ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे

एक और कांगे्रसी नेता अलग हो गए
वर्षों से शहर अध्यक्ष विनय बाकलीवाल के साथ में रहे सनी राजपाल अब उनके साथ बहुत कम नजर आते हैं। कारण उनके द्वारा अपनी भड़ास को सार्वजनिक करना, जिसमें उन्हें अपने खास दोस्त के रिश्तेदार को कोरोनाकाल में मदद नहीं दिलाने का दुख है। पिछले दिनों उन्होंने एक कार्यक्रम अलग कर बता डाला कि वे भी कुछ कर सकते हैं। बड़े कांग्रेसी नेता नहीं आए और सनी के साथ कुछ नेता वे खड़े हो गए जो अपने आपको ही संपूर्ण कांग्रेस मानकर चलते हैं और बड़े नेताओं या पदाधिकारियों की बजाय खुद ही आंदोलन चलाते हैं। अब देखना है कि सनी की दौड़ कहां तक जाती है?
शंकर और उस्मान फंसे हैं मझधार में
भाजपा से कांग्रेस में गए पूर्व पार्षद शंकर यादव और उस्मान पटेल को कांग्रेस में वह सम्मान नहीं मिल पा रहा है जो भाजपा में था। दोनों नेता व्यक्तिगत स्वार्थ के चलते कांग्रेस में तो चले गए, लेकिन कांग्रेस की सरकार जाती रही और अब वे न इधर के रहे हैं न उधर के। सार्वजनिक आयोजनों में भी नजर नहीं आते हैं। निगम चुनाव दोनों को लडऩा है, लेकिन कांग्रेस टिकट देगी या नहीं इसमें संदेह हैं। वैसे उन्हें लाने वाले नेताओं के आगे-पीछे घूमते वे जरूर देखे जा सकते हैं, लेकिन इससे तो उनका भला नहीं होने वाला।
टिकट खटाई में तो कार्यकारिणी में ही सही
पांच नंबर के एक पूर्व पार्षद की भाजपा नगर अध्यक्ष से नजदीकियां चर्चा में हैं। अपने क्षेत्र में नई इमारतें बनाने में आगे रहे इन महाशय का टिकट इस बार खटाई में हैं और टिकट मिल भी जाता है तो इनके शुभचिंतकों ने इनके कारनामों की जानकारी निकालकर बड़े नेताओं तक पहुंचाने की तैयारी शुरू कर दी है। फिलहाल वे नगर कार्यकारिणी में आना चाह रहे हैं और इसके लिए गौरव के विश्वासपात्र बनने का जतन कर रहे हैं।
फिर नजदीकियों को मिली जवाबदारी
पिछले दिनों दीनदयाल भवन मे हुई भाजपा कार्यसमिति की बैठक में एक बार फिर नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे के नजदीकियों को जवाबदारी देना भाजपा के पुराने नेताओं को नागवार गुजरा। इसके पहले भी गौरव के खास लोगों को क्रिसेन्ट में हुई बैठक में महत्वपूर्ण जवाबदारी दी थी। पुराने नेताओं का कहना है कि जब भीड़ लाना हो या कोई आयोजन करना हो तो पार्टी हमें याद करती है, लेकिन जब बड़े नेताओं के साथ अनुभव बांटने का मौका मिलता है तो परिक्रमा करने वाले लोगों को आगे कर दिया जाता है। कुछ लोग तो गोपी नेमा का कार्यकाल भी याद कर रहे हैं जो हर कार्यकर्ता और पदाधिकारी का ध्यान रखते थे और बड़े नेताओं केकार्यक्रमों में उनको जवाबदारी देते थे। यहां तक कि ऐसे-ऐसे कार्यकर्ताओं को मोदीजी से मिलने का मौका दे दिया जो कभी सपने में भी ऐसा नहीं सोच सकते थे।
अतिक्रमण हटने से खुश भाजपाई
कोरोना काल निपटते ही नगर निगम ने चोइथराम से राजेन्द्रनगर के बीच बनी दुकानों का अतिक्रमण हटा दिया। इससे वे भाजपाई खुश हैं जो इस क्षेत्र में रहते हैं। बताया जा रहा है कि इन्हें कांग्रेस के एक दमदार विधायक के भाइयों का श्रेय मिला हुआ था और बकायदा इनसे किराया तक वसूला जाता रहा है। किराया भी कुल सवा लाख रुपए से डेढ़ लाख रुपए तक आता था। कांग्रेस सरकार में इसे हटाने की हिम्मत किसी में नहीं हुई। पिछले साल भी तैयारी थी, लेकिन किसी कारण से मामला टल गया था, लेकिन अब कोरोना निपटते से ही तोडफ़ोड़ मचा दी।
नगर निगम चुनाव को लेकर दावेदार अपने-अपने आकाओं के माध्यम से पता करने में जुटे हैं कि चुनाव होंगे या नहीं? सही भी हैं, क्योंकि पिछली बार जोश-जोश में कईयों ने जेब ढीली करना शुरू कर दी थी, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के बाद वे गायब हो गए थे।
-संजीव मालवीय

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