ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे

दिग्गी के बदले-बदले तेवर
दिग्विजयसिंह को भले ही भाजपाई बंटाढार कहते हों, लेकिन वे इससे विचलित नहीं होते और भाजपा पर हमला करना नहीं भूलते। प्रदेश में सियासी उठापटक के बाद वे चुप थे, लेकिन कल इंदौर यात्रा के दौरान उनके तेवर उग्र नजर आए। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और भाजपा के नेताओं पर तीखा हमला किया और कहा कि शिवराजसिंह चौहान तो कह रहे थे कि अगर हमारी सरकार नहीं बनती तो हम मर जाते। साथ ही उन्होंने चेतावनी भरे शब्दों में यह भी कह डाला कि हमने तो भाजपा सरकार और उसके लोगों के घोटाले खोलने की तैयारी कर ली थी, लेकिन खरीद-फरोख्त में ये लोग कामयाब हो गए। वैसे दिग्विजयसिंह का ये सियासी नहीं निजी दौरा था, लेकिन दिग्गी राजा जहां पहुंच जाएं वहां बोलने से कहां चूकते हैं और जब सामने चुनाव हो तो फिर मीडिया को वे मसाला दे ही जाते हैं।
आखिर साब की शान में गुस्ताखी किसने की
कृष्णमुरारी मोघे भी इंदौर संगठन से नाराज चल रहे हैं। ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में हुए बूथ सम्मेलन में उनकी कुर्सी मंच पर नहीं थी तो युवा सम्मेलन में वे बार-बार बुलाने पर भी मंच पर नहीं गए। बाद में वरिष्ठ नेताओं ने इशारा किया तो साब मंच पर जाकर बैठे। विद्वतजनों के सम्मेलन के पहले वे घर जाने के लिए निकल गए थे, लेकिन उन्हें जेपी मूलचंदानी ले आए। वैसे मंच से उन्हें बुलाया जाता रहा, लेकिन पहले किसी ने नहीं बोला कि आपको मंच पर बैठना है। साब के अय्यार पता लगाने में जुट गए हैं कि उनकी शान में ये गुस्ताखी किसने की?
ताई अब पार्टी के लिए भी वरिष्ठ हो गईं
ताई हैं तो वरिष्ठ, लेकिन शहर के साथ-साथ अब भाजपा संगठन ने भी उन्हें वरिष्ठ मान लिया है। विद्वतजन से मुलाकात के दौरान ताई आमंत्रितों के बीच बैठीं। कार्यक्रम ताई समर्थकों के हाथ में था, सो उनके चेहरे पर शिकन आ गई कि हम मंच पर और ताई नीचे? ताई को मंच पर बुलाया गया, लेकिन वे नहीं आईं। संचालन कर रहे राजेश अग्रवाल ने बात संभाली और कहा कि आज ताईजी का आदेश है कि वे सामने बैठकर ही सुनेंगी। हालांकि ताई ने सुना ही, लेकिन अपनी ओर से भाजपा के घोषणा पत्र के लिए कोई सुझाव नहीं दिया।
तीन बार चुनाव लडऩे वालों की रंगत उड़ी
मीडिया के सामने भाजपा के मुखिया विष्णुदत्त शर्मा स्पष्ट कर गए हैं कि तीन बार चुनाव लडऩे वालों को अब चौथी बार टिकट नहीं दिया जाएगा। इसके बाद कुछ बड़े नेताओं के चेहरे की रंगत फीकी पडऩे लगी है, जो एक बार फिर चुनाव लडऩे की सोच रहे थे। वैसे ऐसे लोगों की दो नंबर विधानसभा में भरमार है और पांच नंबर में भी कुछ पार्षद ऐसे हैं, जो जोड़-तोड़ के गणित से हर बार टिकट पाने में कामयाब हो जाते हैं। भाजपा जिस तरह से उम्र का क्राइटेरिया निगम चुनाव में लाना चाह रही थी, उससे पल्ला झाड़ लिया गया है और अब जिताऊ तथा टिकाऊ को ही टिकट देने की बात की जा रही है। वैसे भाजपा ऐनवक्त पर युवाओं को ज्यादा तवज्जो दे सकती है, क्योंकि ऊपर से ही आदेश है कि संगठन और सत्ता में सेकंड लाइन को तवज्जो दी जाए।
गौरव की रणनीति ने रख ली नाक
बूथ सम्मेलन को लेकर पूरा दारोमदार नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे पर था। गौरव ने ऐसी रणनीति तैयार की कि पूरा हॉल खचाखच भर गया और इतनी बड़ी संख्या में बूथ अध्यक्ष और प्रभारी आ गए कि गौरव की आंखों में चमक आ गई। जाते-जाते वीडी शर्मा भी पीठ थपथपा गए कि तुम्हारा कार्यकाल का सालभर पूरा होने के पहले ही संगठन की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी को मजबूत कर दिया है। एक ही दिन में पांच-पांच आयोजन करने वाले गौरव ने रैली में शक्तिप्रदर्शन करने में कोई कसर भी नहीं छोड़ी।
नाराजगी के पहले पहुंच गए वीडी भाईसाब
शनिवार का पूरा दिन इंदौर में बिताने के बाद वीडी शर्मा रविवार की सुबह अपोलो अस्पताल पहुंच गए, जहां बड़े भैया (विष्णुप्रसाद शुक्ला) अपना उपचार करवा रहे हैं। बड़े भैया शहर में भाजपा की राजनीति पैदा करने वाला चेहरे हैं और उन्हें देखने खुद कमलनाथ तक आए थे। शनिवार की रात भाजपा के ही एक खेमे में चर्चा चली कि वीडी भाईसाब को बड़े भैया के हालचाल पूछने जरूर जाना था। वीडी भाईसाब तक ये बात पहुंच गई और सुबह नाराजगी फैलती, उसके पहले ही वीडी शर्मा अस्पताल पहुंच गए थे।
मेंदोला नजर तो आए, लेकिन चुप्पी नहीं तोड़ी
नगर संगठन से जिस तरह विधायक रमेश मेंदोला की बात बंद है, उसने कई सारे सवाल खड़े कर दिए हैं। कोई कह रहा है कि दादा प्रदेश संगठन से नाराज हैं, क्योंकि उन्हें न सरकार में तवज्जो दी और न ही संगठन में। इंदौर आए वीडी शर्मा के साथ वे नजर आए और लगा कि मेंदोला की नाराजगी खत्म हो गई है, लेकिन वे हर कार्यक्रम में चुप ही बैठे रहे। पत्रकार वार्ता के बाद मीडिया ने भी दादा से नारजगी का कारण उगलवाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने चुप्पी नहीं तोड़ी और हर बार की तरह मंद-मंद मुस्कान और नीची नजरें कर वे खिसक लिए। वैसे दादा की चुप्पी का राज कुछ तो है, जो चुनाव के दौरान ही खुलकर सामने आएगा।
चुनाव लडऩे की तैयारी कर बैठे कांग्रेस और भाजपा के दावेदारों के पास एक ही सवाल है, चुनाव हो रहे हैं या टल रहे हैं? ऐसे कई दावेदार कभी मीडिया तो कभी बड़े नेताओं को फोन लगाकर पूछते हैं। जिन्हें लडऩा है उन्होंने खर्चा भी करना शुरू कर दिया है। अगर तारीख मालूम पड़ जाए तो उस हिसाब से जेब ढीली करें। -संजीव मालवीय

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