन उनका काफिला तब तक वहां से जा चुका था।
जीतू जिराती के घर ब्याव है और ब्याव में रस्मों के अलावा इतने कार्यक्रम रख लिए कि स्वरूचि भोज की जगह स्वरूचि कार्यक्रम हो गया है। जिसको जिस कार्यक्रम में आना हो आएं। ब्याव की रस्मों की समाप्ति पर आईपीएस कॉलेज के पास एक बड़ा भोज यानि आशीर्वाद समारोह रखा गया है, जिसकी तैयारी नगर भोज की तरह की गई है।
-संजीव मालवीय

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