ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे

चार नंबर में कुछ तो पक रहा है
इन दिनों चार नंबर की राजनीति में अंदर ही अंदर कुछ तो पक रहा है। अयोध्या में सेंध लगाने के लिए कई भाजपा नेता सक्रिय हो गए हैं और सेंध लग भी रही है। एक समय कभी लखन दादा के खास झंडाबरदार रहे लोग ही हरिराम का काम कर रहे हैं और गौड़ विरोधियों को हवा दे रहे हैं। भाजपा नेताओं की जुबां पर ये चर्चा आम है कि इस बार गौड़ परिवार के लिए विधानसभा का टिकट लेना मुश्किल हो सकता है। हिंद रक्षक संगठन के गरबे से गौड़ परिवार को बाहर कर सांसद शंकर लालवानी से भूमिपूजन करवाया और फिर कपड़ा मार्केट में हुए फेस्टिवल से मालिनी गौड़ और उनकी टीम को बाहर कर दिया गया। यहां विजयवर्गीय की टीम को इंट्री दे दी गई और फोटो भी उनके ही लगाए गए। दोनों ही मामलों में गौड़ खेमा चुप है और वक्त का इंतजार कर रहा है।
पटवारी के यहां पहुंचे जयप्रकाश
कल भोपाल में पूर्व मंत्री जीतू पटवारी के यहां प्रदेश प्रभारी जयप्रकाश अग्रवाल पहुंचे और वो भी पीसीसी में हुई बैठक के ठीक बाद। कहा जा रहा है कि पटवारी और जयप्रकाश के पुराने संबंध हैं और वे उनसे सौजन्यवश मिलने गए थे। हालांकि दोनों नेताओं में बंद कमरे में चर्चा भी हुई और पीसीसी में बैठे नेताओं ने मुखबिरों को दौड़ा दिया कि जरा पता लगाओ कि पटवारी के यहां क्या चल रहा है? मुखबिर भी पता लगाने में नाकामयाब रहे और चर्चा के बाद पटवारी के चेहरे पर चमक और बढ़ गई है।
कहां चली गई बाल कांग्रेस?
जिस शोर से कांग्रेस ने बाल कांग्रेस का गठन किया था और इसे एक नई पहल बताया जा रहा था, उस पर बाल कांग्रेस खरी नहीं उतरी है। शुरुआत में तो खूब खबरें चलीं कि बाल कांग्रेस क्या-क्या करेगी? लेकिन अब वह नजर नहीं आ रही है और नेताओं ने भी ध्यान देना बंद कर दिया है। इंदौर से ही बाल कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष है, लेकिन अभी ऐसा कोई काम न तो पार्टी ने दिया है, जिससे इनका नाम हो सके और न ही बाल कांग्रेस खुद कुछ कर पाई है।


भिया के लिए की थी मन्नत, अब पूरी कर रहे
नगर निगम चुनाव लड़े कई पार्षद अब देवी-देवताओं के यहां की गई मन्नत उतारने में लगे हुए हैं। कई नेताओं की जीत के लिए उनके प_ों ने मन्नत की थी कि भिया जीत गए तो दर्शन करवाने लाएंगे। कुछ तो चुनाव जीतने के बाद सीधे देव दर्शन को पहुंच गए थे तो कुछ एमआईसी में आने की उधेड़बुन में लगे होने के कारण यात्रा पर नहीं जा पाए थे। ऐसे ही एक एमआईसी मेंबर के लिए उनके साथियों ने मन्नत की और उन्हें हवाई जहाज से उड़ा ले गए, जहां के लिए उन्होंने मन्नत की थी। ऐसे ही कुछ और नेता भी अब मन्नत उतार रहे हैं और साथ ही साथ एक और मन्नत मांग रहे हैं कि पार्षदी के पांच साल अच्छे से गुजर जाएं और उनकी ‘मनोकामना’ पूर्ण हो जाए।
आपका क्या होगा जनाबे आली
अल्पसंख्यक मोर्चे की कार्यकारिणी में ऐसे नाम सामने आ रहे हैं, जिनके चाल-चलन को लेकर लगातार उंगलियां उठती रही हैं। पिछले दिनों एक मुस्लिम नेता के पकड़ाने पर यह बात सामने भी आ गई। जनाब छेडख़ानी में पकड़ाए थे और थाने में अकड़ दिखा रहे थे, लेकिन पुलिस ने पूरी हेकड़ी निकाल दी। उन्होंने सोचा था कि पुलिस क्या बिगाड़ लेगी, लेकिन पुलिस भाजपा कार्यकर्ता कहने पर कुछ ज्यादा ही गुस्सा हो रही है। इसका शिकार पिछले दिनों एक पार्षद भी हो चुके हैं।
…और ये हंै कि छपने का मौका नहीं छोड़ते
कांग्रेस के एक नेता जवानी के दिनों से उठापटक करते आ रहे हैं और शायद ही ऐसा कोई दूसरा नेता हो, जिसने इनके बराबर आंदोलन किए हों। ये बात अलग है कि नेताजी को अपनी सक्रियता का फायदा पार्टी में अभी तक किसी बड़े पद तक पहुंचने के रूप में नहीं मिल पाया है। नेताजी भी छपने का कोई मौका नहीं छोड़ते। पिछले दिनों रेलवे स्टेशन के सामने पहुंचे और अपने पांच साथियों के साथ उत्तरप्रदेश में हुए रेप और हत्या के मामले में मोमबत्ती हाथ में लेकर श्रद्धांजलि दे डाली।


पिता के गम से उबरकर फिर भिड़ गए शुक्ला
विधायक संजय शुक्ला की सक्रियता फिर दिखाई दे रही है। इस बार माना जा रहा था कि वे अपने क्षेत्र से निकलने वाली धार्मिक यात्रा में नहीं जाएंगे, लेकिन पिता के गम से उबरने के बाद वे शनिवार को तीर्थयात्रा लेकर रवाना भी हो गए। शुक्ला ने कहा कि पिता का गम अपनी जगह है और लोगों की भावना अपनी जगह। उन्होंने कहा कि इतने सारे लोगों की आस को वे नहीं तोड़ सकते थे। उनका कहना था कि वे हर माह अपने क्षेत्र के लोगों के साथ तीर्थयात्रा पर जाते हैं और टिकट भी तीन महीने पहले से ही बुक हो जाते हैं तो वे लोगों को निराश नहीं कर सकते थे। इस बार दीपू यादव भी उनके साथ यात्रा पर गए हैं, क्योंकि इस बार उनके वार्ड क्रमांक 10 के कार्यकर्ताओं को ले जाया गया है।
पिछले दिनों शंकरबाग में एक दु:खद घटना घट गई, जिसमें वहां रहने वाले दो बच्चे कान्ह नदी में बह गए। मौके की नजाकत को देख कांग्रेस नेता पिंटू जोशी पहुंच गए और रात तक वहीं रहे। स्थानीय भाजपा नेता नदारद थे। किसी को याद आई कि उमेश शर्मा होते तो यहां पहुंच जाते। हालांकि दूसरे दिन विधायक आकाश विजयवर्गीय पहुंचे, तब तक पिंटू तो सहानुभूति बटोरकर जा चुके थे। -संजीव मालवीय

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